Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

Hasya Vyang Hindi Poem वेदना – बेढब बनारसी

Hasya Vyang Hindi Poem वेदना - बेढब बनारसी

आह वेदना, मिली विदाई निज शरीर की ठठरी लेकर उपहारों की गठरी लेकर जब पहुँचा मैं द्वार तुम्हारे सपनों की सुषमा उर धारे मिले तुम्हारे पूज्य पिताजी मुझको कस कर डाँट बताई आह वेदना, मिली विदाई प्रची में ऊषा मुस्काई तुमसे मिलने की सुधि आई निकला घर से मैं मस्ताना मिला राह में नाई काना पड़ा पाँव के नीचे केला …

Read More »

Namaz Poetry in Hindi नमाज याद रखना

Namaz Poetry in Hindi नमाज याद रखना

रमजाने-पैगाम याद रखना, हर वक्त हो नमाज याद रखना। आयतें उतरी जमीं पे जिस रोज, अनवरे-इलाही आयी उस रोज। इनायत खुदा की न कभी भूलना, हर वक्त हो नमाज याद रखना। खयानत का ख्याल तू दिल से निकाल दे, खुदी को मिटा खुदाई में तस्लीम कर दे। क़यामत के कहर में भी ये कलाम न छोड़ना, हर वक्त हो नमाज …

Read More »

Hindi Poem on Man’s Status आदमी की औकात

Hindi Poem on Man's Status आदमी की औकात

औरत के दिल को पढ़ना भले मुश्किल हो गया हो, आदमी की औकात को पढ़ना हमेशा से आसान काम रहा है। एक माचिस की तिल्ली, एक घी का लोटा, लकड़ियों के ढेर पे कुछ घण्टे में राख… बस इतनी-सी है आदमी की औकात! एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया, अपनी सारी ज़िन्दगी, परिवार के नाम कर गया। कहीं रोने …

Read More »

Hasya Vyang Hindi Poem हुल्लड़ और शादी – हुल्लड़ मुरादाबादी

Hasya Vyang Hindi Poem हुल्लड़ और शादी - हुल्लड़ मुरादाबादी

हुल्लड़ और शादी – हुल्लड़ मुरादाबादी दूल्हा जब घोड़ी चढ़ा, बोले रामदयाल हुल्लड़ जी बतलइए, मेरा एक सवाल मेरा एक सवाल, गधे पर नहीं बिठाते दूल्हे राजा क्यों घोड़ी पर चढ़ कर आते? कह हुल्लड़ कविराय, ब्याह की रीत मिटा दें एक गधे को, गधे दूसरे पर बिठला दें! मंडप में कहनें लगीं, मुझसे मिस दस्तूर लड़की की ही माँग में, …

Read More »

Baal Kavita in Hindi गड़बड़ झाला – देवेंन्द्र कुमार

Baal Kavita in Hindi गड़बड़ झाला - देवेंन्द्र कुमार

गड़बड़ झाला – देवेंन्द्र कुमार आसमान को हरा बना दें धरती नीली, पेड़ बैंगनी गाड़ी ऊपर, नीचे लाला फिर क्या होगा – गड़बड़ झाला! कोयल के सुर मेंढक बोले उल्लू दिन में आँखों खोले सागर मीठा, चंदा काला फिर क्या होगा – गड़बड़ झाला! दादा माँगें दाँत हमारे रसगुल्ले हों खूब करारे चाबी अंदर, बाहर ताला फिर क्या होगा – …

Read More »

बच्चे अच्छे लगते हैं Hindi Poem on Happy Children

बच्चे अच्छे लगते हैं Hindi Poem on Happy Children

हंसते-मुस्कुराते-खिलखिलाते बच्चे, अच्छे लगते हैं। दौड़ते-भागते, कूदते, फांदते बच्चे अच्छे लगते हैं। मासूम सी प्यारी शरारते करते बच्चे, अच्छे लगते हैं। यूनिफार्म पहने स्कूल को जाते बच्चे, अच्छे लगते हैं। खेल मैदान में कोई गेम खेलते बच्चे, अच्छे लगते हैं। स्वयं ईष्वर का रूप होते हैं बच्चे, अच्छे लगते हैं। ~ ओम प्रकाश बजाज

Read More »

मुझे बचा लो, माँ – ईपशीता गुप्ता Poem on Insecure Feelings of Girl

मुझे बचा लो, माँ - ईपशीता गुप्ता Poem on Insecure Feelings of Girl

मुझे बचा लो, माँ मुझे बचा लो! माँ, मुझे डर लगता है। माँ, चौखट से निकलते ही दादा, चाचा के अंदर आने से, सिहर जाती हूँ। राहों में घूमती निगाहों से, मैं सिमट जाती हूँ। हँस कर बात करते हर मानव से, मैं संभल जाती हूँ। पुरुष के झूठे अभियान से, मैं सहम जाती हूँ। सिहर-सिहर, सहम-सहम कर जीना नहीं …

Read More »

तुम और मैंः दो आयाम – रामदरश मिश्र Hindi Love Poem

तुम और मैंः दो आयाम - रामदरश मिश्र Hindi Love Poem

(एक) बहुत दिनों के बाद हम उसी नदी के तट से गुज़रे जहाँ नहाते हुए नदी के साथ हो लेते थे आज तट पर रेत ही रेत फैली है रेत पर बैठे–बैठे हम यूँ ही उसे कुरेदने लगे और देखा कि उसके भीतर से पानी छलछला आया है हमारी नज़रें आपस में मिलीं हम धीरे से मुस्कुरा उठे। (दो) छूटती …

Read More »

परिवर्तन – ठाकुर गोपालशरण सिंह Poetry about Changes in Life

परिवर्तन - ठाकुर गोपालशरण सिंह Poetry about Changes in Life

देखो यह जग का परिवर्तन जिन कलियों को खिलते देखा मृदु मारुत में हिलते देखा प्रिय मधुपों से मिलते देखा हो गया उन्हीं का आज दलन देखो यह जग का परिवर्तन रहती थी नित्य बहार जहाँ बहती थी रस की धार जहाँ था सुषमा का संसार जहाँ है वहाँ आज बस ऊजड़ बन देखो यह जग का परिवर्तन था अतुल …

Read More »

काका और मच्छर – काका हाथरसी Hindi Poem on Mosquitoes

काका और मच्छर - काका हाथरसी Hindi Poem on Mosquitoes

काका वेटिंग रूम में, फँसे देहरा–दून नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली हमें उड़ा ले जाने की योजना बना ली किंतु बच गये कैसे, यह बतलाएँ तुमको? नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था हमको! हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं रणधीर ऊपर मच्छर खींचते, नीचे खटमल वीर नीचे खटमल वीर, जान …

Read More »