Kedarnath Agarwal

केदारनाथ अग्रवाल (जन्म: 1 अप्रैल, 1911 - मृत्यु: 22 जून, 2000) प्रगतिशील काव्य-धारा के एक प्रमुख कवि हैं। उनका पहला काव्य-संग्रह 'युग की गंगा' देश की आज़ादी के पहले मार्च, 1947 में प्रकाशित हुआ। हिंदी साहित्य के इतिहास को समझने के लिए यह संग्रह एक बहुमूल्य दस्तावेज़ है। केदारनाथ अग्रवाल ने मार्क्सवादी दर्शन को जीवन का आधार मानकर जनसाधारण के जीवन की गहरी व व्यापक संवेदना को अपने कवियों में मुखरित किया है। कवि केदारनाथ की जनवादी लेखनी पूर्णरूपेण भारत की सोंधी मिट्टी की देन है। इसीलिए इनकी कविताओं में भारत की धरती की सुगंध और आस्था का स्वर मिलता है।

ईद मुबारक: केदारनाथ अग्रवाल Hindi Poem on Eid Festival

Hindi Poem on Eid Festival ईद मुबारक

ईद मुबारक Hindi Poem on Eid Festival – मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा पर्व ईद होता है। रमजान का महीना खत्म होने के बाद मीठी ईद मनाई जाएगी। यह पर्व लोगों के बीच प्रेम और भाईचारे का प्रतीक रहा है और साथ ही बच्चे-बड़े ईदी पाने के लिए इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं। पूरे एक महीने के …

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बसंती हवा: केदार नाथ अग्रवाल

बसंती हवा - केदार नाथ अग्रवाल

बसंती हवा: केदारनाथ अग्रवाल (१ अप्रैल १९११ – २२ जून २०००) प्रमुख हिन्दी कवि थे। १ अप्रैल १९११ को उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद के कमासिन गाँव में हनुमान प्रसाद गुप्ता व घसीटो देवी के घर हुआ था। केदार जी के पिताजी स्वयं कवि थे और उनका एक काव्य संकलन ‘मधुरिम’ के नाम से प्रकाशित भी हुआ था। केदार जी …

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मांझी न बजाओ बंशी – केदार नाथ अग्रवाल

मांझी न बजाओ बंशी – केदार नाथ अग्रवाल

मांझी न बजाओ बंशी मेरा मन डोलता। मेरा मन डोलता जैसे जल डोलता। जल का जहाज जैसे पल पल डोलता। मांझी न बजाओ बंशी‚ मेरा मन डोलता। मांझी न बजाओ बंशी मेरा प्रन टूटता‚ मेरा प्रन टूटता जैसे तृन टूटता‚ तृन का निवास जैसे वन वन टूटता। मांझी न बजाओ बंशी‚ मेरा प्रन टूटता। मांझी न बजाओ बंशी मेरा तन …

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