Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

आम – फलों के राजा आम पर बाल-कविता

आम - फलों के राजा आम पर बाल-कविता

बागों में मुस्काते आम सबके मन को भाते आम, मीठी-मीठी महक बिखेरें पेड़ों पर सुस्ताते आम। प्यारे बच्चो जल्दी आओ दे आवाज बुलाते आम, भरे विटामिन-ए से होते सेहत पुष्ट बनाते आम। बन स्वादिष्ट पना गुणकारी लू को दूर भगाते आम, बस कोई ज्यादा मत खाना फोड़े भी करवाते आम। ~ कुमार गौरव अजीतेन्दु

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गर्मी आई समस्या लाई Hindi Poem on Summers

गर्मी आई समस्या लाई Hindi Poem on Summers

गर्मी आई समस्याएं लाई सब की चिंता बढ़ाई, गर्म हवायें आग बरसायें लोग पसीने में नहायें। उल्टी-दस्त चक्कर आये घबराहट से जान जाये, मच्छर काटे डॉक्टर के पास जायें डेंगू, मलेरिया का डर सताये। पानी पी-पी के पेट भरू खाना खाने में संकोच करुं, कितना नहाऊं कितना पानी बहाऊं फिर भी तुझ से छुटकारा न पाऊं। शर्बत ठंडा राहत दिलाये …

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सूरज Hindi Poem on Morning Routine Habits

सूरज Hindi Poem on Morning Routine Habits

सूरज सर पर चढ़ आया है चिड़ियों ने नभ चहकाया है, तुम भी अपना बिस्तर छोड़ो जल्दी से अपना मुंह धो लो। सूरज को तुम करो प्रणाम निकलेगा दिन सुख के साथ, भगवान् को भी कर लो याद सफल होंगे सारे काज। पैर बड़ो के तुम छू लो छोटों को आशीष दो, दूध गटागट पी जाओ राजा बेटा तुम बन …

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Hindi Poem about Trees वही सफलता पाता है

Hindi Poem about Trees वही सफलता पाता है

पीपल मेरे पूज्य पिताजी, तुलसी मेरी माता है। बरगद को दादा कहने से, मन पुलकित हो जाता है। बगिया में जो आम लगा है, उससे पुश्तैनी नाता है। कहो बुआ खट्टी इमली को, मजा तब बहुत आता है। घर में लगा बबूल पुराना, वह रिश्ते का चाचा है। “मैं हूँ बेटे मामा तेरा,” यह कटहल चिल्लाता है। आंगन में अमरूद …

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रविवार की छुट्टी पर हिंदी बाल-कविता – आज हमारी छुट्टी है

रविवार की छुट्टी पर हिंदी बाल-कविता - आज हमारी छुट्टी है

रविवार का प्यारा दिन है, आज हमारी छुट्टी है। उठ जायेंगे क्या जल्दी है, नींद तो पूरी करने दो। बड़ी थकावट हफ्ते भर की, आराम ज़रूरी करने दो। नहीं घड़ी की ओर देखना, न करनी कोई भागम- भाग। मनपसंद वस्त्र पहनेंगे, आज नहीं वर्दी का राग। खायेंगे आज गर्म पराँठे, और खेलेंगे मित्रों संग। टीचर जी का डर न हो …

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सूर्य देव पर हिंदी बाल-कविता: अंधियारे से डरना कैसा

सूर्य देव पर हिंदी बाल-कविता: अंधियारे से डरना कैसा

अम्मा बोली – सूरज बेटे, जल्दी से उठ जाओ। धरती के सब लोग सो रहे, जाकर उन्हें उठाओ। मुर्गे थककर हार गये हैं, कब से चिल्ला चिल्ला। निकल घोंसलों से गौरैयां, मचा रहीं हैं हल्ला। तारों ने मुँह फेर लिया है, तुम मुंह धोकर जाओ। पूरब के पर्वत की चाहत, तुम्हें गोद में ले लें। सागर की लहरों की इच्छा, …

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मिठाइयों पर हास्य बाल-कविता: बर्फी की शादी

मिठाइयों पर हास्य बाल-कविता: बर्फी की शादी

जिस दिन होनी थी लड्डू की, बर्फी जी से शादी, बर्फी बहुत कुरूप किसी ने, झूठी बात उड़ा दी। गुस्से के मारे लड्डू जी, जोरों से चिल्लाये। वे बारात बिना पूंछे ही, घर वापस ले आये। लड्डू के दादा रसगुल्ला, बर्फी के घर आये। बर्फीजी को देख सामने, मन ही मन मुस्काये। बर्फी तो इतनी सुंदर थी, जैसे एक परी …

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पानी बचाओ पर बाल-कविता: नहीं व्यर्थ बहाओ पानी

पानी बचाओ पर बाल-कविता: नहीं व्यर्थ बहाओ पानी

सदा हमें समझाए नानी, नहीं व्यर्थ बहाओ पानी। हुआ समाप्त अगर धरा से, मिट जायेगी ये ज़िंदगानी। नहीं उगेगा दाना-दुनका, हो जायेंगे खेत वीरान। उपजाऊ जो लगती धरती, बन जायेगी रेगिस्तान। हरी-भरी जहाँ होती धरती, वहीं आते बादल उपकारी। खूब गरजते, खूब चमकते, और करते वर्षा भारी। हरा-भरा रखो इस जग को, वृक्ष तुम खूब लगाओ। पानी है अनमोल रत्न, …

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आओ चिड़िया – पक्षी चिड़िया पर बाल-कविता

आओ चिड़िया - पक्षी चिड़िया पर बाल-कविता

आओ चिड़िया आओ चिड़िया, कमरे में आ जाओ चिड़िया। पुस्तक खुली पड़ी है मेरी, एक पाठ पढ़ जाओ चिड़िया। नहीं तुम्हें लिखना आता तो, तुमको अभी सिखा दूंगा मैं। अपने पापाजी से कहकर, कॉपी तुम्हें दिल दूंगा मैं। पेन रखे हैं पास हमारे, चिड़िया रानी बढ़िया-बढ़िया। आगे बढ़ती इस दुनिया में, पढ़ना-लिखना बहुत जरूरी। तुमने बिलकुल नहीं पढ़ा है, पता …

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NRI अनिवासी भारतीयों पर हास्य कविता

NRI अनिवासी भारतीयों पर हास्य कविता

न इधर के रहे न उधर के रहे बीच में ही हमेशा लटकते रहे न इंडिया को भुला सके न विदेश को अपना सके एन आर आई बन के काम चलाते रहे न हिंदी को छोड़ सके न अंग्रेजी को पकड़ सके देसी एक्सेंट में गोरों को कन्फयूज़ करते रहे न शौटर््स पहन सके न सलवार कमीज छोड़ सके जींस …

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