Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

मेंढक मामा खेल खेलते – श्री प्रसाद

मेंढक मामा खेल खेलते, उछल-उछल कर पानी में। कभी किसी को धक्का देते, होते जब शैतानी में। तभी मेंढकी डांट पिलाती, कहती “माफ़ी माँगो जी”। “धक्का दिया किया ऊधम क्यों? दूर यहाँ से भागो जी।” मेंढक मामा रोने लगते, मिलती उनको माफ़ी तब। उन्हें मेंढकी चुप करने को, तुरंत खिलाती टॉफी तब। ∼ श्री प्रसाद

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पीढ़ियां – सुषम बेदी

एक गंध थी माँ की गोद की एक गंध थी माँ की रचना की एक गंध बीमार बिस्तर पर माँ की झुर्रियों, दवा की शीशियों की टिंचर फिनायल में रपटी सहमी अस्पताल हवा की या डूबे-डूबे या कभी तेज़ कदमों से बढ़ते अतीत हो जाने की एक गंध है माँ के गर्भ में दबी शंकाओं की कली के फूटने और …

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प्रवासी गीत – विनोद तिवारी

चलो, घर चलें, लौट चलें अब उस धरती पर; जहाँ अभी तक बाट तक रही ज्योतिहीन गीले नयनों से (जिनमें हैं भविष्य के सपने कल के ही बीते सपनों से), आँचल में मातृत्व समेटे, माँ की क्षीण, टूटती काया। वृद्ध पिता भी थका पराजित किन्तु प्रवासी पुत्र न आया। साँसें भी बोझिल लगती हैं उस बूढ़ी दुर्बल छाती पर। चलो, …

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पक्षी होते प्यारे सारी दुनिया माने

पक्षी होते प्यारे सारी दुनिया माने, आओ बच्चों हम भी इनको जानें। तोता-मैना सबकी बोलें, उल्लू न दिन में आँखें खोले। उड़ने में है तीतर कमजोर, झपटने में नहीं चील सा और। भाईचारे का सतबहिनी में नाता, पक्षियों का शिकारी बाज कहाता। कोयल है सबसे सुन्दर है गाती, गौरैया कौए से ढीठ है कहाती। कबूतर है सबसे भोला-भाला, भुजंगा सबकी …

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पानी की कमी – राजकुमार जैन ‘राजन’

fपानी की है कमी इस कदर, सुख गयी हैं झीलें, दरक गयी उपजाऊ भूमि, ताल रहे न गिले। नदियों, कुओं, तालाबों से, रूठ गया है पानी, कहते हैं कुछ समझदार, ये है अपनी नादानी। पर्यावरण बिगाड़ा हमने, हरे पेड़ काटे हैं, पंछी का दाना छिना है, दुःख सबको बांटें हैं। अभी वक़्त है, वर्षा के, जल को चलो सहेजें, खेतों …

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प्रिया – गगन गुप्ता ‘स्नेह’

[ads]जैसे बारिश और हवा का साथ हो, जैसे दिल में छुपी कुछ बात हो। जैसे फिजाओं में महकी एक आस हो, जैसे मिलती सांस से सांस हो॥ गगन पर छा रही है बदलियां, सुर्ख हो रहा है आसमां का रंग नया। शाम की लाली अब लगी है छाने यहां, होने वाली है प्यारी रात अब यहां॥ जैसे रात से दिन …

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रत्नम गीता सार – मनोहर लाल ‘रत्नम’

आप चिन्ता करते हो तो व्यर्थ है। मौत से जो डरते हो तो व्यर्थ है॥ आत्मा तो चिर अमर है जान लो। तथ्य यह जीवन का सच्चा अर्थ है॥ भूतकाल जो गया अच्छा गया। वर्तमान देख लो चलता भया॥ भविष्य की चिन्ता सताती है तुम्हें? है विधाता सारी रचना रच गया॥ नयन गीले हैं, तुम्हारा क्या गया। साथ क्या लाये, …

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रिश्तों पर दीवारें – मनोहर लाल ‘रत्नम’

टूटी माला बिखरे मनके, झुलस गये सब सपने। रिश्ते नाते हुए पराये, जो कल तक थे अपने॥ अंगुली पकड़ कर पाँव चलाया, घर के अँगनारे में, यौवन लेकर सम्मुख आया, वह अब बटवारे में। उठा नाम बटवारे का तो, सब कुछ लगा है बटने॥ टूटी माला बिखरे मनके, झुलस गये सब सपने… रिश्तों की अब बूढ़ी आँखें, देख–देख पथरायीं, आशाओं …

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सभा – अजीत सिंह

जहां बात-बात पर हाथ चले, उसे कहते हैं ग्राम सभा। जहां बात-बात पर लात चले, उसे कहते हैं विधानसभा। जहां एक कहे और सब सुनें, उसे कहते हैं शोक सभा। जहां सब कहें और कोई न सुने, उसे कहते हैं लोकसभा। ∼ अजीत सिंह

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