Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

कनुप्रिया (इतिहास: एक प्रश्न) – धर्मवीर भारती

अच्छा, मेरे महान् कनु, मान लो कि क्षण भर को मैं यह स्वीकार लूँ कि मेरे ये सारे तन्मयता के गहरे क्षण सिर्फ भावावेश थे, सुकोमल कल्पनाएँ थीं रँगे हुए, अर्थहीन, आकर्षक शब्द थे– मान लो कि क्षण भर को मैं यह स्वीकार कर लूँ कि पाप-पुण्य, धर्माधर्म, न्याय-दण्ड क्षमा-शील वाला यह तुम्हारा युद्ध सत्य है– तो भी मैं क्या …

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हमराही – राजीव कृष्ण सक्सेना

ओ मेरे प्यारे हमराही, बड़ी दूर से हम तुम दोनों संग चले हैं पग पर ऐसे, गाडी के दो पहिये जैसे। कहीं पंथ को पाया समतल कहीं कहीं पर उबड़-खाबड़, अनुकम्पा प्रभु की इतनी थी, गाडी चलती रही बराबर। कभी हंसी थी किलकारी थी कभी दर्द पीड़ा भारी थी, कभी कभी थे भीड़-झमेले कभी मौन था, लाचारी थी। रुके नहीं …

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हम भी वापस जायेंगे – अभिनव शुक्ला

आबादी से दूर, घने सन्नाटे में, निर्जन वन के पीछे वाली, ऊँची एक पहाड़ी पर, एक सुनहरी सी गौरैया, अपने पंखों को फैलाकर, गुमसुम बैठी सोंच रही थी, कल फिर मैं उड़ जाऊँगी, पार करुँगी इस जंगल को, वहां दूर जो महके जल की, शीतल एक तलैया है, उसका थोड़ा पानी पीकर, पश्चिम को मुड़ जाऊँगी, फिर वापस ना आऊँगी, …

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कनुप्रिया (इतिहास: शब्द – अर्थहीन) – धर्मवीर भारती

पर इस सार्थकता को तुम मुझे कैसे समझाओगे कनु ? शब्द, शब्द, शब्द…… मेरे लिए सब अर्थहीन हैं यदि वे मेरे पास बैठकर मेरे रूखे कुन्तलों में उँगलियाँ उलझाए हुए तुम्हारे काँपते अधरों से नहीं निकलते शब्द, शब्द, शब्द…… कर्म, स्वधर्म, निर्णय, दायित्व…… मैंने भी गली-गली सुने हैं ये शब्द अर्जुन ने चाहे इनमें कुछ भी पाया हो मैं इन्हें …

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बच्चों की रेल

बच्चों की यह रेल है, बड़ा अनोखा खेल है। यह कोयला नहीं खाती है , इसे मिठाई भाती है। यह नहीं छोड़ती धुआं, मुड़ जाती देख कर कुआँ। चलते-चलते जाती रुक, छुक-छुक, छुक-छुक, छुक-छुक, छुक-छुक।

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जन्म दिन मुबारक हो – मूलचंद गुप्ता

जन्म दिन मुबारक हो, मुबारक हो जन्मदिन। आपके जीवन में, बार – बार आये यह दिन॥ दुनिया का मालिक, आपको बख्शे अच्छी सेहत। खुशियाँ ही खुशियाँ, बरसाती रहे उसकी नेमत॥ माना आइना नहीं जाता मेघ मल्हार, बुजुर्गों के किये। फिर भी बहुत कुछ हो सकता है बुजुर्गों के लिए॥ शारीरिक शक्ति, अगर कुछ कम हो भी गयी तो क्या है? …

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जीवन दीप – विनोद तिवारी

मेरा एक दीप जलता है। अंधियारों में प्रखर प्रज्ज्वलित, तूफानों में अचल, अविचलित, यह दीपक अविजित, अपराजित। मेरे मन का ज्योतिपुंज जो जग को ज्योतिर्मय करता है। मेरा एक दीप जलता है। सूर्य किरण जल की बून्दों से छन कर इन्द्रधनुष बन जाती, वही किरण धरती पर कितने रंग बिरंगे फूल खिलाती। ये कितनी विभिन्न घटनायें, पर दोनों में निहित …

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जय हिन्द – महजबीं

देखो बच्चों यह झंडा प्यारा, तीन रंगों का मेल सारा। रहे सदा ये झंडा ऊँचा आकाश को रहे यह छूता। सदा करो तुम इसका मान, कभी न करना इसका अपमान। झंडा है यह देश की शान, बना रहे यह सदा महान। जय हिन्द ! ∼ महजबीं

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जीवन – सारिका अग्रवाल

संभलकर रखना इस जीवन में कदम, कौन करेगा तुम्हारी कदर, सागर से विशाल आसमान यहाँ, अनगिनत सितारे यहाँ, इंसानों के रंग हज़ार यहाँ कौन समझेगा तुमको यहाँ, कौन खरीदेगा तुम्हारे आंसू यहाँ, संभलकर रखना इस जीवन में कदम। ∼ सारिका अग्रवाल

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