Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

लाला जी ने केला खाया

लाला जी ने केला खाया, केला खाकर मुँह बिचकाया। मुँह बिचकाकर तोंद फुलाई, तोंद फुलाकर छड़ी उठाई। छड़ी उठाकर कदम बढ़ाया, कदम के नीचे छिलका आया। लाला जी तब गिरे धड़ाम, मुँह से निकला हाय राम !

Read More »

मान जाओ – गगन गुप्ता ‘स्नेह’

मुझे बहुत डर लगता है तुम यूँ ही रूठ जाया न करो कितना तड़पाता है ये मुझको ऐसे दूर जाया न करो। ऐसे ही मैं कुछ कह देता हूँ दिल पर तुम लगाया न करो स्नेह तो मैं भी करता हूँ फिर भी, ……चलो अब छोड़ो ……… बस अब मान जाओ। ∼ गगन गुप्ता ‘स्नेह’

Read More »

धुंधले सपने – गगन गुप्ता ‘स्नेह’

मेरे कैनवास पर कुछ धुंधले से चित्र उकर आए हैं यादों में बसे कुछ अनछुए से साए हैं तूलिका, एक प्लेट में कुछ रंग लाल, पीला, नीला, सफेद… मेरे सामने पड़े हैं और ये कह हैं रहे भर दो इन्हें चित्रों में और खोल लो आज दिल की तहें। अगर मैं लाल रंग उठाता हूं तो बरबस मां का ध्यान …

Read More »

मैं फिर जन्म लूंगा – गगन गुप्ता ‘स्नेह’

मैं फिर जन्म लूंगा क्या हुआ जो आज जमाने ने मुझे हरा दिया क्या हुआ अगर आज मेरे अपने मुझे धोखा दे गए मैं फिर जन्म लूंगा… अपने सपनों को पूरा करने ब्रह्मा ने तो सृष्टि बनाई है उसमें से मुझे अपनी मंज़िल पानी है अभी ढेर-सा काम बाकी है अभी तो बहुत से किले जीतने है मुझे इस सृष्टि …

Read More »

मकान – नरेश अग्रवाल

ये अधूरे मकान लगभग पूरे होने वाले हैं और जाड़े की सुबह में कितनी शांति है थोड़े से लोग ही यहां काम कर रहे हैं कई कमरे तो यूं ही बंद खूबसूरती की झलक अभी बहुत ही कम दिन ज्यूं-ज्यूं बढ़ते जाएंगे काम भी पूरे होते जाएंगे। खाली जगह से इतना बड़ा निर्माण और चांद को भी रोशनी बिखेरने के …

Read More »

मेरी किताब – सारिका अग्रवाल

मेरी किताब एक अनोठी किताब, रहना चाहती हरदम मेरे पास। बातें अनेक करती जुबानी सिखलाती ढंग जीने का॥ मेरे प्रश्नों के उत्तर इसके पास, हल करती तुरंत बार-बार। हर एक पन्ने का नया अंदाज़, मजबूर करता मुझे समझने को बार-बार॥ नया रंग नया ढंग, मिलेगा भला ऐसा किस के पास। मेरी किताब एक अनोठी किताब, रहना चाहती हरदम मेरे पास॥ …

Read More »

मेरी दादी – परिणीता सुनील इंदुलकर

मेरी दादी बड़ी प्यारी, दुनिया से है वह न्यारी। दादी मेरी अच्छी है, मुझको करती है वह प्यार। मुझको मिलता इनका दुलार, टॉफ़ी मुझको देतीं। बालाएं मेरी लेती है, गले से मुझको लगाती है। रूठ जाऊं तो मनाती है, दादी मेरी प्यारी है। ∼ परिणीता सुनील इंदुलकर

Read More »

मेरी बिल्ली काली पीली

मेरी बिल्ली काली पीली, पानी में हो गयी वो गीली। गीली होकर लगी कांपने, ऑछी-ऑछी लगी छींकने। मैं फिर बोली कुछ तो सीख, बिना रुमाल के कभी ना छींक।

Read More »

मेरी रेल – सुधीर

छूटी मेरी रेल। रे बाबू, छूटी मेरी रेल। हट जाओ, हट जाओ भैया। मैं न जानूं फिर कुछ भैया। टकरा जाये रेल। धक्-धक् धक्-धक्, धू-धू, धू-धू। भक्-भक्, भक्-भक्, भू-भू, भू-भू। छक्-छक् छक्-छक्, छू-छू, छू-छू। करती आई रेल। इंजन इसका भारी-भरकम। बढ़ता जाता गमगम गमगम। धमधम धमधम, धमधम धमधम। करता ठेलम ठेल। सुनो गार्ड ने दे दी सीटी। टिकट देखता फिरता …

Read More »