Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

तुम – कुंवर बेचैन

तुम - कुंवर बेचैन

शोर की इस भीड़ में ख़ामोश तन्हाई–सी तुम ज़िंदगी है धूप तो मदमस्त पुरवाई–सी तुम। आज मैं बारिश में जब भीगा तो तुम ज़ाहिर हुईं जाने कब से रह रहीं थीं मुझ में अंगड़ाई–सी तुम। चाहे महफिल में रहूं चाहे अकेला मैं रहूं गूंजती रहती हो मुझमें शोख़ शहनाई–सी तुम। लाओ वो तस्वीर जिसमें प्यार से बैठे हैं हम मैं …

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तू बावन बरस की – जेमिनी हरियाणवी

तू बावन बरस की - जेमिनी हरियाणवी

तू बावन बरस की, मैं बासठ बरस का न कुछ तेरे बस का, न कुछ मेरे बस का कहाँ है मेरा तेरे नजदीक आना कहाँ है तेरा मुस्कराना लजाना हुआ खात्म अपना वो मिलने का चसका न कुछ तेरे बस का, न कुछ मेरे बस का मैं था खूबसूरत, तू थी इक हसीना वो सर्दी की रातें, पसीना पसीना मगर …

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सुप्रभात – प्रभाकर शुक्ल

सुप्रभात - प्रभाकर शुक्ल

नयन से नयन का नमन हो रहा है, लो उषा का आगमन हो रहा है। परत पर परत चांदनी कट रही है, तभी तो निशा का गमन हो रहा है। क्षितिज पर अभी भी हैं अलसाए सपने, पलक खोल कर भी, शयन हो रहा है। झरोखों से प्राची कि पहली किरण का, लहर से प्रथम आचमन हो रहा है। हैं …

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पुनः स्मरण – दुष्यंत कुमार

पुनः स्मरण - दुष्यंत कुमार

आह सी धूल उड़ रही है आज चाह–सा काफ़िला खड़ा है कहीं और सामान सारा बेतरतीब दर्द–सा बिन–बँधे पड़ा है कहीं कष्ट सा कुछ अटक गया होगा मन–सा राहें भटक गया होगा आज तारों तले बिचारे को काटनी ही पड़ेगी सारी रात बात पर याद आ गई है बात स्वप्न थे तेरे प्यार के सब खेल स्वप्न की कुछ नहीं …

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सिरमौर (भारत-भारती से) – मैथिली शरण गुप्त

सिरमौर (भारत-भारती से) - मैथिली शरण गुप्त

हाँ, वृद्ध भारतवर्ष ही संसार का सिरमौर है ऐसा पुरातन देश कोई विश्व में क्या और है भगवान की भव–भूतियों का यह प्रथम भंडार है विधि ने किया नर–सृष्टि का पहले यहीं विस्तार है यह ठीक है पश्चिम बहुत ही कर रहा उत्कर्ष है पर पूर्व–गुरु उसका यही पुरु वृद्ध भारतवर्ष है जाकर विवेकानंद–सम कुछ साधु जन इस देश से …

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क्षुद्र की महिमा – श्यामनंदन किशोर

क्षुद्र की महिमा - श्यामनंदन किशोर

शुद्ध सोना क्यों बनाया, प्रभु मुझे तुमने, कुछ मिलावट चाहिये गलहार होने के लिये! जो मिला तुममें, भला क्या भिन्नता का स्वाद जाने, जो नियम में बँध गया, वह क्या भला अपवाद जाने, जो रहा समकक्ष, करुणा की मिली कब छाँह उसको, कुछ गितरावट चाहिये उद्धार होने के लिये। जो अजन्में हैं, उन्हें इस इंद्रधनुषी विश्व से संबंध ही क्या! …

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राही के शेर – बालस्वरूप राही

राही के शेर - बालस्वरूप राही

किस महूरत में दिन निकलता है, शाम तक सिर्फ हाथ मलता है। दोस्तों ने जिसे डुबोया हो, वो जरा देर में संभलता है। हमने बौनों की जेब में देखी, नाम जिस चीज़ का सफ़लता है। तन बदलती थी आत्मा पहले, आजकल तन उसे बदलता है। एक धागे का साथ देने को, मोम का रोम रोम जलता है। काम चाहे ज़ेहन …

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प्यार का नाता हमारा – विनोद तिवारी

प्यार का नाता हमारा - विनोद तिवारी

जिंदगी के मोड़ पर यह प्यार का नाता हमारा राह की वीरानियों को मिल गया आखिर सहारा ज्योत्सना सी स्निग्ध सुंदर, तुम गगन की तारिका सी पुष्पिकाओं से सजी, मधुमास की अभिसारिका सी रूप की साकार छवि, माधुर्य की स्वच्छन्द धारा प्यार का नाता हमारा, प्यार का नाता हमारा मैं तुम्हीं को खोजता हूँ, चाँद की परछाइयों में बाट तकता …

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पलायन संगीत – राजीव कृष्ण सक्सेना

पलायन संगीत - राजीव कृष्ण सक्सेना

अनगिनित लोग हैं कार्यशील इस जग में अनगिनित लोग चलते जीवन के मग में अनगिनित लोग नित जन्म नया पाते हैं अनगिनित लोग मर कर जग तर जाते हैं कुछ कर्मनिष्ठ जन कर्मलीन रहते हैं कुछ कर्महीन बस कर्महीन रहते हैं कुछ को जीवन में गहन मूल्य दिखता है कुछ तज कर्मों को मुक्त सहज बहते हैं इस महानाद में …

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बाकी रहा – राजगोपाल सिंह

बाकी रहा – राजगोपाल सिंह

कुछ न कुछ तो उसके – मेरे दरमियाँ बाकी रहा चोट तो भर ही गई लेकिन निशाँ बाकी रहा गाँव भर की धूप तो हँस कर उठा लेता था वो कट गया पीपल अगर तो क्या वहाँ बाकी रहा आग ने बस्ती जला डाली मगर हैरत है ये किस तरह बस्ती में मुखिया का मकाँ बाकी रहा खुश न हो …

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