Prabhudayal Shrivastav

बाल-कविताओं का संग्रह: प्रभुदयाल श्रीवास्तव

नये खेल: प्रभुदयाल श्रीवास्तव

नये साल में क्यों न खेलें,
खेल सभी हम नये नये।

नये खेल में हम सब मिलकर ,
कूड़ा करकट बीने।
नया खेल हो ऐसा जिसमें,
स्वच्छ जल मिले पीने।
नये तरीके साफ़ सफाई,
के नित ढूंढे नये नये।

Renewable Energy

नये खेल में बंद करें हम,
रोज सवारी करना।
नये खेल में हर दिन सीखें,
पैदल भी कुछ चलना।
धूंआ, विष भरी गैसें कम हों,
हों उपाय कुछ नये नये।

नये खेल हों ,काम आयें जो,
पर्यावरण बचाने।
कैसे बढ़ता रोज प्रदूषण,
बच्चे भी तो जाने।
नये खेल में सभी खिलाडी,
पौधे रोपें नये नये।

नये खेल में तरुओं की हम,
रोज रखें निगरानी।
पेड़ काटना हो जाये अब,
बिसरी हुई कहानी।
इन्हें बचाने के उद्यम हों,
सभी और से नये नये।

~ प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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