ओमप्रकाश बजाज की बाल-कविताओं का संग्रह

बाल-कविताओं का संग्रह: ओमप्रकाश बजाज

बिन आलू सब सूना!: ओमप्रकाश बजाज

सोचो यदि आलू न होता,
समोसा, आलू बड़ा कैसे बनता?
आलू परांठे बन नहीं पाते,
पूरी-आलू हम कैसे खाते।

आलू की चाट कहां से आती,
सब्जी बिना आलू कैसे बन पाती?
विदेश से सदियों पहले आया,
पूरे देश ने इसे अपनाया।

खानपान का आवश्यक यह अंग,
कुछ भी मिला लो इसके संग।
बच्चों-बूढ़ों सब को भाता,
हर रूप में यह प्रयोग में आता।

ओमप्रकाश बजाज

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