मनु का होमवर्क: छात्रों के लिए प्रेरणादायक कहानी

मनु का होमवर्क: छात्रों के लिए प्रेरणादायक कहानी

“आज फ़िर तुम्हारी होमवर्क कॉपी में ढेर सारे लाल लाल निशान लगे हुए है” मम्मी ने थोड़ा गुस्से से मनु की ओर देखते हुए कहा।

पर मनु भला मम्मी की बात कहाँ सुन रहा था, वह तो खिड़की से बाहर झाँकने में मगन था।

इस बार मम्मी ने मनु का हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचा और कॉपी दिखाते हुए कहा – “आजकल क्या लाल तुम्हारा फ़ेवरेट कलर हो गया है”?

मनु जानता था कि मम्मी को गुस्सा बहुत कम आता था और वह हर बात को हँसी मजाक में ही समझाने की कोशिश करती थी, पर आज उनके स्वर में नाराज़गी साफ़ झलक रही थी।

“अरे मम्मी, आप बिलकुल भी परेशान मत हो। सारे सवाल मुझे बहुत अच्छे से आते हैं”।

“अगर तुम्हें सभी सवाल आते हैं तो तुमने उत्तर क्यों गलत लिख हुए हैं”? मम्मी ने आश्चर्य से पूछा “क्योंकि सभी जवाब मेरे दिमाग में रहते है” मनु ने कहा।

अब मम्मी का मुँह देखने लायक था।

वह मनु को गौर से देखते हुए बोली – “तुम्हारे दिमाग में रहते हैं, यह क्या बात हुई। दिमाग में रहने से क्या होता है? जब तक उन्हें कॉपी में नहीं लिखोगे तब तक टीचर को कैसे पता चलेगा”!

“बहुत सारा होमवर्क मिलता है ना, इसलिए मै आधा करता हूँ और आधा दिमाग में रखता हूँ” मनु खिड़की के बाहर झाँकते हुए ही बोला।

मम्मी को याद आया कि पहले मनु की कॉपी पर अगर एक जगह भी लाल बिंदु नज़र आ जाता था तो वह रो-रोकर आफ़त कर लेता था। पर धीरे-धीरे खेलने के चक्कर में वह होमवर्क को बोझ समझने लगा जबकि वह नहीं जानता था कि स्कूल से लौटकर रोज़ाना होमवर्क करने से ही बच्चों को दिन भर का पढ़ाया हुआ आसानी से याद हो जाता है जो उनकी परीक्षा की तैयारी में बहुत काम आता है। पर वह जानती थी कि अब मनु से बहस करने का कोई फ़ायदा नहीं है।

वह कॉपी एक ओर रखकर जैसे ही वहाँ से उठने को हुई तभी मनु के दोस्त मिहिर और जलज आ गए। मनु उन्हें देखकर खुशी के मारे उछल पड़ा और खुश होता हुआ बोला – “मै कब से तुम दोनों का रास्ता देख रहा था पर तुम लोग पर आज इतनी देर से खेलने के लिए क्यों आए”?

जलज ने कहा – “क्या करूं, आज तो होमवर्क इतना सारा था कि करते-करते पूरे दो घंटे लग गए”।

“हाँ… बिलकुल सही, मुझे भी शायद इतना ही समय लगा होगा” मिहिर घड़ी की तरफ़ देखता हुआ बोला।

“दो घंटे क्यों… मै तो पँद्रह मिनट में ही होमवर्क कर लेता हूँ” मनु हँसते हुआ बोला।

“पंद्रह मिनट क्या, तुम्हारे लिए तो पाँच मिनट ही काफ़ी है। तभी तो हर पीरियड में टीचर तुम्हें क्लास में खड़ा करती है” जलज ने तपाक से कहा।

“पर तुम दोनों को जानते हो कि मुझे सवालों के जवाब आते हैं। वह तो मै जल्दबाजी में गड़बड़ कर देता हूँ” मनु सकपकाते हुए बोला।

“यह देखो, तुम्हारी पूरी कॉपी में लाल लाल गोले लगे हुए हैं। अभी तक तो मैंने सिर्फ़ सफ़ेद अंडे ही देखे थे, इतने सारे लाल अंडे पहली बार देखे” जलज ने यह कहते हुए मिहिर को कॉपी दिखाई और मुस्कुरा उठा।

मनु को उन दोनों पर गुस्सा तो बहुत आया पर वह इस वक्त अपने दोस्तों से लड़ना नहीं चाहता था क्योंकि इस समय उसका क्रिकेट खेलने का बहुत मन था।

उसने बैट उठाया और कहा – “चलो, हम लोग खेल कर आते हैं”।

और मनु मम्मी से बताकर अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने चला गया।

मम्मी इतनी देर कमरे के बाहर ही खड़ी मनु और उसके दोस्तों की बातें सुन रही थी।

उन्हें मनु की सोच पर बहुत दुख हुआ क्योंकि पहले मनु अपना होमवर्क बहुत सावधानीपूर्वक और अच्छे से करता था पर धीरे-धीरे उसे लगने लगा कि होमवर्क तो उसे आता ही है इसलिए वह जैसा तैसा करके टीचर को कॉपी दे देता था। इसलिए जहाँ हर विषय में पूरे नंबर लाने वाले मनु की कॉपी की टीचर अलग से तारीफ़ करती थी वहीं अब उसकी कॉपी पर हर जगह लाल पेन का निशान होता था।

मम्मी को समझ में नहीं आ रहा था कि मनु को कैसे समझाएँ।

अगले दिन इतवार था और मनु जानता था कि मम्मी उसका मनपसंद इडली सांभर बनाएँगी इसलिए वह बड़े ही प्यार से मम्मी से बोला – “आपके हाथों में जादू है। आप जैसा इडली सांभर कोई बना ही नहीं सकता”।

यह बात सुनते ही अचानक मम्मी के दिमाग में एक आइडिया आया और वह तुरंत किचन की ओर चल दी थोड़ी देर में उन्होंने इडली सांभर की प्लेट मनु के आगे रख दी।

पर यह क्या पहला कौर मुँह में डालते ही मनु को ऐसा लगा जैसे इडली की जगह उसने कोई रबड़ की गेंद चबा ली हो। उसने सोचा जल्दी से एक चम्मच सांभर पीकर वह अपने मुँह का स्वाद बदल ले पर सांभर पीते ही उसके रोयें खड़े हो गए। कच्ची दाल और अधपकी सब्ज़ियों ने पूरा ज़ायका खराब कर दिया।

उसने झुँझलाते हुए कहा – “आपने यह क्या बना दिया है। आपको तो इसकी रेसिपी इतने अच्छे से आती है”।

मम्मी ने मनु का हाथ पकड़कर कहा – “इडली सांभर की रेसिपी तो मेरे दिमाग में है। क्या फ़र्क पड़ता है अगर मैंने उसे जैसे तैसे बनाकर दे दिया”।

मनु मम्मी की बात सुनकर सन्न रह गया।

उसने रुँआसे होते हुए मम्मी की ओर देखा।

मम्मी बोली – “जैसे मुझे इडली सांभर बनाना आता है और मै उसे बनाने में बिल्कुल मेहनत ना करूँ तो वह ऐसे ही बनती है। जैसे तुम तुम्हारा होमवर्क आते हुए भी टालते हो और वहीँ अगर उसी इडली सांभर को मै मेहनत, लगन और पूर्ण समर्पण के भाव से बनाती हूँ तो तुम्हें वह बहुत स्वादिष्ट लगता है। मनु से कुछ कहते नहीं बना ओर वह मम्मी के गले लग कर बोला – “मै आपकी बात समझ गया। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मुझे माफ़ कर दीजिए”।

मम्मी ने उसे प्यार से देखा और किचन से मनु के लिए स्वादिष्ट इडली सांभर लाने के लिए चल दी।

~ मंजरी शुक्ला (बालवाणी के मई-जून, 2018 अंक में छपी)

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