खुराफाती गिलहरी की प्रेरणादायक कहानी

चिंकी का जंगल: खुराफाती गिलहरी की प्रेरणादायक कहानी

चिंकी गिलहरी बहुत शैतान थी। कभी वह पलटू खरगोश की गाजर कुतर कर फेंक देती तो कभी नन्हू कछुहे के ऊपर बैठकर जंगल की सैर कर आती।

एक बार तो उसने निफ़्टी गौरैया से शर्त लगाते हुए, जंगल के राजा शेरसिंह की पूँछ ही कुतर दी थी, जब वह झपकी ले रहा था।

निफ़्टी को शर्त हारने के कारण कई दिन तक स्वादिष्ट बीज और फल लाकर चिंकी को देने पड़े थे।

एक दिन जब शेरसिंह घूमने के लिए निकला तो उसने देखा कि जंगल में पेड़ पौधे कम हो रहे है।

वह यह देखकर बहुत परेशान हो गया और जंबो हाथी से बोला – “अगर सभी जानवर इसी तरह से पेड़ पौधों को खाते रहेंगे तो एक दिन यह जंगल तो खत्म हो जाएगा”।

जंबो बोला – “ये तो हमने सोचा ही नहीं था”।

चिंकी का जंगल… चिंकी गिलहरी बहुत शैतान होती है। सारा दिन वह सिर्फ़ मस्ती करती रहती है। जंगल में पेड़ पौधे खत्म होने पर जब राजा शेर सिंह जानवरों से पेड़ लगाने को कहते है तो चिंकी नई नई खुराफातें करती रहती है… क्या चिंकी सुधर जायेगी… क्या उसे पेड़ पौधों और हरे भरे जंगल की महत्ता पता चल जायेगी… जानने के लिए सुने मेरी कहानी “चिंकी का जंगल”।

चिंकी का जंगल: Story telling By Dr. Manjari Shukla

डुडू हिरन बोला – “मैं सब जानवरों से कह देता हूँ कि ढेर सारे बीज जो इधर उधर पड़े हुए है, उन्हें मिट्टी में दबा दे। कुछ ही दिनों बाद उनमें से पौधे निकलने लगेंगे और फ़िर से हमारा जंगल हरा भरा हो जाएगा”।

सभी पशु पक्षी शेरसिंह की बात सुनकर खुश हो गए और बीजों को ढूँढ ढूँढकर मिट्टी में दबाने लगे।

जंबों, सूँढ में पानी भरकर लाता और बीजों पर बौछार डालता।

सभी पशु पक्षी मेहनत करके जंगल को हरा भरा बनाने की कोशिश कर रहे थे पर चिंकी के दिमाग में कुछ ओर ही चल रहा था।

चिंकी जब देखती कि उसके आसपास कोई नहीं है तो वह बीजों को निकालती, मजे से खाती और मिट्टी वापस डालकर भाग जाती।

एक दिन सुरीली कोयल ने उसे ऐसा करते देख लिया।

वह उसके पास जाकर बोली – “हमारे जंगल के पास में जो दूसरा जंगल है, वहाँ चलोगी”?

घूमने की शौक़ीन चिंकी ख़ुशी से झूम उठी और तुरंत सरपट दौड़ती सुरीली के साथ चल दी।

दूसरे जंगल पहुँचने के बाद पहुंचे चिंकी सन्न खड़ी रह गई।

बंजर धरती पर मुरझाये हुए पेड़,पतले दुबले जानवर और कुछ पक्षी बैठे थे।

“हमारे जंगल में तो कितनी ठंडी हवा बहती है और यहाँ कितनी गर्म हवा बह रही है”।

“क्योंकि हमारे यहाँ फलों और नर्म मुलायम पत्तों से भरे हरे भरे पेड़ है”।

थोड़ी ही देर बाद चिंकी का गला सूखने लगा और वह बोली – “मुझे बहुत प्यास लगी है”।

“यहाँ पेड़ नहीं होने के कारण पानी भी बहुत कम बरसता है और नदी भी सूख गई है”।

चिंकी की आँखों से आँसूं गिर पड़े।

वह बोली – “चलो, मुझे भी ढेर सारे बीज मिट्टी में दबाने है”।

सुरीली बोली – “कल हम यहाँ आकर भी बीज दबा जाएँगे ताकि यह जंगल भी हमारे जंगल की तरह खूबसूरत हो जाए”।

सुरीली ने चिंकी की देखा और दोनों हँसते हुए अपने जंगल की ओर चल पड़ी।

~ डॉ. मंजरी शुक्ला

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