बूँद टपकी एक नभ से - भवानी प्रसाद मिश्रा

बूँद टपकी एक नभ से: भवानी प्रसाद मिश्र

भवानी प्रसाद मिश्र हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक थे। वह ‘दूसरा सप्तक’ के प्रथम कवि हैं। गांंधी-दर्शन का प्रभाव तथा उसकी झलक उनकी कविताओं में साफ़ देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह ‘गीत-फ़रोश’ अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं और नये पाठ-प्रवाह के कारण अत्यंत लोकप्रिय हुआ। प्यार से लोग उन्हें भवानी भाई कहकर सम्बोधित किया करते थे। उन्होंने स्वयं को कभी भी निराशा के गर्त में डूबने नहीं दिया। जैसे सात-सात बार मौत से वे लड़े वैसे ही आजादी के पहले गुलामी से लड़े और आजादी के बाद तानाशाही से भी लड़े। आपातकाल के दौरान नियम पूर्वक सुबह-दोपहर-शाम तीनों वेलाओं में उन्होंने कवितायें लिखी थीं जो बाद में त्रिकाल सन्ध्या नामक पुस्तक में प्रकाशित भी हुईं। भवानी भाई को १९७२ में उनकी कृति बुनी हुई रस्सी पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। १९८१-८२ में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का साहित्यकार सम्मान दिया गया तथा १९८३ में उन्हें मध्य प्रदेश शासन के शिखर सम्मान से अलंकृत किया गया।

बूँद टपकी एक नभ से ~ भवानी प्रसाद मिश्र

Here is a lovely poem of Bhavani Prasad Mishra on rains… first few drops from the sky and then heavy showers. You need to read it out loud and slowly and see the magic of the flow of language.

बूँद टपकी एक नभ से,
किसी ने झुक कर झरोके से
कि जैसे हंस दिया हो,
हंस रही – सी आँख ने जैसे
किसी को कस दिया हो;
ठगा – सा कोई किसी की आँख
देखे रह गया हो,
उस बहुत से रूप को रोमांच रोके
सह गया हो।

बूँद टपकी एक नभ से,
और जैसे पथिक
छू मुस्कान, चौंको और घूमे
आँख उस की, जिस तरह
हंसती हुई – सी आँख चूमे,
उस तरह मै ने उठाई आँख
बादल फट गया था,
चन्द्र पर अत हुआ – सा अभ्र
थाड़ा हट गया था।

बूँद टपकी एक नभ से
ये कि जैसे आँख मिलते ही
झरोका बंद हो ले,
और नूपुर ध्वनि झमक कर,
जिस तरह दुत छंद हो ले,
उस तरह बादल सिमट कर,
चन्द्र पर छाय अचानक,
और पानी के हज़ारों बूँद
तब आये अचानक।

भवानी प्रसाद मिश्र

Check Also

Holika Dahan: Poetry About Holi Festival Celebrations In Hindus

Holika Dahan: Poetry About Holi Festival Celebrations In Hindus

Holika Dahan is celebrated by burning Holika, an asuri (demoness). For many traditions in Hinduism, …