Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

Funny Hindi Bal Kavita about a hungry cat बिल्ली मौसी – सूर्यकुमार पांडेय

बिल्ली मौसी – सूर्य कुमार पांडेय

बिल्ली मौसी चलीं बनारस लेकर झोला डंडा गंगा तट पर मिला उसे तब मोटा चूहा पंडा चूहा बोला बिल्ली मौसी चलो करा दूँ पूजा मुझ सा पंडा यहाँ घाट पर नहीं मिलेगा दूजा बिल्ली बोली ओ पंडा जी भूख लगी है भारी पूजा नहीं, पेट पूजा की करो तुरत तैयारी समझा चूहा बिल्ली मौसी का जो पंगा जी में टीका–चंदन …

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Hindi Bal Kavita about Eyes आँख – सूर्यकुमार पांडेय

Hindi Bal Kavita about Eyes आँख - सूर्यकुमार पांडेय

कुछ की काली कुछ की भूरी कुछ की होती नीली आँख जिसके मन में दुख होता है उसकी होती गीली आँख। सबने अपनी आँख फेर ली सबने उससे मीचीं आँख गलत काम करने वालों की रहती हरदम नीची आँख। आँख गड़ाते चोर–उचक्के चीज़ों को कर देते पार पकड़े गये चुराते आँखें आँख मिलाने से लाचार। आँख मिचौनी खेल रहे हम …

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Suryakumar Pandey Inspirational Hindi Poem मेरा खरापन शेष है

मेरा खरापन शेष है – सूर्यकुमार पांडेय

गांव में मैैं गीत के आया‚ मुझे ऐसा लगा‚ मेरा खरापन शेष है। वृक्ष था मैं एक‚ पतझड़ में रहा मधुमास सा‚ पत्र–फल के बीच यह जीवन जिया सन्यास सा‚ कोशिशें बेशक मुझे जड़ से मिटाने को हुईं‚ मेरा हरापन शेष है। सीख पाया मैं नहीं इस दौर जीने की कला‚ धोंट पाया स्वार्थ पल को भी नहीं मेरा गला‚ …

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Good Morning Hindi Poem सवेरा और जीवन

Good Morning Hindi Poem सवेरा और जीवन

हुआ सवेरा, हुआ सवेरा, सूरज की किरणों ने डाल-डाल पर डाला घेरा, हुआ सवेरा, हुआ सवेरा। मन में उमंग, तन में तरंग, जीवन ने फिर से लिया फेरा हुआ सवेरा, हुआ सवेरा। चल निकला, बागों में जीवन, चल निकला, राहों में जीवन हुआ सवेरा, हुआ सवेरा। पक्षियों का जागा फिर कलखू, मीठा-मीठा, मंद-मन मोहक हुआ सवेरा, हुआ सवेरा। कलियों का …

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Mukesh Classic Love Song कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है – साहिर लुधियानवी

Mukesh Classic Love Song कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है - साहिर लुधियानवी

कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है के ये बदन ये निगाहें मेरी अमानत हैं ये गेसुओं की …

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Anand Bakshi Romantic Love Song Sung By Mukesh चंचल शीतल निर्मल कोमल

Anand Bakshi Romantic Love Song Sung By Mukesh चंचल शीतल निर्मल कोमल

चंचल शीतल निर्मल कोमल संगीत की देवी स्वर सजनी.. सुन्दरता की हर प्रतिमा से बढाकर है तू सुन्दर सजनी चंचल शीतल… कहते है जहा ना रवि पहुचे कहते है वहा पर कवी पहुचे तेरे रंग-रूप की छाया तक ना रवि पहुचे ना कवी पहुचे मै छूने लागून तू उड़ जाए परियो से तेरे पर सजनी चंचल शीतल… तेरे रसवंती होठो …

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पानी रे पानी तेरा रंग कैसा: इन्द्रजीत सिंह तुलसी

पानी रे पानी तेरा रंग कैसा - शोर - Hindi Filmi Song on Poverty

शोर 1972 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका लेखन, निर्देशन और निर्माण मनोज कुमार ने किया है। इसमें वह स्वयं जया भादुड़ी के साथ मुख्य भूमिका में हैं। शंकर (मनोज कुमार) एक दुर्घटना में अपनी पत्नी (नन्दा) को खो देता है। वह अपने बेटे को बचाते हुए मर जाती है। दुर्घटना के कारण, दीपक अपनी आवाज खो देता …

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Bollywood Emotional Hindi Song आ लौट के आजा मेरे मीत

Bollywood Emotional Hindi Song आ लौट के आजा मेरे मीत

आ लौट के आजा मेरे मीत तुझे मेरे गीत बुलाते हैं मेरा सूना पड़ा रे संगीत तुझे मेरे गीत बुलाते हैं बरसे गगन मेरे बरसे नयन देखो तरसे है मन अब तो आजा शीतल पवन ये लगाए अगन ओ सजन अब तो मुखड़ा दिखा जा तूने भली रे निभाई प्रीत तूने भली रे निभाई प्रीत तुझे मेरे गीत बुलाते हैं …

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Hindi Bal-Kavita about Morning Routine मेरी नींद नहीं खुल पाती

Hindi Bal-Kavita about Morning Routine मेरी नींद नहीं खुल पाती

मुझको नींद बहुत है आती सुबह-सुबह। मेरी नींद नहीं खुल पाती सुबह-सुबह। मम्मी टेप लगातीं उठने-उठने की पापा की बातों में धमकी पिटने की दोनों कहते जल्दी शाला जाना है नल चालू है उठकर शीघ्र नहाना है पर मुझको तो नींद सुहाती सुबह-सुबह मेरी नींद नहीं खुल पाती सुबह-सुबह। म‌म्मी तो उठ‌ जातीं मुँह‌ अँधियारे में पापा ट‌ह‌लें सुब‌ह‌-सुब‌ह‌ ग‌लियारे …

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Agyeya Contemplation Poem on Lost Love प्राण तुम्हारी पदरज फूली

प्राण तुम्हारी पदरज फूली मुझको कंचन हुई तुम्हारे चंचल चरणों की यह धूली! आईं थीं तो जाना भी था – फिर भी आओगी‚ दुख किसका? एक बार जब दृष्टिकरों से पदचिन्हों की रेखा छू ली! वाक्य अर्थ का हो प्रत्याशी‚ गीत शब्द का कब अभिलाषी? अंतर में पराग सी छाई है स्मृतियों की आशा धूली! प्राण तुम्हारी पदरज फूली! ∼ …

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