Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

देश की मिट्टी – शम्भू नाथ

इस मिट्टी से बैर करो मत, ये मिट्टी ही सोना है। इसी में हंसना इसी में गाना, इसी में यारों रोना है। इस मिट्टी में जन्म लिये हो, इसी मिट्टी में रहना है। इसी में खा के इसी में जा के, इसी में वापस आना है। इससे प्रेम करोगे प्यारे, नाम अमर हो जाना है। इसी में सपना इसी में …

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केजरीवाल चालीसा – शम्भू नाथ

दोहा: सच्चाई की अलख जगाई जनता दे दिया साथ॥ विजय पताका हासिल कर ली खा गए सारे मात॥ चौपाई: जय केजरी कुंवर बलवंता। मनीष कुमार और भगवंता॥ सच की टोपी सर पर सोहे। मृदु वचन से जनता मोहे॥ पूर्ण वादे को करने वाले। लोगों का दुःख रहने वाले॥ भ्रष्टाचार को करो उजागर। अत्याचारी की फोड़ो गागर॥ नीति विरोध काम नहीं …

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क्यों करते हो झगड़े – शम्भू नाथ

क्यों करते हो झगड़े, क्यों पालते हो लफ़ड़े आपस में प्रेम करो, बैर विरोध मिटाओ। सब छोड़ यहीं जाना है, कुछ साथ नहीं जायेगा अच्छाई और बुराई का लेख, यहीं रह जायेगा रह-रह कर प्यारे, तू भी पछतायेगा। ये पानी की बूंदें हैं, सागर का किनारा है यहाँ सबको आना है, सबको जाना है जब जाना है अकेला तो, क्यों करते हो झमेला सब कुछ …

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कुंजी – रामधारी सिंह दिनकर

घेरे था मुझे तुम्हारी साँसों का पवन, जब मैं बालक अबोध अनजान था। यह पवन तुम्हारी साँस का सौरभ लाता था। उसके कंधों पर चढ़ा मैं जाने कहाँ-कहाँ आकाश में घूम आता था। सृष्टि शायद तब भी रहस्य थी। मगर कोई परी मेरे साथ में थी; मुझे मालूम तो न था, मगर ताले की कूंजी मेरे हाथ में थी। जवान …

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किताब – हिमानी जैन

जब कोई दोस्त हो हमारे खिलाफ, तो मदद करती हैं कुछ किताब, जब हो हमारे इम्तिहान पास, तो मदद मिलती है इनसे ख़ास। जब कोई हमसे हो नाराज, तो पढ़ती हूँ किताबों से बेहतरीन राज, तो फिर हर दोस्त बन जाता है, मेरा दोस्त खास। किताब ही है हमारी एक दोस्त, जो आती हमारे काम हर रोज़, सरस्वती माँ का …

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किसान (भारत–भारती से) – मैथिली शरण गुप्त

हेमन्त में बहुदा घनों से पूर्ण रहता व्योम है। पावस निशाओं में तथा हँसता शरद का सोम है॥ हो जाये अच्छी भी फसल, पर लाभ कृषकों को कहाँ। खाते, खवाई, बीज ऋण से हैं रंगे रक्खे जहाँ॥ आता महाजन के यहाँ वह अन्न सारा अंत में। अधपेट खाकर फिर उन्हें है काँपना हेमंत में॥ बरसा रहा है रवि अनल, भूतल …

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चोरी का गंगाजल – मनोहर लाल ‘रत्नम’

महाकुम्भ से गंगाजल मैं, चोरी करके लाया हूँ। नेताओं ने कर दिया गन्दा, संसद धोने आया हूँ॥ देश उदय का नारा देकर, जनता को बहकाते हैं, छप्पन वर्ष की आज़ादी को, भारत उदय बताते हैं। मंहगाई है कमर तोड़ती, बेरोजगारी का शासन, कमर तलक कर्जे का कीचड, यह प्रगति बतलाते हैं॥ थोथे आश्वासन नेता के, मैं बतलाने आया हूँ। महाकुम्भ …

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कवि कभी रोया नहीं करता – मनोहर लाल ‘रत्नम’

कवि कभी रोया नहीं करता, वह केवल गाया करता है। दर्द सभी सीने में रखकर, वह जीवन पाया करता है॥ जब जब भी आहें उठती हैं, तब तब गीत नया बनता है। जब जब छलका करते आंसू– कवि का मीत नया बनता है॥ आंसू संग आहों का बंधन, कवि केवल पाया करता है। कवि कभी रोया नहीं करता, वह केवल …

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खतरा है – मनोहर लाल ‘रत्नम’

देशवासियों सुनो देश को, आज भयंकर खतरा है। जितना बाहर से खतरा, उतना भीतर से खतरा है॥ सर पर खरा चीन से है, लंका से खतरा पैरों में, अपने भाई दिख रहे हैं, जो बैठे हत्यारों में। इधर पाक से खतरा है तो, इधर बंग से खतरा है, निर्भय होकर जो उठती सागर तरंग से खतरा है। माँ के आँचल …

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जिन्दा रावण बहुत पड़े हैं – मनोहर लाल ‘रत्नम’

अर्थ हमारे व्यर्थ हो रहे, कागज पुतले और खड़े हैं। कागज के रावण मत फूंकों, जिन्दा रावण बहुत पड़े हैं॥ कुम्भ-कर्ण तो मदहोशी हैं, मेघनाथ निर्दोषी है, अरे तमाशा देखने वालों, इनसे बढ़कर हम दोषी हैं। अनाचार में घिरती नारी, हां दहेज की भी लाचारी– बदलो सभी रिवाज पुराने, जो घर द्वार से आज अड़े हैं। कागज के रावण मत …

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