Hullad Moradabadi

हुल्लड़ मुरादाबादी (29 मई 1942 – 12 जुलाई 2014) इनका वास्तविक नाम सुशील कुमार चड्ढा, एक हिंदी हास्य कवि थे। इतनी ऊंची मत छोड़ो, क्या करेगी चांदनी, यह अंदर की बात है, तथाकथित भगवानों के नाम जैसी हास्य कविताओं से भरपूर पुस्तकें लिखने वाले हुल्लड़ मुरादाबादी को कलाश्री, अट्टहास सम्मान, हास्य रत्न सम्मान, काका हाथरसी पुरस्कार जैसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा द्वारा मार्च 1994 में राष्ट्रपति भवन में अभिनंदन हुआ था। हुल्लड़ मुरादाबादी का जन्म 29 मई 1942 को गुजरावाला, पाकिस्तान में हुआ था। बंटवारे के दौरान परिवार के साथ मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश आ गए थे। शुरुआत में उन्होंने वीर रस की कविताएं लिखी लेकिन कुछ समय बाद ही हास्य रचनाओं की ओर उनका रुझान हो गया और हुल्लड़ की हास्य रचनाओं से कवि मंच गुलजार होने लगे। सन 1962 में उन्होंने ‘सब्र’ उप नाम से हिंदी काव्य मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। बाद में वह हुल्लड़ मुरादाबादी के नाम से देश दुनिया में पहचाने गए। उनका एक दोहा- पूर्ण सफलता के लिए, दो चीजें रख याद, मंत्री की चमचागिरी, पुलिस का आशीर्वाद।’ राजनीति पर उनकी कविता- ‘जिंदगी में मिल गया कुरसियों का प्यार है, अब तो पांच साल तक बहार ही बहार है, कब्र में है पांव पर, फिर भी पहलवान हूं, अभी तो मैं जवान हूं...।’ उन्होंने कविताओं और शेरो शायरी को पैरोडियों में ऐसा पिरोया कि बड़ों से लेकर बच्चे तक उनकी कविताओं में डूबकर मस्ती में झूमते रहते। एचएमवी एवं टीसीरीज से कैसेट्स से ‘हुल्लड़ इन हांगकांग’ सहित रचनाओं का एलबम भी हैं। उन्होंने बैंकाक, नेपाल, हांगकांग, तथा अमेरिका के 18 नगरों में यात्राये भी की।

साल आया है नया: हुल्लड़ मुरादाबादी की हास्य कविता

साल आया है नया - हुल्लड़ मुरादाबादी

Hullad Moradabadi (29 May 1942 – 12 July 2014) was an Indian poet, humorist and satirist of Hindi language. He had authored several Hindi books including Itni uchi mat chodo, kya karegi chandni, Ye ander ki bat hai, Triveni and Hullad ka Hullad. He was a poet of Hindi Kavi sammelan. Born in Gujranwala, now in Pakistan as Susheel Kumar …

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Hullad Muradabadi Hasya Vyang Poem on Drinking पीने का बहाना

Hullad Muradabadi Hasya Vyang Poem on Drinking पीने का बहाना

हौसले को आज़माना चाहिये मुशकिलों में मुसकुराना चाहिये खुजलियाँ जब सात दिन तक ना रुकें आदमी को तब नहाना चाहिये साँप नेता साथ में मिल जाएँ तो लट्ठ नेता पर चलाना चाहिये सिर्फ चारे से तसल्ली कर गए आपको तो देश खाना चाहिये! जो इलैक्शन हार जाए क्या करे? तिरुपति में सिर मुँडाना चाहिये हाथ ही अब तक मिलाए आज …

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Hasya Vyang Hindi Poem हुल्लड़ और शादी – हुल्लड़ मुरादाबादी

Hasya Vyang Hindi Poem हुल्लड़ और शादी - हुल्लड़ मुरादाबादी

हुल्लड़ और शादी – हुल्लड़ मुरादाबादी दूल्हा जब घोड़ी चढ़ा, बोले रामदयाल हुल्लड़ जी बतलइए, मेरा एक सवाल मेरा एक सवाल, गधे पर नहीं बिठाते दूल्हे राजा क्यों घोड़ी पर चढ़ कर आते? कह हुल्लड़ कविराय, ब्याह की रीत मिटा दें एक गधे को, गधे दूसरे पर बिठला दें! मंडप में कहनें लगीं, मुझसे मिस दस्तूर लड़की की ही माँग में, …

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रहने को घर नहीं है – हुल्लड़ मुरादाबादी

रहने को घर नहीं है - हुल्लड़ मुरादाबादी

कमरा तो एक ही है कैसे चले गुजारा बीबी गई थी मैके लौटी नहीं दुबारा कहते हैं लोग मुझको शादी-शुदा कुँआरा रहने को घर नहीं है सारा जहाँ हमारा। महँगाई बढ़ रही है मेरे सर पे चढ़ रही है चीजों के भाव सुनकर तबीयत बिगड़ रही है कैसे खरीदूँ मेवे मैं खुद हुआ छुआरा रहने को घर नहीं है सारा …

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क्या बताएं आपसे – हुल्लड़ मुरादाबादी

क्या बताएं आपसे - हुल्लड़ मुरादाबादी

क्या बताएँ आपसे हम हाथ मलते रह गए गीत सूखे पर लिखे थे, बाढ़ में सब बह गए। भूख, महगाई, गरीबी इश्क मुझसे कर रहीं थीं एक होती तो निभाता, तीनों मुझपर मर रही थीं मच्छर, खटमल और चूहे घर मेरे मेहमान थे मैं भी भूखा और भूखे ये मेरे भगवान् थे रात को कुछ चोर आए, सोचकर चकरा गए …

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नाजायज बच्चे – हुल्लड़ मुरादाबादी

नाजायज बच्चे - हुल्लड़ मुरादाबादी

परेशान पिता ने जनता के अस्पताल में फोन किया “डाक्टर साहब मेरा पूरा परिवार बीमार हो गया है बड़े बेटे आंदोलन को बुखार प्रदर्शन को निमोनिया तथा घेराव को कैंसर हो गया है सबसे छोटा बेटा ‘बंद’ हर तीन घंटे बाद उल्टियाँ कर रहा है मेरा भतीजा हड़ताल सिंह हार्ट अटैक से मर रहा है डाक्टर साहब, प्लीज जल्दी आइए …

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भारतीय रेल – हुल्लड़ मुरादाबादी

एक बार हमें करनी पड़ी रेल की यात्रा देख सवारियों की मात्रा पसीने लगे छूटने हम घर की तरफ़ लगे फूटने। इतने में एक कुली आया और हमसे फ़रमाया साहब अंदर जाना है? हमने कहा हां भाई जाना है उसने कहा अंदर तो पंहुचा दूंगा पर रुपये पूरे पचास लूंगा हमने कहा समान नहीं केवल हम हैं तो उसने कहा …

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हुल्लड़ के दोहे – हुल्लड़ मुरादाबादी

कर्ज़ा देता मित्र को, वह मूर्ख कहलाए, महामूर्ख वह यार है, जो पैसे लौटाए। बिना जुर्म के पिटेगा, समझाया था तोय, पंगा लेकर पुलिस से, साबित बचा न कोय। गुरु पुलिस दोऊ खड़े, काके लागूं पाय, तभी पुलिस ने गुरु के, पांव दिए तुड़वाय। पूर्ण सफलता के लिए, दो चीज़ें रखो याद, मंत्री की चमचागिरी, पुलिस का आशीर्वाद। नेता को …

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मुस्कुराने के लिए – हुल्लड़ मुरादाबादी

मसखरा मशहूर है, आँसू बहाने के लिए बाँटता है वो हँसी, सारे ज़माने के लिए। जख्म सबको मत दिखाओ, लोग छिड़केंगे नमक आएगा कोई नहीं, मरहम लगाने के लिए। देखकर तेरी तरक्की, ख़ुश नहीं होगा कोई लोग मौक़ा ढूँढते हैं, काट खाने के लिए। फलसफ़ा कोई नहीं है, और न मकसद कोई लोग कुछ आते जहाँ में, हिनहिनाने के लिए। …

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क्या करेगी चांदनी – हुल्लड़ मुरादाबादी

चांद औरों पर मरेगा क्या करेगी चांदनी प्यार में पंगा करेगा क्या करेगी चांदनी? डिग्रियाँ हैं बैग में पर जेब में पैसे नहीं नौजवाँ फ़ाँके करेगा क्या करेगी चांदनी? लाख तुम फ़सलें उगा लो एकता की देश में इसको जब नेता चरेगा क्या करेगी चांदनी? रोज़ ड्यूटी दे रहा है एक भी छुट्टी नहीं सूर्य को जब फ्लू धरेगा क्या …

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