स्कूल मैगज़ीन से ली गयी बाल-कविताएँ

अलगाव में लगाव: सुजाता भट्टाचार्या

एक थे बापू, एक थे नेताजी ‘सुभाष’
विचारों ने जिनके हलचल मचा दी।
एक ने कहा ‘अहिंसा’ परमोधर्म,
दूजा बोला स्वराज पाकर लेंगे दम।।

एक करता आंदोलन सारी,
दूजा बनता फौज भारी।
दोनों ने देखा एक ही सपना,
पर ढंग था, दोनों का अपना-अपना।।

मंजिल एक, रास्ते अलग,
ना रुके पहुँचे फलक।
बापू बोले तुम ‘वीरों में वीर’,
तो नेताजी बोले ‘तुम पिता राष्ट्र के’।
एक कहे अहिंसा मेरा धर्म,
दूजा कहे राष्ट्र-सेवा मेरा कर्म।।

देश-प्रेम था जिनका गीत,
मुश्किलों को माना जिन्होंने मीत।
गए देश-देश पाने जीत,
बनाई देशप्रेम की जिन्होंने नई रीत।।

ना था स्वार्थ, ना कोई इच्छा,
रहते तैयार देने को परीक्षा।
एक ने कर आंदोलन, अंग्रेजों को छकाया,
दूजे ने भी फौज बना कर, भय दिखलाया।।

जिसमें झलकता भारी लगाव।
था अनोखा अलगाव, में भी लगाव,
अलगाव में भी लगाव।।

~ सुजाता भट्टाचार्या (हिंदी अध्यापिका) St. Gregorios School, Sector 11, Dwarka, New Delhi

आपको स्कूल मैगज़ीन से ली गयी बाल-कविताएँ कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

Check Also

Holika Dahan: Poetry About Holi Festival Celebrations In Hindus

Holika Dahan: Poetry About Holi Festival Celebrations In Hindus

Holika Dahan is celebrated by burning Holika, an asuri (demoness). For many traditions in Hinduism, …