Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

जिंदगी – बुद्धिनाथ मिश्रा

जिंदगी - बुद्धिनाथ मिश्रा

जिंदगी अभिशाप भी, वरदान भी जिंदगी दुख में पला अरमान भी क़र्ज साँसों का चुकाती जा रही जिंदगी है मौत पर अहसान भी। वे जिन्हें सर पर उठाया वक्त ने भावना की अनसुनी आवाज थे बादलों में घर बसाने के लिये चंद तिनके ले उड़े परवाज थे दब गये इतिहास के पन्नों तले तितलियों के पंख, नन्ही जान भी। कौन …

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निदा फ़ाज़ली के दोहे

निदा फ़ाज़ली के दोहे

युग युग से हर बाग का, ये ही एक उसूल जिसको हँसना आ गया, वो ही मट्टी फूल। पंछी, मानव, फूल, जल, अलग–अलग आकार माटी का घर एक ही, सारे रिश्तेदार। बच्चा बोला देख कर, मस्जिद आलीशान अल्ला तेरे एक को, इतना बड़ा मकान। अन्दर मूरत पर चढ़े घी, पूरी, मिष्टान मंदिर के बाहर खड़ा, ईश्वर माँगे दान। आँगन–आँगन बेटियाँ, …

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पुराने पत्र – रामकुमार चतुर्वेदी ‘चंचल’

पुराने पत्र – रामकुमार चतुर्वेदी ‘चंचल’

हर पुराना पत्र सौ–सौ यादगारों का पिटारा खोलता है। मीत कोई दूर का, बिछड़ा हुआ सा, पास आता है, लिपटता, बोलता है। कान में कुछ फुसफुसाता है, हृदय का भेद कोई खोलता है। हर पुरान पत्र है इतिहास आँसू या हँसी का चाँदनी की झिलमिलाहट या अन्धेरे की घड़ी का आस का, विश्वास का, या आदमी की बेबसी का। ये …

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नखरे सलाई के – दिनेश प्रभात

नखरे सलाई के – दिनेश प्रभात

आ गये दिन लौट कर, कंबल रज़ाई के। सज गये दूकान पर फिर ऊन के गोले, पत्नियों के हाथ में टंगने लगे झोले, देखने लायक हुए नखरे सलाई के। धूप पाकर यूं लगा, ज्यों मिल गई नानी, और पापा–सा लगा, प्रिय गुनगुना पानी, हो गये चूल्हे, कटोरे रसमलाई के। ले लिया बैराग मलमल और खादी ने, डांट की चाबुक थमा …

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मेरा उसका परिचय इतना – अंसार कंबरी

मेरा उसका परिचय इतना - अंसार कंबरी

मेरा उसका परिचय इतना वो नदिया है, मैं मरुथल हूँ। उसकी सीमा सागर तक है मेरा कोई छोर नहीं है मेरी प्यास चुरा ले जाए ऐसा कोई चोर नहीं है। मेरा उसका नाता इतना वो खुशबू है, मैं संदल हूँ। उस पर तैरें दीप शिखाएँ सूनी सूनी मेरी राहें। उसके तट पर भीड़ लगी है, कौन करेगा मुझसे बातें। मेरा …

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भागे लेकर बल्ला – रामानुज त्रिपाठी

भागे लेकर बल्ला – रामानुज त्रिपाठी

चूहे राज क्रिकेट टीम के चुने गए कप्तान अपनी बल्लेबाजी का था उनको बहुत गुमान पैड बांध दस्ताना पहने हेलमैट एक लगाए टास जीत कर खुद ही पहले बैटिंग करने आए उधर दूसरी क्रिकेट टीम का बंदर था कप्तान उसे क्रिकेट के दाँव पेंच की थी पूरी पहचान पहला ही ओवर बंदर ने बिल्ली से फिंकवाया चूहे को आउट करने …

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सूने दालान – सोम ठाकुर

सूने दालान - सोम ठाकुर

खिड़की पर आँख लगी देहरी पर कान धूल–भरे सूने दालान हल्दी के रूप भरे सूने दालान। परदों के साथ साथ उड़ता चिड़ियों का खंडित–सा छाया क्रम झरे हुए पत्तों की खड़–खड़ में उगता है कोई मनचाहा भ्रम मंदिर के कलशों पर ठहर गई सूरज की काँपती थकन धूल–भरे सूने दालान। रोशनी चढ़ी सीढ़ी–सीढ़ी डूबा–मन जीने की मोड़ों को घेरता अकेलापन …

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मैं फिर अकेला रह गया – दिनेश सिंह

मैं फिर अकेला रह गया - दिनेश सिंह

बीते दिसंबर तुम गए लेकर बरस के दिन नए पीछे पुराने साल का जर्जर किला था ढह गया मैं फिर अकेला रह गया खुद आ गए तो भा गए इस ज़िन्दगी पर छा गए जितना तुम्हारे पास था वह दर्द मुझे थमा गए वह प्यार था कि पहाड़ का झरना रहा जो बह गया मैं फिर अकेला रह गया रे …

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हम तुम – रामदरश मिश्र

हम तुम - रामदरश मिश्र

सुख के, दुख के पथ पर जीवन, छोड़ता हुआ पदचाप गया तुम साथ रहीं, हँसते–हँसते, इतना लंबा पथ नाप गया। तुम उतरीं चुपके से मेरे यौवन वन में बन के बहार गुनगुना उठे भौंरे, गुंजित हो कोयल का आलाप गया। स्वपनिल–स्वपनिल सा लगा गगन, रंगों में भीगी सी धरती जब बही तुम्हारी हँसी हवा–सी, पत्ता पत्ता काँप गया। जाने कितने …

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परखना मत – बशीर बद्र

परखना मत - बशीर बद्र

परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता। बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना जहाँ दरिया समंदर में मिले, दरिया नहीं रहता। हजारों शेर मेरे सो गये काग़ज की कब्रों में अजब माँ हूँ, कोई बच्चा मेरा ज़िन्दा नहीं रहता। तुम्हारा शहर तो बिल्कुल नये अन्दाज वाला है हमारे …

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