प्रभुदयाल श्रीवास्तव की प्रसिद्ध बाल-कविताएँ

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की प्रसिद्ध बाल-कविताएँ

अपना फर्ज निभाता पेड़: प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल-कविता [16]

दादाजी-दादाजी बोलो,
पेड़ लगा जो आंगन में।
इतना बड़ा हुआ दादाजी,
बोलो तो कितने दिन में?

मुझको यह सच-सच बतलाओ,
किसने इसे लगाया था।
हरे आम का खट्टा-खट्टा,
फल इसमें कब आया था?

मात्र बरस दस पहले मैंने,
बेटा इसे लगाया था।
हुआ बरस छह का था जब ये,
तब पहला फल आया था।

बीज लगाया था जिस दिन से,
खाद दिया, जल रोज दिया।
पनपा खुली हवा में पौधा,
मिली धूप तो रूप खिला।

तना गया बढ़ता दिन पर दिन,
डाली पर फुनगे फूटे।
हवा चली जब सर-सर सर-सर,
गान पत्तियों के गूँजे।

पहला फूल खिला डाली पर,
विटप बहुत मुस्काया था।
जब बदली मुस्कान हंसी में,
तब पहला फल आया था।

तब से अब तक हम सबने ही,
ढेर-ढेर फल खाये हैं।
जब से ही यह खड़ा बेचारा,
अविरल शीश झुकाये है।

इसे नहीं अभिमान जरा भी,
कुछ भी नहीं मंगाता है,
बस देते रहने का हरदम,
अपना फर्ज निभाता है।

~ प्रभुदयाल श्रीवास्तव

Check Also

Hanuman - The Powerful

Hanuman: The Powerful – Poetry On Monkey God

Hanuman: The Powerful You are the monkey god, the real superman Son of Vayu Deva …