Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

रत्नम गीता सार – मनोहर लाल ‘रत्नम’

आप चिन्ता करते हो तो व्यर्थ है। मौत से जो डरते हो तो व्यर्थ है॥ आत्मा तो चिर अमर है जान लो। तथ्य यह जीवन का सच्चा अर्थ है॥ भूतकाल जो गया अच्छा गया। वर्तमान देख लो चलता भया॥ भविष्य की चिन्ता सताती है तुम्हें? है विधाता सारी रचना रच गया॥ नयन गीले हैं, तुम्हारा क्या गया। साथ क्या लाये, …

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रिश्तों पर दीवारें – मनोहर लाल ‘रत्नम’

टूटी माला बिखरे मनके, झुलस गये सब सपने। रिश्ते नाते हुए पराये, जो कल तक थे अपने॥ अंगुली पकड़ कर पाँव चलाया, घर के अँगनारे में, यौवन लेकर सम्मुख आया, वह अब बटवारे में। उठा नाम बटवारे का तो, सब कुछ लगा है बटने॥ टूटी माला बिखरे मनके, झुलस गये सब सपने… रिश्तों की अब बूढ़ी आँखें, देख–देख पथरायीं, आशाओं …

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सभा – अजीत सिंह

जहां बात-बात पर हाथ चले, उसे कहते हैं ग्राम सभा। जहां बात-बात पर लात चले, उसे कहते हैं विधानसभा। जहां एक कहे और सब सुनें, उसे कहते हैं शोक सभा। जहां सब कहें और कोई न सुने, उसे कहते हैं लोकसभा। ∼ अजीत सिंह

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रेलगाड़ी – महजबीं

छुक-छुक, छुक-छुक करती रेल, धुआं उड़ाती चलती रेल। देखों बच्चों आई रेल। रंग होता है लाल इसका, इंजन लेकिन काला इसका। पेड़, नदी, खेत, खलियान, पार कर जाती चाय की दुकान। जाती जयपुर, मालवा, खांडवा, रायपुर, बरेली और आगरा। किसी शहर से किसी नगर से, नहीं है इसका झगड़ा-वगड़ा। ∼ महजबीं

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सम्पूर्ण यात्रा – दिविक रमेश

प्यास तो तुम्हीं बुझाओगी नदी मैं तो सागर हूँ प्यासा अथाह। तुम बहती रहो मुझ तक आने को। मैं तुम्हें लूँगा नदी सम्पूर्ण। कहना तुम पहाड़ से अपने जिस्म पर झड़ा सम्पूर्ण तपस्वी पराग घोलता रहे तुममें। तुम सूत्र नहीं हो नदी न ही सेतु सम्पूर्ण यात्रा हो मुझ तक जागे हुए देवताओं की चेतना हो तुम। तुम सृजन हो …

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सांध्य सुंदरी – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

दिवसावसान का समय मेघमय आसमान से उतर रही है वह सांध्य सुंदरी परी–सी – धीरे धीरे धीरे। तिमिरांचल में चंचलता का नहीं कहीं आभास मधुर मधुर हैं दोनों उसके अधर– किन्तु ज़रा गंभीर – नहीं है उनमें हास विलास। हँसता है तो केवल तारा एक गुँथा हुआ उन घुँघराले काले बालों से, हृदयराज्य की रानी का वह करता है अभिषेक। …

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सीपों से मोती पाने को – मनोहर लाल ‘रत्नम’

सीपों से मोती पाने को, मैं सागर तट पर खड़ा रहा। धरती पर मानव खोज रहा, मैं बना दधिचि अड़ा रहा॥ मानव का जीवन सीपों सा, कुछ भरा हुआ कुछ रीता सा। कुछ गुण, कुछ अवगुण, रमें हुए, कुछ गीता सा, कुछ सीता सा॥ मुझसे लहरों का कहना था, मैं सुनने को बस अड़ा रहा। सीपों से मोती पाने को, …

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शौक गुलाबी पंखुड़ियों का – मनोज कुमार ‘मैथिल’

हमें भी शौक हुआ था किताबों के पन्नों में गुलाबी पंखुड़ियों का न जाने कब यह शौक मन में कुलबुलाने लगा। गुलाबी पंखुड़ियों को तोड़ किताबों के पन्नों में डाल दिया करते थे शायद इस आशा में की ये पंखुड़ियां हमेशा ताजा रहेंगी यूँ ही अपने सुगंधों को फैलाती पर आज जब उन पन्नों को खोल रहा था, देखा सूख …

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भालू की शादी

भालू की शादी में आए, बन्दर और बटेर। हाथी आया, अजगर आया, आया बूढ़ा शेर। बन्दर ने ढोलकी बजाई, कोयल ने शहनाई। बिल्ली मौसी बेहद खुश थी, खाकर दूध–मलाई।

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