Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

रेलगाड़ी – महजबीं

छुक-छुक, छुक-छुक करती रेल, धुआं उड़ाती चलती रेल। देखों बच्चों आई रेल। रंग होता है लाल इसका, इंजन लेकिन काला इसका। पेड़, नदी, खेत, खलियान, पार कर जाती चाय की दुकान। जाती जयपुर, मालवा, खांडवा, रायपुर, बरेली और आगरा। किसी शहर से किसी नगर से, नहीं है इसका झगड़ा-वगड़ा। ∼ महजबीं

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सम्पूर्ण यात्रा – दिविक रमेश

प्यास तो तुम्हीं बुझाओगी नदी मैं तो सागर हूँ प्यासा अथाह। तुम बहती रहो मुझ तक आने को। मैं तुम्हें लूँगा नदी सम्पूर्ण। कहना तुम पहाड़ से अपने जिस्म पर झड़ा सम्पूर्ण तपस्वी पराग घोलता रहे तुममें। तुम सूत्र नहीं हो नदी न ही सेतु सम्पूर्ण यात्रा हो मुझ तक जागे हुए देवताओं की चेतना हो तुम। तुम सृजन हो …

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सांध्य सुंदरी – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

दिवसावसान का समय मेघमय आसमान से उतर रही है वह सांध्य सुंदरी परी–सी – धीरे धीरे धीरे। तिमिरांचल में चंचलता का नहीं कहीं आभास मधुर मधुर हैं दोनों उसके अधर– किन्तु ज़रा गंभीर – नहीं है उनमें हास विलास। हँसता है तो केवल तारा एक गुँथा हुआ उन घुँघराले काले बालों से, हृदयराज्य की रानी का वह करता है अभिषेक। …

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सीपों से मोती पाने को – मनोहर लाल ‘रत्नम’

सीपों से मोती पाने को, मैं सागर तट पर खड़ा रहा। धरती पर मानव खोज रहा, मैं बना दधिचि अड़ा रहा॥ मानव का जीवन सीपों सा, कुछ भरा हुआ कुछ रीता सा। कुछ गुण, कुछ अवगुण, रमें हुए, कुछ गीता सा, कुछ सीता सा॥ मुझसे लहरों का कहना था, मैं सुनने को बस अड़ा रहा। सीपों से मोती पाने को, …

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शौक गुलाबी पंखुड़ियों का – मनोज कुमार ‘मैथिल’

हमें भी शौक हुआ था किताबों के पन्नों में गुलाबी पंखुड़ियों का न जाने कब यह शौक मन में कुलबुलाने लगा। गुलाबी पंखुड़ियों को तोड़ किताबों के पन्नों में डाल दिया करते थे शायद इस आशा में की ये पंखुड़ियां हमेशा ताजा रहेंगी यूँ ही अपने सुगंधों को फैलाती पर आज जब उन पन्नों को खोल रहा था, देखा सूख …

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भालू की शादी

भालू की शादी में आए, बन्दर और बटेर। हाथी आया, अजगर आया, आया बूढ़ा शेर। बन्दर ने ढोलकी बजाई, कोयल ने शहनाई। बिल्ली मौसी बेहद खुश थी, खाकर दूध–मलाई।

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शेर निराला हिम्मतवाला

शेर निराला हिम्मत वाला, लम्बी लम्बी मूंछों वाला, तेज नुकीले दांतों वाला, सब का दिल दहलाने वाला, हटो–हटो आया शेर, भागो–भागो आया शेर।

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तारे – शम्भू नाथ

तारे - शम्भू नाथ

लगते तारे कितने प्यारे, आसमान के हैं रखवाले, आसमान में टीप–टिप करते, बच्चे इनके हैं मतवाले, प्यारे–प्यारे ये चमकीले, सब को मन के भाने वाले, शाम जब होने को आती, लाल रंग के ये हो जाते, सारी रात बच्चों की भाँती, इधर उधर को सैर लगाते, सारी रात बातें कर–करके, सुबह होते ही घर को जाते, दिन को सोते लूप–छुप …

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तपस्या – डॉ. रीटा हजेला ‘आराधना’

तपस्या - डॉ. रीता हजेला ‘आराधना’

एक लड़की ने भगवान से माँगा वरदान, मुझे भी दे दो पंख मैं नापना चाहती हूँ आसमान। भगवान ने कहा ठीक है मगर तू सिर्फ सपने में उड़ सकेगी, हकीकत के लिए तुझे करनी पड़ेगी अभी और तपस्या। लड़की ने भगवान से कहा मुझे शक्ति दे दो ताकि मैं चढ़ सकूँ पहाड़, क्योंकि मैं चोटी पर बैठ करना चाहती हूँ …

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