Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

अच्छे बच्चे – विजय अरोड़ा

अच्छे बच्चे - विजय अरोड़ा

कहना हमेशा बड़ो का मानते माता-पिता को शीश नवाते अपने गुरुजनों का मान बढ़ाते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते ! नहा-धोकर रोज शाला जाते पढाई से जी न चुराते परीक्षा में सदा अव्वल आते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते ! कभी न किसी से झगड़ा करते बात हमेशा सच्ची कहते उंच-नीच का भाव न लाते वे ही बच्चे सच्चे कहलाते …

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कुछ रफ़्तार धीमी करो – मेरे दोस्त

कुछ रफ़्तार धीमी करो - मेरे दोस्त

जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी.. मुझे याद है, मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले सब कुछ अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है… शायद अब दुनिया सिमट रही है… जब मैं छोटा था, …

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भारतीय सभ्यता का फ़िल्मी इंटरवल

Filmi Interval

बॉलीवुड के बादल छाये, बदलावों की बारिश है, ये है सिर्फ सिनेमा या फिर सोची समझी साजिश है! याद करो आशा पारिख के सर पे पल्लू रहता था, हीरो मर्यादा में रहकर प्यार मोहब्बत करता था! प्रणय दृश्य दो फूलों के टकराने में हो जाता था, नीरज, साहिर के गीतों पर पावन प्रेम लजाता था! लेकिन अब तो बेशर्मी के …

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दिल्ली देश की शान

दिल्ली देश की शान

सडक पर बसें, गुलाबी, लाल, हरी, हैं, दिल्ली नगर निगम की शान। फिर भी दिल्ली मेट्रो, के बिना, यहां, कभी न चले काम। क्योंकि, सडकों पर पानी भरे, और कारें लगा रही है, जाम। और लोग फुटपाथ को रोक कर, बेच रहे हैं, निम्बू, जामुन, और आम। कर्मचारी, बचा रास्ता, रोक कर, ठेलों पर खडे, खा रहे हैं पान। न …

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ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना

ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना

वो कमीज के बटन ऊपर नीचे लगाना अपने बाल खुद न काढ पाना पी टी शूज को चाक से चमकाना वो काले जूतों को पैंट से पोछते जाना ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना … वो बड़े नाखुनो को दांतों से चबाना और लेट आने पे मैदान का चक्कर लगाना वो prayer के समय class में ही …

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एक तिनका – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ एक दिन जब था मुँडेरे पर खड़ा आ अचानक दूर से उड़ता हुआ एक तिनका आँख में मेरी पड़ा। मैं झिझक उठा हुआ बैचैन सा लाल होकर आँख भी दुखने लगी मूठ देने लोग कपड़े की लगे ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी। जब किसी ढब से निकल तिनका गया तब ‘समझ’ ने यों मुझे …

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प्यार की अभिलाषा – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

प्यार की अभिलाषा - सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

होती जो देह प्यार की परिभाषा, तो कोठों की कहानी कुछ और होती। बनते जो अधर ह्रदय की अभिलाषा, तो घर की रवानी कुछ और होती। होता जो प्यार कोई भौतिक चमचमाहट, तो ऊँची मीनारे न कभी धूल में मिलतीं। होता जो प्यार ऐश्वर्य कि तमतमाहट, तो महलों कि दीवारें खण्डहर न बनतीं। देह से अलग प्यार तो नैसर्गिक आराधना …

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आहिस्ता चल जिंदगी

आहिस्ता चल जिंदगी

आहिस्ता चल जिंदगी, अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है कुछ दर्द मिटाना बाकी है कुछ फर्ज निभाना बाकी है रफ़्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए कुछ छूट गए रूठों को मनाना बाकी है रोतों को हँसाना बाकी है कुछ रिश्ते बनकर, टूट गए कुछ जुड़ते – जुड़ते छूट गए उन टूटे – छूटे रिश्तों के जख्मों को मिटाना …

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एहसास – मनोज कुमार ‘मैथिल’

एहसास - मनोज कुमार ‘मैथिल’

तेज़ी से ऊपर उठती पतंग मानो जैसे आकाश को चीर आज उसकी थाह लेकर रहेगी आज, वो सब कुछ पाकर रहेगी जिसकी उसे तमन्ना थी। हवा भी उसकी मृग-तृष्णा के वेग को पुरजोर रूप से बढ़ा रही थी आज हवा ही उसकी परम मित्र थी जिसकी सहायता से वो शीघ्र अति शीघ्र अपनी मंज़िल पा लेगी। पर एक चीज़ उसके …

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दमा दम मस्त कलंदर – रुना लैला

दमा दम मस्त कलंदर - रुना लैला

ओह हो, ओह हो हो ओ लाल मेरी पट रखियो बल झूले लालन – २ सिन्ध्ड़ी दा सेहवन दा सखी शाबाज़ कलंदर दमा दम मस्त कलंदर, अली दम दम दे अंदर दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर ओ लाल मेरी, ओ लाल मेरी चार चराग तेरे बलां हमेशा – ३ पंजवा में बलां आई आन बला झूले लालन …

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