Stories in Hindi

भिखारी का आत्मसम्मान – किरण साहू

एक भिखारी किसी स्टेशन पर पेँसिलोँ से भरा कटोरा लेकर बैठा हुआ था। एक युवा व्यवसायी उधर से गुजरा और उसनेँ कटोरे मेँ 50 रूपये डाल दिया, लेकिन उसनेँ कोई पेँसिल नहीँ ली। उसके बाद वह ट्रेन मेँ बैठ गया। डिब्बे का दरवाजा बंद होने ही वाला था कि अधिकारी एकाएक ट्रेन से उतर कर भिखारी के पास लौटा और …

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बन्दर और मगरमच्छ – विष्णु शर्मा

बंदर का कलेजा (बन्दर और मगरमच्छ) पंचतंत्र की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है जिसके रचयिता आचार्य विष्णु शर्मा हैं। एक नदी किनारे हरा-भरा विशाल पेड़ था। उस पर खूब स्वादिष्ट फल उगे रहते। उसी पेड़ पर एक बंदर रहता था। बडा मस्त कलंदर। जी भरकर फल खाता, डालियों पर झूलता और कूदता-फांदता रहता। उस बंदर के जीवन में एक …

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भूख – आनन्द प्रिय शर्मा

बाक़ी दिनों की तरह आज भी मै अपना काम ख़त्म करके फेक्टरी से घर के लिए लौट रहा था। पिछले कुछ दोनों से नए प्रोजेक्ट की जद्दोजहद जो मेनेजमेंट के साथ चल रही थी आखिरकार ख़त्म हुई, उस पर खुशी ये की जीत मेरी हुई। अपना पसंदीदा गीत गुनगुनाते, बाजार से गुजरते हुए नजरें मिठाई की दूकान पर टिक गई …

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मज़बूती – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

मज़बूती – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

आतंकवाद, अपराध और फिरौती की घटनाओं से शहर और प्रदेश की हवा भय और असुरक्षा की आंधी में बदल चुकी थी। हर दिन किसी न किसी वारदात से लोग सहमें हुऐ थे। वे भूल गये थे कि प्रदेश में सरकार या पुलिस भी है। वे चाहने लगे थे कि शीघ्र चुनाव हो और सत्ता उर्जावान, ईमानदार नई पौध को सौंप …

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खाली कमरा – ज्ञान प्रकाश विवेक

खाली कमरा - ज्ञान प्रकाश विवेक

कमरा और मैं एक साथ पुराने हुए। कमरा जब नया लगता था, तब मैं भी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा था। पता नहीं कब और कैसे, कमरा मेरा दोस्त बनता चला गया। कमरा जितना पुराना होता गया, उतना ज्यादा मुझे अपना लगने लगा। जैसे कमरा न हो, मेरा चेहरा हो। घर के बाकी सब जन अपने कमरों में …

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