साल मुबारक – हरिहर झा

यारों मुझे साल मुबारक कर लेने दो
पल दो पल खुशी में जी लेने दो
तुम सच कहते हो
कल किसी आतंकवादी बम से
आसमान फट पड़ेगा
तो मेरी फटी कमीज़ के तार-तार से
आसमाँ को भी सी दूँगा
पर आज मेरे दिल की नसें मत चिरने दो
यारों मुझे साल मुबारक कर लेने दो

माना कल सार्स के कीटाणु
मेरे जिस्म को बनाएँगे छलनी
राजा न बच पाएगा
भिखारी की दाल क्या गलनी
कैंसर का क्यों डर दिखाते
नन्हीं-सी जान के लिए
किसी सरकारी अस्पताल में
हैजे से उबर कर मलेरिया से मरने दो
यारों मुझे साल मुबारक कर लेने दो

शनि राहू के अंधे डर
तुमने मिटाए तो मिट गए
जोशी के पंचांग पर
तुम ग्रह बने वे पिट गए
अब डराते हो कि ज़मीन पर गिरेगें
घूमते कृत्रिम उपग्रह के कबाड़
तो कहर ही ढ़ा देगें
बहस मे फेंकी हुई तश्तरियों के कचरे

नए वर्ष की
शुभकामनाओं की झड़ी
एटमी ब्रह्मास्त्र को क्या भाएगी
रंगीन आतिश का माहौल देख कर
उल्टी गिरती उल्का सँभल जाएगी
तो दुर्देव की भेजी हुई
बिजली की दमक का हिसाब
आँखों की चमक से कर लेने दो
यारों मुझे साल मुबारक कर लेने दो
पल दो पल खुशी मे जी लेने दो।

∼ हरिहर झा

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