Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

इब्‍नबतूता बगल में जूता – गुलजार

इब्‍नबतूता बगल में जूता – गुलजार

इब्‍नबतूता बगल में जूता पहने तो करता है जुर्म उड़ उड़ आवे, दाना चुगे उड़ जावे चिड़िया फुर्र अगले मोड़ पर मौत खड़ी है अरे मरने की भी क्‍या जल्‍दी है हार्न बजा कर आ बगिया में दुर्घटना से देर भली है दोनों तरफ से बजती है यह आए हाए जिंदगी क्‍या ढोलक है हार्न बजा कर आ बगिया में …

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अलविदा अब्दुल कलाम

अलविदा अब्दुल कलाम

बोलते-बोलते अचानक धड़ाम से जमीन पर गिरा एक फिर वटवृक्ष फिर कभी नहीं उठने के लिए वृक्ष जो रत्न था वृक्ष जो शक्तिपुंज था वृक्ष जो न बोले तो भी खिलखिलाहट बिखेरता था चीर देता था हर सन्नाटे का सीना सियासत से कोसों दूर अन्वेषण के अनंत नशे में चूर वृक्ष अब नहीं उठेगा कभी अंकुरित होंगे उसके सपने फिर …

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क्यों पैदा किया था? – हरिवंश राय बच्चन

क्यों पैदा किया था? - हरिवंश राय बच्चन

जिंदगी और जमाने की कशमकश से घबराकर मेरे बेटे मुझसे पूछते हैं कि हमें पैदा क्यों किया था? और मेरे पास इसके सिवाय कोई जवाब नहीं है कि मेरे बाप ने मुझसे बिना पूछे मुझे क्यों पैदा किया था? और मेरे बाप को उनके बाप ने बिना पूछे उन्हें और उनके बाबा को बिना पूछे उनके बाप ने उन्हें क्यों …

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जी नही चाहता कि, नेट बंद करू

जी नही चाहता कि, नेट बंद करू

जी नही चाहता कि, नेट बंद करू! अच्छी चलती दूकान का, गेट बंद करू! हर पल छोटे – बड़े, प्यारे-प्यारे मैसेज, आते है! कोई हंसाते है, कोई रूलाते है! रोजाना हजारों, मैसेज की भीड़ में, कभी-कभी अच्छे, मैसेज भी छूट जाते है! मन नही मानता कि , दोस्तो पर कमेंट बंद करू! जी नही चाहता कि, नेट बंद करू! प्रात: …

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कौन यहाँ आया था – दुष्यंत कुमार

कौन यहाँ आया था - दुष्यंत कुमार

कौन यहाँ आया था कौन दिया बाल गया सूनी घर-देहरी में ज्योति-सी उजाल गया। पूजा की बेदी पर गंगाजल भरा कलश रक्खा था, पर झुक कर कोई कौतुहलवश बच्चों की तरह हाथ डाल कर खंगाल गया। आँखों में तिरा आया सारा आकाश सहज नए रंग रँगा थका- हारा आकाश सहज पूरा अस्तित्व एक गेंद-सा उछाल गया। अधरों में राग, आग …

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भूले हुओं का गीत – गिरिजा कुमार माथुर

भूले हुओं का गीत – गिरिजा कुमार माथुर

बरसों के बाद कभी हम तुम यदि मिलें कहीं देखें कुछ परिचित से लेकिन पहचाने ना याद भी न आये नाम रंग, रूप, नाम, धाम सोचें यह संभव है पर, मन से माने ना हो न याद, एक बार आया तूफान, ज्वार बन्द मिटे पृष्ठों को पढ़ने की ठानें ना बातें जो साथ हुईं बातें जो साथ गईं आँखें जो …

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मानसून – ओम प्रकाश बजाज

मानसून - ओम प्रकाश बजाज

मानसून की वर्षा आई, लू-लपट से मिली रिहाई! बच्चे-बूढ़े पुरुष महिलाएं, हर चेहरे पर रौनक आई! प्रतीक्षा करती हर आँख में, इसके आने की ख़ुशी समाई! कभी रिमझिम, कभी झमाझम, वर्षा का क्रम बना हुआ है! आसमान से पानी के रूप में, जैसे अमृत बरस रहा है! धरती और धरती वालों की, प्यास बुझाने में जुटा हुआ है!

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साथ – साथ – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

साथ - साथ - सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

तुम सामने होती हो तो शब्द रुक जाते हैं तुम औझल होती हो तो वही शब्द प्रवाह बन जाते हैं तुम बोलती हो तो प्रश्न उठते हैं कि क्या बोलूं तुम बोलते हुए रूक जाती हो तो अनसुलझे सवाल मेरी उलझन में समा जाते हैं तुम चहकती हो तो पूनमी रात का चाँद धवल चांदनी सा फ़ैल जाता है तुम …

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बाल गोपाल – राम प्रसाद शर्मा

Baal Gopal

खेलें आँगन बाल गोपाल, नाचें-कूदें गलबहियां डाल। तरह-तरह के साज बजाएं, देशप्रेम के गीत गाएं। झगड़ा-टंटा करे न भाई, मन में इनके हो सच्चाई। खेल-खेल में धूम मचाएं, एक स्वर से गाना गाएं। आँखों के बन जाएँ तारें, तब तो होंगे पो वारे। कहे ‘प्रसाद’ देखो खेल, कैसे बढ़ता इनका मेल। ∼ राम प्रसाद शर्मा

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ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय – योगेश

ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय - योगेश

ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय कभी तो हँसाए, कभी ये रुलाये कभी देखो मन नहीं जागे, पीछे-पीछे सपनों के भागे एक दिन सपनों का राही, चला जाये सपनो के आगे कहाँ ज़िन्दगी कैसी है पहेली… जिन्होंने सजाये यहाँ मेले, सुख-दुःख संग-संग झेले वही चुनकर खामोशी, यूँ चले जाएँ अकेले कहाँ ज़िन्दगी कैसी है पहेली… ∼ योगेश चित्रपट : आनंद (1971) निर्माता …

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