Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

आर्य – मैथिली शरण गुप्त

आर्य - मैथिली शरण गुप्त

हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहां फैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहां संपूर्ण देशों से अधिक, किस देश का उत्कर्ष है उसका कि जो ऋषि भूमि है, वह कौन, भारतवर्ष है यह पुण्य भूमि प्रसिद्घ है, …

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अरसे के बाद – राजीव कृष्ण सक्सेना

अरसे के बाद - राजीव कृष्ण सक्सेना

अरसे के बाद गगन घनदल से युक्त हुआ अरसे के बाद पवन फिर से उन्मुक्त हुआ अरसे के बाद घटा जम कर‚ खुल कर बरसी सोंधा–सोंधा सा मन धरती का तृप्त हुआ दूर हुए नभ पर लहराते कलुषित साए भूली मुस्कानों ने फिर से पर फैलाए बरसों से बन बन भटके विस्मृत पाहुन से बीते दिन लौट आज वापस घर …

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अपनी इज्जत न दाँव पर रखिये – राजीव कृष्ण सक्सेना

अपनी इज्जत न दाँव पर रखिये - राजीव कृष्ण सक्सेना

अपनी इज्जत न दाँव पर रखिये वरना नीलाम सरे–आम करी जाएगी जो जमा–पूँजी कमाई थी सभी जीवन में एक ही चूक से मिट्टी में बदल जाएगी जिनको ख़लती ही रही आपकी औकात सदा वही औकात की बोली लगाने आएंगे और औकात को बेख़ौफ जमीं पर रख कर ठाहकों संग फ़कत ठोकरें लगाएंगे जो अभी तक लगाए बैठे थे चेहरों पे …

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यदि – ओम प्रकाश बजाज

यदि - ओम प्रकाश बजाज

सोचो ज़रा यदि सूरज दादा किसी दिन ड्यूटी पर न आते। बहाना बना कर तुम्हारी तरह वह भी छुट्टी मनाते। दिन में भी अन्धेरा छा जाता हाथ को हाथ सुझाई न देता। संसार के सारे काम रुक जाते समय का भी तो भान न होता। अपनी ड्यूटी के पक्के सारे सूरज चाँद और तारे। इनसे सीखो तुम भी निभाना नियमपूर्वक …

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उफ़ यह प्यास – ओम प्रकाश बजाज

उफ़ यह प्यास - ओम प्रकाश बजाज

भीषड़ गर्मी के इस मौसम में बार – बार लगती है प्यास, चाहे कितना पी लें पानी नहीं बुझती है प्यास, गला सूख-सूख जाता है जितना भी तर करते हैं, लस्सी – शर्बत – आम का पन्ना चाहे जितना पीते हैं, जलजीरा और सत्तू का भी बहुत लोग सेवन करते हैं, कुल्फी – आइसक्रीम – बर्फ का गोला बच्चे अधिक …

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तकिया (पिलो) – ओम प्रकाश बजाज

तकिया (पिलो) - ओम प्रकाश बजाज

बिस्तर का हिस्सा है तकिया, सिरहाना भी कहलाता तकिया। अपना-अपना तकिया लेना, उस पर गिलाफ अवश्य चढ़ाना। मैले तकिये पर न सोना, नियम से उसका खोल धुलवाना। बहुत ऊंचा तकिया न लेना, पिल्लो-फाइट भी न करना। पीठ टिकाने के काम आता, गाव तकिया वह कहलाता। अच्छे-अच्छे शेर और स्वीट ड्रीम्स, गिलाफों पर काढ़े जाते थे। मेहमानों के बिस्तर में पहले, …

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अपनापन – बुद्धिसेन शर्मा

अपनापन – बुद्धिसेन शर्मा

चिलचिलाती धूप में सावन कहाँ से आ गया आप की आँखों में अपनापन कहाँ से आ गया। जब वो रोया फूट कर मोती बरसने लग गये पास एक निर्धन के इतना धन कहाँ से आ गया। दूसरों के ऐब गिनवाने का जिसको शौक था आज उसके हाथ में दरपन कहाँ से आ गया। मैं कभी गुज़रा नहीं दुनियाँ तेरे बाज़ार …

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अँधेरी रात में दीपक जलाये कौन बैठा है – हरिवंश राय बच्चन

अँधेरी रात में दीपक जलाये कौन बैठा है – हरिवंश राय बच्चन

अँधेरी रात में दीपक जलाये कौन बैठा है? उठी ऐसी घटा नभ में छिपे सब चाँद और तारे, उठा तूफ़ान वह नभ में गए बुझ दीप भी सारे, मगर इस रात में भी लौ लगाये कौन बैठा है? अँधेरी रात में दीपक जलाये कौन बैठा है? … गगन में गर्व से उठ उठ गगन में गर्व से घिर घिर, गरज …

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अंतहीन यात्री – धर्मवीर भारती

अंतहीन यात्री - धर्मवीर भारती

विदा देती एक दुबली बाँह-सी यह मेड़ अंधेरे में छूटते चुपचाप बूढ़े पेड़ ख़त्म होने को ना आएगी कभी क्या एक उजड़ी माँग-सी यह धूल धूसर राह? एक दिन क्या मुझी को पी जाएगी यह सफ़र की प्यास, अबुझ, अथाह? क्या यही सब साथ मेरे जाएँगे ऊँघते कस्बे, पुराने पुल? पाँव में लिपटी हुई यह धनुष-सी दुहरी नदी बींध देगी …

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कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना – आनंद बक्षी

कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना - आनंद बक्षी

कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना छोड़ो बेकार की बातों में कहीं बीत ना जाए रैना कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना कुछ रीत जगत की ऐसी है, हर एक सुबह की शाम हुई तू कौन है, तेरा नाम है क्या, सीता भी यहाँ बदनाम हुई फिर क्यूँ संसार की बातों से, भीग गये …

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