Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

मेरी दादी – परिणीता सुनील इंदुलकर

मेरी दादी बड़ी प्यारी, दुनिया से है वह न्यारी। दादी मेरी अच्छी है, मुझको करती है वह प्यार। मुझको मिलता इनका दुलार, टॉफ़ी मुझको देतीं। बालाएं मेरी लेती है, गले से मुझको लगाती है। रूठ जाऊं तो मनाती है, दादी मेरी प्यारी है। ∼ परिणीता सुनील इंदुलकर

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मेरी बिल्ली काली पीली

मेरी बिल्ली काली पीली, पानी में हो गयी वो गीली। गीली होकर लगी कांपने, ऑछी-ऑछी लगी छींकने। मैं फिर बोली कुछ तो सीख, बिना रुमाल के कभी ना छींक।

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मेरी रेल – सुधीर

छूटी मेरी रेल। रे बाबू, छूटी मेरी रेल। हट जाओ, हट जाओ भैया। मैं न जानूं फिर कुछ भैया। टकरा जाये रेल। धक्-धक् धक्-धक्, धू-धू, धू-धू। भक्-भक्, भक्-भक्, भू-भू, भू-भू। छक्-छक् छक्-छक्, छू-छू, छू-छू। करती आई रेल। इंजन इसका भारी-भरकम। बढ़ता जाता गमगम गमगम। धमधम धमधम, धमधम धमधम। करता ठेलम ठेल। सुनो गार्ड ने दे दी सीटी। टिकट देखता फिरता …

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मन करता है – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

मन करता है प्रिये, तुम्हें हर दिन गीत नया सुनाऊँ। गीत नए हों, स्वर नए हों तुम्हें समर्पित उदगार नए हों उदगारों को भाषा देकर तुम पर अपना सर्वस्व लुटाऊँ। मन करता है प्रिये, तुम्हें हर दिन गीत नया सुनाऊँ। फूलों से खुशबू ले लूं तितली से लूं इठलाना नदिओं से शीतलता ले लूं सागर से गहराना झरनों से स्वर …

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लाल पीली मोटर है

लाल पीली मोटर है, उसका मैं ड्राइवर हूँ। चाबी मैं लगाऊँगा, हैंडल को घुमाऊँगा। पापा को बिठाऊँगा, मम्मी को बिठाऊँगा। मोटर चलेगी पों… पों… पों…।

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मुझे पुकार लो – हरिवंश राय बच्चन

इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो। ज़मीन है न बोलती न आसमान बोलता, जहान देखकर मुझे नहीं ज़बान खोलता, नहीं जगह कहीं जहाँ न अजनबी गिना गया, कहाँ-कहाँ न फिर चुका दिमाग-दिल टटोलता, कहाँ मनुष्य है कि जो उम्मीद छोड़कर जिया, इसीलिए अड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो। इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो। तिमिर-समुद्र …

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मुखौटे – रामधारी सिंह दिनकर

श्याम बनेगा शेरू अपना गीत बनेगा बन्दर शिल्पा बिल्ली दूध पीएगी बैठी घर के अन्दर बबलू भौं भौं करता कु़त्ता पल पल धूम मचाएगा मोटू अपना हाथी बनकर झूमे सूंड हिलाएगा होगी फिर इन सबकी मस्ती गाती होगी बस्ती खुश होगा हर एक जानवर खुशियॉं कितनी सस्ती हा हा ही ही मैं भी मैं भी लगा मुखौटा गाऊँ तुम हाथी …

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मुन्ना और दवाई – रामनरेश त्रिपाठी

मुन्ना ने आले पर ऊँचे आले पर जब छोटे हाथ नहीं जा पाये खींच खींच कर अपनी छोटी चौकी ले आये। पंजो के बल उसपर चढ़कर एड़ी भी उचकाई, मुन्ना ने आले पर राखी शीशी तोड़ गिराई। हाथ पड़ा शीशी पर आधा खींचा उसे पकड़ कर वहीँ गिरी वह आले पर से इधर उधर खड़बड़ कर। शीशी तोड़ी कांच बिखेरा …

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नटखट हम, हां नटखट हम – सभामोहन अवधिया ‘स्वर्ण सहोदर’

नटखट हम, हां नटखट हम। नटखट हम हां नटखट हम, करने निकले खटपट हम आ गये लड़के आ गये हम, बंदर देख लुभा गये हम बंदर को बिचकावें हम, बंदर दौड़ा भागे हम बच गये लड़के बच गये हम, नटखट हम हां नटखट हम। बर्र का छत्ता पा गये हम, बांस उठा कर आ गये हम छत्ता लगे गिराने हम, …

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नाव चली नानी की नाव चली – हरिंद्रनाथ चट्टोपाध्याय

नाव चली नानी की नाव चली नीना के नानी की नाव चली लम्बे सफ़र पेसामान घर से निकाले गये नानी के घर से निकाले गये इधर से उधर से निकाले गये और नानी की नाव में डाले गये(क्या क्या डाले गये) एक छड़ी, एक घड़ी एक झाड़ू, एक लाडू एक सन्दुक, एक बन्दुक एक तलवार, एक सलवार एक घोड़े की …

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