Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

गाँव जा कर क्या करेंगे – रामकुमार चतुर्वेदी ‘चंचल’

गाँव जा कर क्या करेंगे - रामकुमार चतुर्वेदी ‘चंचल’

गाँव जाकर क्या करेंगे? वृद्ध–नीमों–पीपलों की छाँव जाकर क्या करेंगे? जानता हूँ मैं कि मेरे पूर्वजों की भूमि है वह और फुरसत में सताती है वहाँ की याद रह–रह ढह चुकी पीढ़ी पुरानी, नई शहरों में बसी है गाँव ऊजड़ हो चुका, वातावरण में बेबसी है यदि कहूँ संक्षेप में तो जहाँ मकड़ी वहीं जाली जहाँ जिसकी दाल– रोटी, वहीं लोटा …

Read More »

पुण्य पर्व पन्द्रह अगस्त – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

पुण्य पर्व पन्द्रह अगस्त - शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

युग-युग की शांति अहिंसा की, लेकर प्रयोग गरिमा समस्त, इतिहास नया लिखने आया, यह पुण्य पर्व पन्द्रह अगस्त। पन्द्रह अगस्त त्योहार, राष्ट्र के चिरसंचित अरमानों का पन्द्रह अगस्त त्योहार, अनगिनित मूक-मुग्ध बलिदानों का। जो पैगम्बर पददलित देश का, शीश उठाने आया था आजन्म फकीरी ले जिसने, घर-घर में अलख जगाया था। भूमण्डल में जिसकी सानी का, मनुज नहीं जन्मा दूजा …

Read More »

रहने को घर नहीं है – हुल्लड़ मुरादाबादी

रहने को घर नहीं है - हुल्लड़ मुरादाबादी

कमरा तो एक ही है कैसे चले गुजारा बीबी गई थी मैके लौटी नहीं दुबारा कहते हैं लोग मुझको शादी-शुदा कुँआरा रहने को घर नहीं है सारा जहाँ हमारा। महँगाई बढ़ रही है मेरे सर पे चढ़ रही है चीजों के भाव सुनकर तबीयत बिगड़ रही है कैसे खरीदूँ मेवे मैं खुद हुआ छुआरा रहने को घर नहीं है सारा …

Read More »

क्या बताएं आपसे – हुल्लड़ मुरादाबादी

क्या बताएं आपसे - हुल्लड़ मुरादाबादी

क्या बताएँ आपसे हम हाथ मलते रह गए गीत सूखे पर लिखे थे, बाढ़ में सब बह गए। भूख, महगाई, गरीबी इश्क मुझसे कर रहीं थीं एक होती तो निभाता, तीनों मुझपर मर रही थीं मच्छर, खटमल और चूहे घर मेरे मेहमान थे मैं भी भूखा और भूखे ये मेरे भगवान् थे रात को कुछ चोर आए, सोचकर चकरा गए …

Read More »

नाजायज बच्चे – हुल्लड़ मुरादाबादी

नाजायज बच्चे - हुल्लड़ मुरादाबादी

परेशान पिता ने जनता के अस्पताल में फोन किया “डाक्टर साहब मेरा पूरा परिवार बीमार हो गया है बड़े बेटे आंदोलन को बुखार प्रदर्शन को निमोनिया तथा घेराव को कैंसर हो गया है सबसे छोटा बेटा ‘बंद’ हर तीन घंटे बाद उल्टियाँ कर रहा है मेरा भतीजा हड़ताल सिंह हार्ट अटैक से मर रहा है डाक्टर साहब, प्लीज जल्दी आइए …

Read More »

15 अगस्त 1947 – शील

15 अगस्त 1947 - शील

आज देश मे नई भोर है – नई भोर का समारोह है। आज सिन्धु-गर्वित प्राणों में उमड़ रहा उत्साह मचल रहा है नए सृजन के लक्ष्य बिन्दु पर कवि के मुक्त छन्द-चरणों का एक नया इतिहास। आज देश ने ली स्वंत्रतता आज गगन मुस्काया। आज हिमालय हिला पवन पुलके सुनहली प्यारी-प्यारी धूप। आज देश की मिट्टी में बल उर्वर साहस …

Read More »

फरियाद – प्रीत अरोड़ा

फरियाद - प्रीत अरोड़ा

आजादी के इस पावन अवसर पर आइए सुनते हैं इनकी फरियाद चीख-चीखकर ये भी कह रहे हैं आखिर हम हैं कितने आजाद पहली बारी उस मासूम लड़के की जो भुखमरी से ग्रस्त होकर न जाने हर रोज कितने अपराध कर ड़ालता है दूसरी बारी उस अबला नारी की जो आए दिन दहेज़ के लोभियों द्वारा सरेआम दहन कर दी जाती …

Read More »

वक़्त का सब्र

वक़्त का सब्र

आगे सफर था… और पीछे हमसफर था… रूकते तो सफर छूट जाता… और चलते तो हम सफर छूट जाता… मुद्दत का सफर भी था… और बरसो का हम सफर भी था… रूकते तो बिछड जाते… और चलते तो बिखर जाते… यूँ समँझ लो… प्यास लगी थी गजब की… मगर पानी मे जहर था… पीते तो मर जाते… और ना पीते …

Read More »

हम होंगे कामयाब – गिरिजा कुमार माथुर

हम होंगे कामयाब - गिरिजा कुमार माथुर

होंगे कामयाब होंगे कामयाब हम होंगे कामयाब एक दिन मन में है विश्वास पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन। होगी शांति चारो ओर होगी शांति चारो ओर होगी शांति चारो ओर… एक दिन मन में है विश्वास पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन। नहीं डर किसी का आज नहीं डर किसी का आज नहीं डर किसी …

Read More »

ट्रांसफर

Transfer

पापा का ट्रांसफर हो जाये तो नई जगह पर जाना पड़ता है, नए स्कूल में नए साथियो से परिचय बढ़ाना पड़ता है! पुराने स्थान पुराने साथियों की यादो को मन से हटाना पड़ता है कई अंकल ट्रांसफर होने पर भी परिवार को साथ नहीं ले जाते हैं, ऐसे हमारे सहपाठी वहीं रह कर परिवर्तन की पीड़ा से बच जाते है! …

Read More »