Stories in Hindi

जिम्मेदारी किसकी: छात्रों और बच्चों के लिए स्वच्छता पर शिक्षाप्रद बाल-कहानी

जिम्मेदारी किसकी: छात्रों और बच्चों के लिए स्वच्छता पर शिक्षाप्रद बाल-कहानी

जिम्मेदारी किसकी: बबलू बेहद लाडला था। अब वह पांच वर्ष का हो गया था। स्कूल से उसे डर लगता था। मम्मी उसे कभी चॉकलेट, कभी टॉफियां देकर मानती लेकिन बबलू स्कूल जाने से पहले ही चॉकलेट और टॉफियां चट कर जाता। स्कूल में प्रवेश करते ही उसे पता चल जाता कि मम्मी अब उसे छोड़कर घर चली जाएंगी। दूसरी कक्षा …

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दुश्मन बने दोस्त: डींगें हांकने में माहिर कुत्ते, बिल्ली और बन्दर की बाल कहानी

दुश्मन बने दोस्त: डींगें हांकने में माहिर कुत्ते, बिल्ली और बन्दर की बाल कहानी

दुश्मन बने दोस्त: एक किसान ने अपने खेतों की रखवाली के लिए मोती नामक कुत्ता पाल रखा था जो कभी- कभी किसान के साथ घूमने-फिरने गांव में भी चला जाया करता था। एक दिन उसकी नजर एक छोटी बिल्ली पर पड़ी। उसने लपककर उसे पकड़ लिया तो बिल्ली बोली, “मोती भैया मुझे छोड़ दो…।” मोती ने पूछा, “तुझे मेरा नाम …

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पुनर्जन्म: महिला दिवस के उपलक्ष में एक कहानी

महिला दिवस के उपलक्ष में एक कहानी: पुनर्जन्म

अचानक ऐसा लगता हैं जैसे सब खत्म हो गया और दूसरे ही पल फिर सब कुछ पहले जैसा हो गया। क्या समुद्र के किनारे आराम से बैठकर मिट्टी के बड़े-बड़े महल बनाते बच्चों ने सोचा होगा कि केवल एक लहर, सिर्फ एक लहर ही काफ़ी हैं, अथक परिश्रम से बनाये गए उनके आलीशान महल को अपने साथ ले जाने के …

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एकता में बल: एक दूजे के लिए बने सुई-धागे की प्रेरणादायक बाल-कहानी

एकता में बल: एक दूजे के लिए बने सुई-धागे की प्रेरणादायक बाल-कहानी

एकता में बल: किशानू दर्जी बहुत अच्छी सिलाई करता था। उसकी सुई और उसका धागा जब दोनों मिलते तो सिलाई होती। कई बार घागा छोटा रह जाता तो किशानू उसे फैंक देता या किसी दूसरे धागे के साथ जोड़ देता। यह देख कर सुई को बड़ी हंसी आती। एकता में बल: गोविंद शर्मा की प्रेरणादायक बाल-कहानी वह धागे को चिढ़ाती, …

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वह दोस्त ही रहा: गोविंद शर्मा की सच्ची दोस्ती पर प्रेरणादायक हिंदी कहानी

वह दोस्त ही रहा: गोविंद शर्मा

वह दोस्त ही रहा: राजू और बिरजू दोनों दोस्त थे। दोनों 8वीं के छात्र, पर बिरजू एकदम पहलवानों जैसा। वह किसी से लड़ता-झगड़ता नहीं था, पर स्कूल के जो बच्चे उसे जानते थे, वे उससे डरते थे क्योंकि बिरजू को कोई छेड़ बैठता तो उसे वह सबक जरूर सिखाता। इसके विपरीत राजू कुछ कमजोर, पर शरारती पूरा। वह किसी न …

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राष्ट्रगान से प्रेम: कुत्ते बंदर का राष्ट्रगान जन गण मन से प्रेम पर हिंदी कहानी

राष्ट्रगान से प्रेम: कुत्ते बंदर की सच्ची दोस्ती की प्रेरक कहानी

राष्ट्रगान से प्रेम: बंदर और कुत्ता दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों दिन भर घूमते रहते थे, कभी इस गली, कभी उस गली। कभी बाजार, कभी स्कूल के आगे घूमते रहते थे। वे घूम कर-घूम कर जिंदगी का भरपूर आनंद लेते थे। उनको बच्चों से बहुत प्यार था। बच्चे जब सज-धज कर यूनिफार्म पहन कर स्कूल जाते, तो वे उन्हें …

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डोर का महत्व: मकर संक्रांति त्योहार से संबंधित प्रेरणादायक हिंदी कहानी

डोर का महत्व: शिष्य गुरु शास्त्रार्थ पर प्रेरणादायक हिंदी कहानी

बहुत समय पहले की बात है। महाराष्ट्र में किसी जगह एक गुरु का आश्रम था दूर-दूर से विद्यार्थी उनके पास अध्ययन करने के लिए आते थे। इसके पीछे कारण यह था कि गुरुजी नियमित शिक्षा के साथ व्यावहारिक शिक्षा पर भी बहुत जोर देते थे। उनके पढ़ाने का तरीका भी अनोखा था। डोर का महत्व: मकर संक्रांति त्योहार से संबंधित …

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बचपन की सीख: ईमानदारी पर प्रेरणादायक हिंदी बाल-कहानी

बचपन की सीख: ईमानदारी पर प्रेरणादायक हिंदी बाल-कहानी

बचपन की सीख: सर को जब भी वक्‍त मिलता वे हम बच्चों के बीच आ बैठते। कोई ऐसी कहानी सुनाते, जिसमें सीख होती, मनोरंजन होता। आज भी ऐसा हुआ। सर बोले, “बच्चो, तुम सेठ दयाराम को जानते हो?” “सर उन्हें कौन नहीं जानता। सारा शहर उनकी ईमानदारी का प्रशंसक है। लोग उनकी बात पर उनके हिसाब-किताब पर आंख मूंद कर …

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गणित का डर: वीर राजा की कहानी जो गणित से हार गया

वीर राजा की कहानी जो गणित से हार गया: गणित का डर

गणित का डर: बहुत समय पहले की बात है बुद्धीनगर नाम के राज्य में एक राजा रहा करता था। राज्य के नाम के अनुसार ही वहाँ पर रहने वाले सब बड़े बुद्धिमान थे और किसी भी मुसीबत का हल चुटकियों में निकाल लेते थे। पर बुद्धीनगर का राजा, जिसका नाम तो था वीरसेन, बड़ा डरपोक था। वह अपने नाम के …

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अपना हाथ जगन्नाथ: दर्शन सिंह आशट की शिक्षाप्रद बाल कहानी

अपना हाथ जगन्नाथ: दर्शन सिंह आशट की शिक्षाप्रद बाल कहानी

अपना हाथ जगन्नाथ: बल्‍लू के पास काफी जमीन-जायदाद थी लेकिन काम करने से वह मन चुराता था। अक्सर गलियों में डंडे बजाता नजर आता। वास्तव में यह सारी जमीन जायदाद उसके पिता और दादा ने अपनी कड़ी मेहनत से बनाई थी। उनकी मौत के पश्चात अब वह उस जायदाद को कौडियों के भाव बेचने लगा। नतीजा यह निकला कि नौकरों-चाकरों …

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