अब्दाली की लूट - Invasion of Ahmad Shah Abdali

अब्दाली की लूट – Invasion of Ahmad Shah Abdali

पंजाब के जिला सियालकोट में एक महाजन परिवार रहता था। उस परिवार में केवल सुखजीवन नाम का एक लड़का ही बच पाया था। उस के मातापिता बचपन में ही मर गए थे। लड़का पढ़नेलिखने में बहुत होशियार था। फ़ारसी का तो वह पूरा पंडित ही था। जब सियालकोट में उस का गुजारा नहीं चला तो वह कलमदवात ले कर पेशावर की ओर चला गया। वहां पर वह अब्दाली की कचहरी के सामने फटी सी दरी बिछा कर अपनी कलमदवात ले कर बैठ गया और दरबार में आनेजाने वालों का पढ़ाई-लिखाई का काम करने लगा। वह इतनी अच्छी फारसी लिखता कि अक्षरों की सुंदरता और भाषाशैली की कमनीयता को देख कर बड़े-बड़े फारर्सीदा चकित रह जाते थे। इतना ही नहीं, वह ऊबड़खाबड़ रूप में लिखे हुए पुराने कागजात और दस्तावेजों को भी बांच लेता था। इस काम में सुखजीवन की बड़ी प्रसिद्धि हुई ओर का काम चल पड़ा। इस तरह पेशावर में रहते रहते उसे कई साल बीत गए।

एक दिन की बात है कि अब्दाली अपनी पेशावर की कचहरी में एक जरुरी पत्र से सिर मार रहा था। न तो घसीट में लिखी पत्र की भाषा समझ में आ रही थी, न उस का मतलब ही। अब्दाली मन ही मन भुनभुनाता हुआ लिखने वाले की सातों पीढ़ियों को कोस रहा था। वजीर ने भी उस पत्र पर दिमाग लगाया पर कुछ हाथ न लगा। हार कर उसने अब्दाली का ध्यान सुखजीवन महाजन की ओर दिलाया।

सुखजीवन ने उत्तर दिया, “हुजूरेआला, मैं पंजाबी महाजन हूं, जिला सियालकोट से रोटी की तलाश में भटकता हुआ यहां आ पहुंचा हूं।”

“हुजूर, बहुत कुछ बचपन में मदरसे मौलवी साहब से सिखी, दुकान में बाप से सीखी। जब बाप का साया सर से उठ गया तो बहुत कुछ दुनिया के धक्के खा कर सीखी बाकी अपने सूने घर में किताबें पढ़पढ़ कर सीखी।”

“वल्लाह, क्या बात कही है। तुम इतने गरीब और काबिल आदमी हो। हमारी यह खुशकिस्मती है जो तुम जैसा काबिल आदमी हमारे इलाके में है। हम तुम्हें इज्जतदार ऊंचा ओहदा देंगे, ऊंचे खानदान में विवाह करेंगे।”

“इस नाचीज पर हुजूर की मेहरबानी है। पर मैं इस के लिए अपना हिंदू धर्म छोड़ कर इसलाम कबूल नहीं करूंगा।”

अब्दाली ने हस कर कहा, “ओह, नहीं, हम तुम्हें अपना मजहब बदलने के लिए कभी नहीं कहेंगे। अब्दाली मजहब के चक्कर में पड़ कर काबलियत की तौहीन नहीं करता। तुम ख़ुशी से हिंदू बने रहो, हमें कोई एतराज नहीं। मेरे दरबार में और भी कितने ही हिंदू हैं।”

सुखजीवन आदर से झुक गया और बोला, “हुजूर, आप की बातें काबिलेतारीफ हैं। बंदा ताजिंदगी इन कदमों की खिदमत करता रहेगा।”

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