Roop Narayan Tripathi

यशस्वी रचनाकार व अपनी साहित्य साधना से जौनपुर जिले की पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर बिखेरने वाले महाकवि पंडित रूप नारायण त्रिपाठी यशस्वी रचनाकार, के साथ समाजशास्त्री भी थे। हिन्दी के साथ उर्दू शायरी पर उनकी मजबूत पकड़ थी। काव्य में फैली ग्राम्यांचल गीत, माटी की महक व भारतीय संस्कृति की जो तस्वीर पेश की गई है व प्रेरणादायी है। उनकी कविताओं में सत्यम शिवम सुंदरम का बोध है।

भोर हुई – रूप नारायण त्रिपाठी

भोर हुई - रूप नारायण त्रिपाठी

भोर हुई पेड़ों की बीन बोलने लगी, पत पात हिले शाख शाख डोलने लगी। कहीं दूर किरणों के तार झनझ्ना उठे, सपनो के स्वर डूबे धरती के गान में, लाखों ही लाख दिये ताारों के खो गए, पूरब के अधरों की हल्की मुस्कान में। कुछ ऐसे पूरब के गांव की हवा चली, सब रंगों की दुनियां आंख खोलने लगी। जमे …

Read More »