क्रिसमस गिफ्ट Inspirational Hindi Story about Christmas Gift

क्रिसमस गिफ्ट: गरीबी में खुशी का त्यौहार

आज क्रिसमस का दिन था और मारिया अपनी बड़ी-बड़ी नीली आँखों से खिड़की के बाहर झाँक रही थी। उसकी आँखों में बार-बार आँसूं आ रहे थे, जिन्हें वह अपनी माँ से छिपाकर फ्राक से पोंछ रही थी। वह अभी केवल तेरह वर्ष की ही थी पर चेहरे की गंभीरता से वह बहुत बड़ी लग रही थी। उसे खिड़की पर खड़े बहुत देर हो चुकी थी। पर आज क्रिसमस था और रंग बिरंगे गुब्बारों से सारा बाज़ार सजा हुआ था। दुकानों में सजी केक और पेस्ट्री की सुगंध दूर दूर तक जा रही थी। मारिया का मन केक को देखकर मचल रहा था पर वह जानती थी कि इतना महंगा केक वह खरीद नहीं पाएगी इसलिए बस दूर से ही उसे देख रही थी। सभी लोग एक दूसरे को देने के लिए उपहार खरीद रहे थे। बच्चे नए कपड़े पहनकर इठलाते घूम रहे थे और सुबह से ही धमा चौकड़ी मचा रहे थे। ख़ुशी से चहकते बच्चों को देखकर उसने अपनी गन्दी और कई जगह से फटी फ्राक को आँसूं भरी नजरों से देखा। वह जानती थी कि उसकी माँ बहुत गरीब हैं और वो चाहकर भी उसे क्रिसमस पर नए कपड़े और उपहार नहीं दिलवा सकती। तभी उसकी माँ की आवाज़ आई – “मैंने नीलू के कपड़े प्रेस कर दिए हैं जल्दी से उसके घर जाकर दे आओ।”

मारिया ने जब नीलू की ड्रेस को देखा तो देखती रह गई।

सुर्ख गुलाबी रंग का सिल्क का गाउन जिस पर हीरे जैसे नन्हे-नन्हे बटन झिलमिला रहे थे। गाउन हाथ में लेते ही उसे लगा जैसे वह नर्म मुलायम बादलों को छू रही है।

एक पल को उसे लगा कि अगर यह ड्रेस उसकी होती तो वह इसे पहनकर बिलकुल राजकुमारी लगती। पर तभी उसे माँ की आवाज़ फिर सुनाई दी – “अरे, अभी तक यही खड़ी हो। जल्दी से जाकर उसकी ड्रेस दे आओ नहीं तो मालकिन मुझे बहुत डाटेंगी।”

मारिया जैसे सुनहरे सपने से जागी और तेजी से कदम बढ़ाती नीलू के घर कीओर चल पड़ी जब वह नीलू के घर पहुंची तो उसने देखा कि नीलू दरवाजे के पास खड़े होकर रो रही थी ओर उसका कुत्ता मेकी अपने कीचड़ भरे पंजो से बिस्तर की चादर और सोफे के कवर गंदे कर रहा था।

मारिया को देखते ही नीलू आँसूं पोंछते हुए उसके पास आकर रुंधे गले से बोली – “मेरे यहाँ थोड़ी ही देर में बहुत सारे मेहमान आने वाले हैं और देखो इस मेकी ने कीचड़ के पैरों से सब गन्दा कर दिया हैं। मम्मी इसको पहले ही पसंद नहीं करती हैं, आज तो वो इसे घर से ही निकाल देंगी।”

मारिया के समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे, इसलिए उसने केवल धीमे से हूँ… कह दिया।

नीलू उसका हाथ पकड़कर बोली – “प्लीज़ मेरी मदद करो। मैं मेकी को बहुत प्यार करती हूँ। पता हैं जब यह केवल एक दिन का था तो मैं इसे सड़क से उठा कर लाई थी।”

मारिया को उसे रोते देखकर बहुत दुःख हुआ और उसने नीलू के आँसूं पोंछते हुए पूछा – “मैं क्या तुम्हारी कोई सहायता कर सकती हूँ?”

नीलू तुरंत बोली – “क्या यह चादर और सोफ़े के कवर तुम धोकर साफ़ कर सकती हो?”

मारिया ने कुछ सोचते हुए कहा -“पर तुम तो अभी कह रही थी कि मेहमान थोड़ी ही देर में आने वाले हैं तब तक तो ये सूखेंगे नहीं।”

“तो… तुम मेरी मम्मी से कह देना कि तुम अपनी बिल्ली को साथ लाई थी उसने ये सब गन्दा कर दिया” नीलू उसके हाथ पकड़कर बोली।

“पर मैं तुम्हारे लिए ऐसा क्यों करुँगी?” मारिया कुछ डरते हुए बोली।

“तुम इसके बदले जो कहोगी में तुम्हें दूंगी” नीलू विनती भरे स्वर में बोली।

मारिया ने सोचा कि वह उससे इसी ड्रेस को माँग ले पर तुरंत उसे अपनी माँ की बात याद आई कि कभी किसी से कुछ मांगना नहीं चाहिए, इसलिए वह चुपचाप खड़ी रही।

तभी नीलू की मम्मी मेहमानों के साथ वहाँ आ गई और इतना गन्दा ड्राइंग रूम देखकर उनका चेहरा गुस्से से तमतमा उठा। वह इतनी जोर से चिल्लाई कि बेचारा मेकी तो डर के मारे कूं कूं करता सोफे के नीचे ही दुबक गया और नीलू और मारिया ने घबराकर अपनी आँखें बंद कर ली।

जैसे ही उन्होंने चिल्लाते हुए कहा – “आज तो यह कुत्ता इस घर से जरूर जाएगा।” नीलू जोर जोर से रोने लगी।

मारिया से नीलू का दुःख देखा नहीं गया और उसने तुरंत वह सब दोहरा दिया जो नीलू ने उसे बोलने के लिए कहा था।

नीलू की मम्मी ने उसे हुए एक जोरदार चांटा मारा और बुरी तरह से डांटने लगी। मेहमानों के समझाने पर उनका गुस्सा थोड़ा शांत हुआ वह उनके साथ बाहर चली गई।

नीलू अभी भी चुपचाप खड़ी थी। उसे बहुत दुःख हो रहा था कि क्रिसमस के दिन उसकी वजह से मारिया को मार पड़ गई। मारिया ने ड्रेस नीलू के हाथ में दी और अपने घर की ओर चल पड़ी।

वह थोड़ा आगे ही बढ़ी थी कि नीलू मेकी को लेकर दौड़ती हुई उसके पास आकर बोली – “तुम जिस तरह से इस ड्रेस को कस कर पकड़े हुए थी, उससे मुझे लगा कि तुम्हें यह बहुत पसंद आई है।”

मारिया ने धीरे से सकुचाते हुए कहा – “मैंने इतनी सुन्दर ड्रेस कभी अपने हाथ में भी नहीं ली है।”

“तो ठीक हैं मारिया, इसे तुम रख लो। यह मेरे और मेकी की तरफ़ से तुम्हारा क्रिसमस गिफ्ट हैं।” नीलू हँसते हुए बोली।

मारिया की आँखों से ख़ुशी के आँसूं बह निकले। वह कुछ कहना चाहती थी पर उसका गला भर आता था। उसने प्यार से नीलू का हाथ चूमा और दौड़ पड़ी अपने घर की ओर। आखिर उसे अपना क्रिसमस गिफ़्ट माँ को भी तो दिखाना था।

डॉ. मंजरी शुक्ला

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