राजा है ये ऋतुओं का आनंद है अनंत।
पीत सोन वस्त्रों से सजी है आज धरती,
आंचल में अपने सौंधी-सौंधी गंध भरती।
तुम भी सखी पीत परिधानों में लजाना,
नृत्य करके होकर मगन प्रियतम को रिझाना।
सीख लो इस ऋतु में क्या है प्रेम मंत्र,
गाओ सखी होकर मगन आया है बसंत।
राजा है ऋतुओं का आनंद है अनंत,
गाओ सखी होकर मगन आया है बसंत।
नील पीत वातायन में तेजस प्रखर भास्कर,
स्वर्ण अमर गंगा से बागों और खेतों को रंगकर।
स्वर्ग सा गजब अद्भुत नजारा बिखेरकर,
लौट रहे सप्त अश्वों के रथ में बैठकर।
हो न कभी इस मोहक मौसम का अंत,
गाओ सखी होकर मगन आया है बसंत।
राजा है ऋतुओं का आनंद है अनंत,
गाओ सखी होकर मगन आया है बसंत।
∼ विवेल हिरदे
ऐसे हुआ मां सरस्वती का जन्म
पौराणिक विपिन शास्त्री बताते हैं कि सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु से अनुमति लेकर ब्रम्हा ने अपने कमंडल से जल छिड़का जिससे वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। जो मां सरस्वती के रूप में उनकी पुत्री कहलाईं।
ऐसे करें पूजा
- वसंत पंचमी में प्रात: उठ कर बेसन युक्त तेल का शरीर पर उबटन करके स्नान करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ पीतांबर या पीले वस्त्र धारण कर मां सरस्वती के पूजन की तैयारी करना चाहिए।
- माघ शुक्ल पूर्वविद्धा पंचमी को उत्तम वेदी पर वस्त्र बिछाकर चावल से अष्टदल कमल बनाएं।
- अग्रभाग में भगवान श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- पृष्ठभाग में वसंत, जौ व गेहूं की बाली के पुंज को जल से भरे कलश की स्थापना करें।
- सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें। वसंत पुंज के द्वारा रति और कामदेव का पूजन करें।
- सामान्य हवन करने के बाद केशर या हल्दी मिश्रित हलवे की आहुतियां दें।
- इस दिन विष्णु-पूजन का भी करना चाहिए।
- कलश की स्थापना करके गणेश, सूर्य, विष्णु तथा महादेव की पूजा करने के बाद वीणावादिनी मां सरस्वती का पूजन करना चाहिए।