रमानाथ अवस्थी का जन्म फतेहपुर, उत्तरप्रदेश में हुआ। इन्होंने आकाशवाणी में प्रोडयूसर के रूप में वर्षों काम किया। ‘सुमन- सौरभ, ‘आग और पराग, ‘राख और शहनाई तथा ‘बंद न करना द्वार इनकी मुख्य काव्य-कृतियां हैं। ये लोकप्रिय और मधुर गीतकार हैं। इन्हें उत्तरप्रदेश सरकार ने पुरस्कृत किया है। मन की चंचलता सर्व विदित है। अध्यात्म सागर पर भी कई बार …
Read More »ऋतुओं की ऋतू बसंत: सुमित्रानंदन पंत
वसंत पञ्चमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों …
Read More »कोरोना: Chinese वायरस कोरोना पर हिंदी कवितायेँ
चीन के वुहान शहर से फैली कोरोना वायरस महामारी के बाद अमेरिका ने वायरस के वुहान की लैब में तैयार किए जाने के आरोप लगाए थे, लेकिन चीन ने उन्हें खारिज कर दिया था। अब एक चीनी वायरोलॉजिस्ट (विषाणु विशेषज्ञ) ने दावा किया है कि कोरोना वायरस वुहान की एक लैब में ही तैयार किया गया था और उनके पास …
Read More »मेघ आये बड़े बन ठन के, सँवर के: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
भारत में मॉनसून हिन्द महासागर व अरब सागर की ओर से हिमालय की ओर आने वाली हवाओं पर निर्भर करता है। जब ये हवाएं भारत के दक्षिण पश्चिम तट पर पश्चिमी घाट से टकराती हैं तो भारत तथा आसपास के देशों में भारी वर्षा होती है। ये हवाएं दक्षिण एशिया में जून से सितंबर तक सक्रिय रहती हैं। वैसे किसी …
Read More »घर की याद: भवानी प्रसाद मिश्र की प्रसिद्ध हिंदी कविता
भवानी प्रसाद मिश्र हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक थे। वह ‘दूसरा सप्तक’ के प्रथम कवि हैं। गांंधी-दर्शन का प्रभाव तथा उसकी झलक उनकी कविताओं में साफ़ देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह ‘गीत-फ़रोश’ अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं और नये पाठ-प्रवाह के कारण अत्यंत लोकप्रिय हुआ। प्यार से लोग उन्हें भवानी भाई कहकर सम्बोधित किया करते थे। …
Read More »भीग रहा है गाँव: अखिलेश कुमार सिंह
मुखिया के टपरे हरियाये बनवारी के घाव सावन की झांसी में गुमसुम भीग रहा है गाँव धन्नो के टोले का तो हर छप्पर छलनी है सब की सब रातें अब तो आँखों में कटनी हैं चुवने घर में कहीं नहीं खटिया भर सूखी ठाँव निंदियारी आँखें लेकर खेतों में जाना है रोपाई करते करते भी कजली गाना है कीचड़ में …
Read More »पुरबा जो डोल गई: शिवबहादुर सिंह भदौरिया
भदौरिया जी का जन्म 15 जुलाई सन 1927 को ग्राम धन्नीपुर रायबरेली उत्तर प्रदेश में हुआ था। ‘हिंदी उपन्यास सृजन और प्रक्रिया’ पर कानपुर विश्व विद्यालय ने उन्हें पीएच.डी. की उपाधि से अलंकृत किया था। 1967 से 1972 तक बैसवाड़ा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिंदी प्रवक्ता से लेकर विभागाध्यक्ष तक के पदों पर रहे। 1988 में कमला नेहरु स्नातकोत्तर महाविद्यालय के …
Read More »बूँद टपकी एक नभ से: भवानी प्रसाद मिश्र
भवानी प्रसाद मिश्र हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक थे। वह ‘दूसरा सप्तक’ के प्रथम कवि हैं। गांंधी-दर्शन का प्रभाव तथा उसकी झलक उनकी कविताओं में साफ़ देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह ‘गीत-फ़रोश’ अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं और नये पाठ-प्रवाह के कारण अत्यंत लोकप्रिय हुआ। प्यार से लोग उन्हें भवानी भाई कहकर सम्बोधित किया करते थे। …
Read More »रिम झिम बरस रहा है पानी: मानसून बारिश पर कविता
वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तरी गोलार्द्ध में जो अतिआक्रामक प्रदूषण हो रहा है, उससे दक्षिणी गोलार्द्ध प्रभावित हुए बिना कैसे रह सकता है? थर्मल पॉवर प्लांट्स से निकलने वाली कार्बन डाई-ऑक्साइड और सल्फर डाई-ऑक्साइड दुनिया के कई-कई देशों सहित भारत में भी तबाही मचा रही है। इंपीरियल कॉलेज, लंदन के एक शोध में बताया गया है कि यूरोप में …
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