नमक का क़र्ज़ - डॉ. मंजरी शुक्ल

नमक का क़र्ज़ – डॉ. मंजरी शुक्ल

यह सुनकर सैनिक की आँखें भर आई। कुछ ही दिनों में सैनिक चलने फिरने लायक हो गया। टीपू उससे तरह-तरह के प्रश्न पूछता रहता, कभी जंग के बारे में तो कभी फ़ौज के बारे में। एक दिन टीपू ने उसकी वर्दी पर हाथ फेरकर पूछा “अच्छा, तो हमारे देश के सैनिक क्या इसी तरह की वर्दी पहनते है?”

यह सुनकर सैनिक कुछ नहीं बोला और उसें प्यार से गले लगा लिया। सैनिक ने थोड़ी देर बाद पुछा – “तुम्हारे माँ और पिताजी कहाँ हैं?”

Soldierयह सुनकर टीपू का गोरा मुहँ गुस्से से लाल हो गया और वह आसमान की ओर इशारा करके बोला “दादी कहती हैं कि सीमा पार से किसी फौजी ने हमारी झोपड़ी के पास ताबड़तोड़ फायरिंग की थी, जिससे मेरे माँ ओर पिताजी भगवान के पास चले गए। जब में बड़ा होकर फ़ौज में भर्ती होऊंगा तो उसको भी बन्दूक से मार दूँगा।”

यह सुनकर सैनिक के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसे वह मनहूस शाम याद आ गई जब उसने दुश्मनों का जिक्र आते ही गुस्से में फायरिंग शुरू कर दी थी और उसे बाद में पता चला था कि एक पति पत्नी की उसी में मौत हो गई थी। अब उसके समझ में आया कि वे दोनों टीपू के ही माँ बाप थे। उसका हृदय चीत्कार कर उठा। जो बच्चा उसे मौत के मुहं से बचाकर लाया था उसने उसे ही अनाथ बना दिया था। वह जैसे पत्थर का बन गया। बहुत देर तक वह बिना हिले डुले वैसे ही बैठा रहा पर उसकी आँखों से लगातार आँसूं बह रहे थे। वह अपनी सेना में “मेजर” था और अब तक ना जाने कितने ही युद्ध देख चुका था, कितनी ही लाशें उसके सामने से गुजरी थी पर उसके आँखें कभी नम नहीं हुई थी। आज वह जोर- जोर से बच्चों की तरह सिसकारी भर कर रो रहा था। वह अपने ऊपर बहुत लज्जित था कि उसने सीमा पार की हर औरत और मासूम बच्चों की जान को कैसे अपनी माँ और बच्चों की जान नहीं समझा। क्यों उनमें उसे अपने परिवार वालों की झलक नहीं दिखाई दी। सुबह को काम पर जाता, हँसता-मुस्कुराता आदमी जब अपने घर नहीं लौटा होगा तो उसके रोते बिलखते परिवार वाले उसे कभी क्यों नहीं दिखे।

उसे इस तरह रोता देख टीपू दौड़कर अपनी दादी को बुला लाया।

दादी उसे बड़े ही प्यार से चुप करने लगी तो वह बोल – “माँ, तुमने मेरी इतनी सेवा की पर कभी मुझसे मेरा नाम तक नहीं पूछा। यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि मैं हिन्दू हूँ या मुसलमान?”

यह सुनकर दादी अपने आँसुओं को आँचल से पोंछते हुए बोली – “बेटा, मैं नहीं जानती कि राम कौन हैं और कौन रहीम। मुझे तो केवल मेरे मेहमान की चिंता हैं कि कही उसकी सेवा करने में मुझसे कही कोई कमी ना रह जाए।”

यह सुनकर मेजर सन्न रह गया। तभी उसने देखा कि उसके सैनिकों की एक टुकड़ी उस ओर बढ़ी आ रही है। सैनिकों को लगा कि झोपड़ी के अन्दर और भी कई लोग हैं, जिन्होंने मेजर को बंदी बनाकर रखा हुआ है।

उनमे से एक ने दादी की ओर निशाना साधकर बंदूक चला दी – मेजर यह देखकर हवा की गति से उनके सामने आ गया। गोली सनसनाते हुई सीधे जाकर उसके पेट में लगी। बौखलाए हुए सैनिक यह देखकर दौड़ते हुए उसके पास आ गए। टीपू मेजर के गले लगकर जोर जोर से रोने लगा।

मेजर ने प्यार से उसे चूमा, एक लम्बी सिसकारी भरी और दादी के चरणों में अपना सर रखकर बोला – “मैंने नमक का क़र्ज़ अदा कर दिया माँ… हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।”

और यह कहकर मेजर शान्ति से सो गया हमेशा-हमेशा के लिए…

Check Also

National Creators Award: Categories, Winners and Recognition

National Creators Award: Categories, Winners and Recognition

National Creators Award (NCA): Creators Awards 2024 took place on 08th March 2024, Prime minister …