∼ नरेंद्र चंचल संगीतकार : सुरिंदर कोहली गायक : नरेंद्र चंचल
Read More »जय माता दी – देव कोहली
जय माता दी जय माता दी हे अम्बे बलिहारी लगे सबको तू प्यारी तेरी शेरों की सवारी देखें सब नर नारी हे अम्बे बलिहारी… अष्ट भुजाएं वेष अनोखा खडग तेग है तेरी शोभा तेरे जैसा कोई न होगा माँ अब आँखें खोल जय माता दी जय माता दी जय माता दी बोल हे माता कोहराम मचा है कठिन घड़ी है …
Read More »जय पार्वती माता – संजीवनी भेलंडे
जय पार्वती माता, मैया जय गौरा माता। ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता॥ जय… अरिकुल पद्म विनासनि, जय सेवक त्राता। जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता॥ जय… सिंह को वाहन साजे, कुण्डल है साथा। देव वधू जहं गावत, नृत्य करत ता था॥ जय… सतयुग शील सुसुंदर, नाम सति कहलाता। हेमांचल घर जन्मी, सखियन रंगराता॥ जय… शुंभ निशुंभ विदारे, हेमांचल …
Read More »जय संतोषी माता – दुर्गा जसराज
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता। अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता॥ जय… सुंदर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो। हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो॥ जय… गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे। मंद हँसत करूणामयी, त्रिभुवन जन मोहे॥ जय… स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे। धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे॥ जय… गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे …
Read More »जय मां काली – इन्दीवर
खदगम चक्र गदेशु चाप परिघान शूल बुशुन्दिम शिरः शंख संदा धतिम करे स्त्रिनायानाम सरवांग भूशाप्तन जय मां काली, जय मां काली जान चाहे लेनी पड़े, जान चाहे देनी पड़े बलि हम चढ़ाएगे जय काली, जय काली, नाश दुष्ट का करने वाली… जय मां काली जान चाहे लेनी पड़े, जान चाहे देनी पड़े बलि हम चढ़ाएगे जय काली, जय काली, नाश …
Read More »मैं जीवन में कुछ न कर सका – हरिवंश राय बच्चन
मैं जीवन में कुछ न कर सका… जग में अँधियारा छाया था, मैं ज्वाला लेकर आया था मैंने जलकर दी आयु बिता, पर जगती का तम हर न सका। मैं जीवन में कुछ न कर सका… अपनी ही आग बुझा लेता, तो जी को धैर्य बँधा देता, मधु का सागर लहराता था, लघु प्याला भी मैं भर न सका। मैं …
Read More »जय जय शिव शंकर – आनंद बक्षी
जय जय शिव शंकर काँटा लगे न कंकर जो प्याला तेरे नाम का पिया ओ गिर जाऊँगी, मैं मर जाऊँगी जो तूने मुझे थाम न लिया सो रब दी जय जय शिव शंकर… एक के दो दो के चार हमको तो दिखते हैं ऐसा ही होता है जब दो दिल मिलते हैं सर पे ज़मीं पाँव के नीचे है आसमान, …
Read More »जिस दिल में माँ का मंदिर है – नरेंद्र चंचल
∼ नरेंद्र चंचल
Read More »जिस्म संदल – राजमूर्ति सिंह ‘सौरभ’
जिस्म संदल, कारनामे हैं मगर अंगार से, आपकी सूरत अलग है आपके किरदार से। आप के सारे मुखौटे अब पुराने हो गये, औए कुछ चेहरे नए ले आइये बाजार से। ख़ाक हो जाएगी बस्ती, क्या महल क्या झोपडी, दूर रखिये आग को, बारूद के अम्बार से। अपना चेहरा साफ़ करिये, आईने मत तोडिये, हल ना होंगे मसले, यूँ नफरतों-तकरार से। …
Read More »इक पल – राजीव कृष्ण सक्सेना
इक पल है नैनों से नैनों के मिलने का, बाकी का समय सभी रूठने मनाने का। इक पल में झटके से हृदय टूक-टूक हुआ, बाकी का समय नीर नैन से बहाने का। इक पल की गरिमा ने बुध्द किया गौतम को, बाकी का समय तपी ज़िंदगी बिताने का। पासों से पस्त हुए इक पल में धर्मराज, बाकी का समय कुरुक्षेत्र …
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