“माँ कह एक कहानी।” बेटा समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी? “कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी की बेटी कह माँ कह लेटी ही लेटी, राजा था या रानी? माँ कह एक कहानी।” “तू है हठी, मानधन मेरे, सुन उपवन में बड़े सवेरे, तात भ्रमण करते थे तेरे, जहाँ सुरभी मनमानी।” “जहाँ सुरभी मनमानी। हाँ माँ यही …
Read More »साकेत: कैकेयी का पश्चाताप – मैथिली शरण गुप्त – Kaikeyi’s Remorse
“यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को।” चौंके सब सुनकर अटल कैकेयी स्वर को। बैठी थी अचल तदापि असंख्यतरंगा, वह सिन्हनी अब थी हहा गोमुखी गंगा। “हाँ, जानकर भी मैंने न भरत को जाना, सब सुनलें तुमने स्वयम अभी यह माना। यह सच है तो घर लौट चलो तुम भैय्या, अपराधिन मैं हूँ तात्, तुम्हारी मैय्या।” “यदि …
Read More »दयालु कौन – Short Hindi Poem about Kindness
(१) देख पराया दुःख, ह्रदय जिसका अति व्याकुल हो जाता। जब तक दुःख न मिटता, तब तक नही चैन जो है पाता।। पर दुःख हरने को जो सुख से निज सुख देकर सुख पाता। करुणा सागर का सेवक वह, दयालु जग में कहलाता।। (२) शत्रु-मित्र निज-परमे कोई भी जो भेद नही करता। दुःखी मात्र के दुःख से दुःखी हो, जो …
Read More »पानी – ओमप्रकाश बजाज Hindi Poem on Importance of Water
पानी अपना रास्ता स्वयं बनाता है, हमेशा ढलान की ओर जाता है। बहता पानी निर्मल शुद्ध रहता है, खड़ा हुआ पानी सड़ जाता है। पानी का तेज बहाव अपने साथ, बड़े-बड़े पत्थर, पेड़ बहा ले जाता है। मीठा पानी पीने के काम आता है, शहरों में नलों से पहुंचाया जाता है। वर्षा ऋतु में नदियों में बाढ़ आती है, तबाही …
Read More »जागो देश वासियों – आद्विक मिश्रा – Motivational Short Hindi Poetry for Countrymen
ओ! भारत के देश वासियों, कुछ काम कर के दिखलाना है, इस भारत को प्यार से हरा-भरा बनाना है। अस्त्र-शस्त्र को छोड़कर अहिंसा को अपनाया है। ओ! भारत के देश वासियों, कुछ काम कर के दिखलाना है, झुग्गी-झोंपड़ी वालो को पक्का घर दिलवाना हैं। भारत की इस गरीबी को, जड़ से हमे मिटाना है। स्वचछता की ओर हर एक को …
Read More »मधु की रात – चिरंजीत
अलक सन्धया ने सँवारी है अभी म्यान में चन्दा कटारी है अभी चम्पई रंग पे न आ पाया निखार रात यह मधु की, कुंआरी है अभी। चाँदनी की डगर पर तुम साथ हो प्राण युग–युग तक अमर यह रात हो कल हलाहल ही पिला देना मुझे आज मधु की रात, मधु की बात हो। क्या सितारों के इशारे, ध्यान दो …
Read More »पहली कोशिश – राज नारायण बिसारिया
जिधर तुम जा रहीं थीं उस तरफ मुझको न जाना था बनाया साथ पाने के लिये झूठा बहाना था न कुछ सोचा विचारा था कि क्या कहना–कहाना था मुझे तो बस अकेले साथ में चलना–चलाना था! रुकीं दो पल चले दोनों सभी कुछ तो सुहाना था मगर बतिया नहीं पाए कि चुप्पी का ज़माना था! बहुत धीमे कहा कुछ था …
Read More »राष्ट्र की रपट – आचार्य भगवत दूबे
नेतृत्व गया है भटह बंधु क्या लिखूँ राष्ट्र की रपट बंधु कशमीर, आंध्र, आसाम सहित जलते हैं केरल, कटक बंधु सूखे चेहरे कुटियाओं के महलों की रंगत चटक बंधु हथकड़ी नोट से कट जाती कैदी जातें हैं सटक बंधु अपराधी छूटें, निरपराध फाँसी पर जाते लटक बंधु सौ रुपय लोक–हित जो भेजे पच्चासी जाते अटक बंधु जो नहर बांध से …
Read More »मेरी कविता – तमन्ना भसीन – Poetry about writing a poem for school magazine
आज कक्षा में यह नोटिस आया, मैडम ने यह फरमाया। झट-पट से एक कविता लिखा ला, विद्यालय पत्रिका में उसको छपवा। मुझको कविता लिखना नहीं है आता, सोच-सोच कर मन पछताया। घर जाकर पापा को पकड़ा, शोर मचाया कर लिया झगड़ा। पास बैठाकर उनसे बोली, मुझे लिखवा दो एक कविता। उसको लेकर दौड़ी आई मैडम को जल्दी दिखलाई। उसे देखकर …
Read More »पढ़ लो, भाई! – रिद्धी शर्मा – Children’s Poetry in Hindi
स्कूल खुल गए, पढ़ लो भाई, मस्ती छोड़ अब करों पढ़ाई पढ़ते-लिखते हैं जो बच्चे, वे लगते हैं, सब को अच्छे। अनपढ़ का जीवन बेकार, मिले न उसको बंगला, कार। बिन पढ़ाई न कोई चारा, बच्चा बन जाता नकारा। लोग तरस भी उस पर खाते, पर न मदद को आगे आते। इसलिए कहते है भाई, मस्ती छोड़ अब करो पढ़ाई। …
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