दिवाली के पटाखों की बाल-कहानी: दिवाली

दिवाली के पटाखों की बाल-कहानी: दिवाली

दिवाली के पटाखों की बाल-कहानी: एक दुकान में ढेर सारे पटाखे सजे हुए रखे थे, जो दुकानदार ने दिवाली पर बेचने के लिए रखे हुए थे। पटाखों को यह देखकर बहुत दुःख होता था की जो बच्चे अच्छे कपड़े पहनकर अपने मम्मी पापा के साथ पटाखे लेने आते, उन्हें तो दुकानदार बड़े ही प्यार से पटाखे दिखता और बेचता पर जो बच्चे नंगे पैर और फटे हुए कपड़े पहनकर पटाखों को केवल दूर से ही देखते उन्हें दुकान के पास खड़ा भी नहीं होने देता।

दिवाली के पटाखों की बाल-कहानी: दिवाली

पटाखों को दुकानदार पर गुस्सा तो बहुत आता, पर वे कर ही क्या कर सकते थे। ऐसे ही दिवाली के दिन दुकानदार की दोपहर के समय आँख लग गई। पटाखों ने आपस में विचार विमर्श किया कि हमें यहाँ से चले जाना चाहिए। पर वे समझ नहीं पा रहे थे कि वे जाएँ कैसे?

तभी पास की टोकरी, जो की बहुत देर से बैठी उनकी बाते सुन रही थी बोली – “तुम सब मेरे ऊपर बैठ जाओ, मैं तुम लोगो को लेकर चलती हूँ। “यह सुनते ही सभी पटाखे ख़ुशी के मारे उछल पड़े। टोकरी में बैठते ही वे मानो हवा से बाते करने लगे। तभी उन्हें कुछ बच्चे दिखाई दिए जो उदास और गुमसुम से अपनी झोपड़ियो के बाहर बैठे थे।

“हाँ – हाँ, बिलकुल वहीँ है।”

अनार हाँ में हाँ मिलाते हुए जल्दी से बोला – “तब तो हमारी सबसे ज्यादा जरूरत यही है। हमें यही उतार दो”।

Sanp / Snake Cracker
Sanp / Snake Cracker

यह सुनकर टोकरी खुश हो गई और तुरंत नीचे की ओर उतर पड़ी। बच्चे इतने सारे पटाखे देखकर ख़ुशी के मारे उछल पड़े। सबसे पहले उन्होंने चकरी की पूँछ मे आग लगाई। चकरी इठलाती हुई ओर मटकती हुई गोल गोल थिरकने लगी। बच्चे उसके साथ साथ नाचने लगे। फिर आई सांप की बारी, काली-काली छोटी टिक्कियो को आग लगते ही कई विशाल नाग मानो फन काढ़कर खड़े हो गए। छोटे बच्चो ने तो डर के मारे अपनी आँखे बंद कर ली और बड़े बच्चे ठहाका मारकर हंसने लगे।अब यह सब देखकर भला अनार कहा पीछे रहने वाला था। वह भी लुढ़ककर आगे आ गया। जब बच्चों ने अनार जलाया तो उसमें से जैसे हजारों रंग बिरंगे सिक्के गिरने लगे। बच्चों के मासूम चेहरे ख़ुशी से दमकने लगे। और फिरक्या था देखते ही देखते फुलझड़ी, मेहताब और आतिशबाजियो से सतरंगी रंग आसमान में बिखर गए और देखते ही देखते वहां पर केवल कागज के टुकड़े बिखर गए।

टोकरी की आँखें अपने दोस्तों से बिछुड़ने के गम मे नम हो गई पर ख़ुशी से उछलते कूदते बच्चों को देखकर उसके चहरे पर भी मुस्कान छा गई और वह हँसती हुईं उड़ चली अपनी दुकान की ओर।

~ ‘दिवाली’ story by ‘मंजरी शुक्ला

Check Also

Bali and Hanuman - Learn how Hanuman saved Sugriva from Bali

Bali and Hanuman: How Hanuman saved Sugriva

Bali and Hanuman: Kishkindha was the capital of the kingdom of the monkeys ruled by …

One comment

  1. Sir what a great story I would love to work with you!