Tag Archives: Top 10 Life And Time Poems in Hindi

नया वर्ष द्वार पर: नए साल पर राकेश खण्डेलवाल की हिंदी बाल-कविता

Hindi Poem about Upcoming New Year नया वर्ष द्वार पर

नया वर्ष द्वार पर: राकेश खण्डेलवाल – ‘नव वर्ष‘ प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी को मनाया जाता है। यह सम्पूर्ण विश्व में एक बड़े उत्सव की तरह मनाया जाता है। अलग-अलग स्थानों पर नव वर्ष अलग-अलग विधियों से मनाया जाता है। स्थानीय कैलेण्डर के अनुसार विभिन्न देश एवं सम्प्रदाय के लोग अपना-अपना नव वर्ष अलग-अलग तिथियों पर मनाते हैं किन्तु अधिकांश …

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नया साल आएगा एक और संकल्प: वीणा सिंह चौधरी

नया साल आएगा एक और संकल्प: वीणा सिंह चौधरी

नया साल आएगा एक और संकल्प: वीणा सिंह चौधरी – भारत में नव वर्ष का आयोजन सभी लोग अपने धर्म के हिसाब से अलग-अलग दिनों में मनाते है लेकिन पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव के कारण ज्यादातर लोग अब 1 जनवरी को भी नव वर्ष का आयोजन करते है। हिन्दुओं का नया साल चैत्र नव रात्रि के प्रथम दिन यानी गुड़ी पड़वा …

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दिवाली रोज़ मनाएं: दीपावली पर छोटी कविता

दिवाली रोज़ मनाएं - संदीप फाफरिया ‘सृजन’

दिवाली रोज़ मनाएं: भारत में यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। धनतेरस से भाई दूज तक यह त्योहार चलता है। धनतेरस के दिन व्यापार अपने बहीखाते नए बनाते हैं। अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना अच्‍छा माना जाता है। अमावस्या के दिन लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है। खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता …

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दिवाली आई, दिवाली आई: हिंदी बाल-कविता

Diwali Festival Hindi Rhyme दिवाली आई, दिवाली आई

दिवाली आई, दिवाली आई: हिंदी बाल-कविता दिवाली आई, दिवाली आई, खुशियो की बहार लायी। धूम धमक धूम-धूम, चकरी, बम, हवाई इनसे बचना भाई। दिवाली आई, दिवाली आई, खुशियो की बहार लायी। पटाखे बाजे धूम-धूम, धूम-धूम। आओ मिलकर नाचे गए हम और तुम…। घर घर दीप जलेंगे, आएगी मिठाई। दिवाली आई, दिवाली आई, खुशियो की बहार लायी। धूम धमक धूम-धूम, चकरी, …

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दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली रे: कविता

Diwali Festival Hindi Bal Kavita दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली रे

दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली रे: दिवाली भारतीयों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है और हमारे लिए लगभग कोई भी त्योहार आतिशबाजी के बिना पूरा नही माना जाता है। लोग पटाखों और आतिशबाजी को लेकर इतने उत्सुक होते हैं कि वह दिवाली के एक दिन पहले से ही पटाखे फोड़ना शुरु कर देते हैं और कई बार …

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दादी माँ: Short Poem on Grandmother in Hindi Language

दादी माँ – मीनल दधीच ‘मींटू’

दादी माँ: मेरी दादी के सबसे ज़्यादा करीब मैं हूँ। मेरे घर पर नौ सदस्य है। जिनमे माँ, पिताजी, मैं और मेरी बहन, चाचा – चाची और उनके दो बच्चे यानी दो भाई और दादी है, हम दो मंज़िला इमारत में रहते है। दादी सबसे प्यारी है। मैं अपने दादी से बेहद प्यार करता हूँ। वह सभी का समान रूप से …

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दादी वाला गाँव: Nostalgia Hindi Poem about Ancestral Village Home

इंदिरा गौड़ की लोकप्रिय बाल कविता: दादी वाला गाँव

दादी वाला गाँव: गाँव भारत का हृदय है। कुछ विद्वान कहते हैं कि असली भारत गाँव में है। लगभग 70% आबादी गाँव में रहती है। लोगों के कल्याण के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया अंत्योदय कार्यक्रम अंतिम पंक्ति में है। गाँव में पंचायती राज संस्थाएँ वह स्तर जहाँ वास्तविक लोकतंत्र की शक्ति का एहसास होता है क्योंकि सत्ता …

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दादा और दादी जी: Inspirational Short Hindi Poem on Grandparents

दादा और दादी जी: Inspirational Short Hindi Poem on Grandparents

दादा और दादी जी किसी भी परिवार का वह सदस्य होते है, जो परिवार को संभाल कर रखती है और हमेशा सभी को प्यार देती है। ‘दादा और दादी जी‘ हमेशा बच्चों से स्नेह एवम लाड दुलार करते है और उन्हें किसी भी प्रकार से दुखी नहीं कर सकते है। आज तक आपने और हमने ‘दादा और दादी‘ के ऊपर …

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सृष्टि: सुमित्रानंदन पंत की प्रकृति पर हिंदी कविता

सृष्टि: सुमित्रानंदन पंत की प्रकृति पर हिंदी कविता

सृष्टि: सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant, जन्म: 20 मई 1900; मृत्यु: 28 दिसंबर, 1977) हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक हैं। सुमित्रानंदन पंत नये युग के प्रवर्तक के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में उदित हुए। सुमित्रानंदन पंत ऐसे साहित्यकारों में गिने जाते हैं, जिनका प्रकृति चित्रण समकालीन कवियों में सबसे बेहतरीन था। आकर्षक व्यक्तित्व के …

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मौन निमंत्रण: सुमित्रानंदन पंत

मौन निमंत्रण: सुमित्रानंदन पंत

मौन निमंत्रण: सुमित्रानंदन पंत को प्रकृति का सुकुमार कवि कहा जाता है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से प्रकृति के विभिन्न उपादानों का बड़ी सुंदरता से वर्णन किया है। ‘मौन निमंत्रण‘ कविता की शुरुआत भी रात की प्रकृति से हुई है। कविता आरंभ में वे लिखते हैं कि रात में चांदनी फैली हुई थी। चांदनी में किसी की तरह चंचलता …

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