भारत के त्यौहार: भारत त्यौहारों की भूमि है। भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही उत्सव और त्यौहारों की परम्परा रही हैं। इसमें विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग रहते है और इस प्रकार यहाँ कई धार्मिक त्यौहार मनाये जाते हैं। उत्सव धर्म का एक अभिन्न अंग हैं। भारत में तीन राष्ट्रीय त्यौहार भी मनाए जाते है। उत्सव के मौसम के …
Read More »मकई दा दाना, आना ले के जाना: लोहड़ी लोक गीत
मकई दा दाना, आना ले के जाना “Mukai da dana, Aana lei ke janahulle hulareasi ganga chalesas sora chalejeth jathani chaledyor darani chalepairi shaunkan chalihulle hulareasi ganga pohnchesas sora pohnchejeth jathani pohnchedyor darani pohnchepairi shaunkan pohnchihulle hulareasi ganga nahte shava or hullejeth jathani nahtedyor darani nahtepairi shaunkan nahtiihulle hulareshaunkan paili paurishaunkan duji paurishaunkan tiji paurimaiti dhakka dittashaukan vichhe rud gayihulle …
Read More »लो आ गयी लोहड़ी वे: जावेद अख्तर
लो आ गयी लोहड़ी वे,बना लौ जोड़ी वे,कलाई कोई यू थामो, ना जावे छोड़ी वे,ना जावे छोड़ी वेछूठ ना बोली वे,कुफर ना टोली वे,जो तुने खायी थी कसमे, इक इक तोड़ी वे,इक इक तोड़ी वेलो आ गयी लोहड़ी वे,बना लो जोड़ी वे…तेरे कुर्बान जावा, तेरी मर्ज़ी जान जावा,तोह हर बात मान जावा, तेरी सोनिये…ओय-ओय-ओय तेरे कुर्बान जावातेनु मै जान-दिया, खूब …
Read More »स्वामी विवेकानंद के भाषण पर प्रेरणादायक कविता
शिकागो धर्म सम्मेलन, 1893 में दिया गया भाषण स्वामी विवेकानंद पर कविता अमरीकी भाई बहनो कह, शुरू किये जब उद्बोधन। धर्म सभा स्तब्ध हुई थी, सुनकर उनका सम्बोधन॥आया उस प्राचीन देश से, जो संतो की है नगरी। पाया हूँ सम्मान यहाँ जो, भरी हर्ष से मन गगरी॥मेरा है वो धर्म जिसे सब, कहते धर्मो की माता। धरा गगन में होने वाली, हर हलचल …
Read More »स्वामी विवेकानंद जी की कविता: सागर के वक्ष पर
सागर के वक्ष पर: स्वामी विवेकानंद जी नील आकाश में बहते हैं मेघदल,श्वेत कृष्ण बहुरंग,तारतम्य उनमें तारल्य का दीखता,पीत भानु-मांगता है विदा,जलद रागछटा दिखलाते।बहती है अपने ही मन से समीर,गठन करता प्रभंजन,गढ़ क्षण में ही, दूसरे क्षण में मिटता है,कितने ही तरह के सत्य जो असम्भव हैं –जड़ जीव, वर्ण तथा रूप और भाव बहु।आती वह तुलाराशि जैसी,फिर बाद ही …
Read More »काली माता: स्वामी विवेकानंद की कविता
काली माता: स्वामी विवेकानंद छिप गये तारे गगन के,बादलों पर चढ़े बादल,काँपकर गहरा अंधेरा,गरजते तूफान में, शतलक्ष पागल प्राण छूटेजल्द कारागार से–द्रुमजड़ समेत उखाड़कर, हरबला पथ की साफ़ करके।शोर से आ मिला सागर,शिखर लहरों के पलटतेउठ रहे हैं कृष्ण नभ कास्पर्श करने के लिए द्रुत,किरण जैसे अमंगल कीहर तरफ से खोलती हैमृत्यु-छायाएँ सहस्रों,देहवाली घनी काली।आधिन्याधि बिखेग्ती, ऐनाचती पागल हुलसकरआ, …
Read More »हैप्पी न्यू इयर: सरदार टूक टूक
हैप्पी न्यू इयर: सरदार टूक टूक – नव वर्ष का यह उत्सव पूरी दुनिया में बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। सभी लोगों का मानना है कि नया साल हमेशा नई उम्मीदें और खुशियां लेकर आता है। इसलिए सभी लोग नए साल के अवसर पर खुशी से इसका स्वागत करते है। सभी लोग 31 दिसंबर की रात …
Read More »ये सुबह तुम्हारी है: प्रदीप मिश्रा
ये सुबह तुम्हारी है: प्रदीप मिश्रा – भारत में नव वर्ष का आयोजन सभी लोग अपने धर्म के हिसाब से अलग-अलग दिनों में मनाते है लेकिन पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव के कारण ज्यादातर लोग अब 1 जनवरी को भी नव वर्ष का आयोजन करते है। हिन्दुओं का नया साल चैत्र नव रात्रि के प्रथम दिन यानी गुड़ी पड़वा पर हर …
Read More »नूतन वर्ष: राजीव रंजन प्रसाद
नूतन वर्ष: राजीव रंजन प्रसाद – यानि नए साल को हर कोई अपने अपने तरीके से मनाता है, लेकिन सबके लिए नया साल नए उम्मीदे ले आता है, जो की बहुत ही आनंदित करने वाला होता है, तो ऐसे मे नया साल का उत्सव हर कोई सुंदर और शानदार तरिके से मनाते है, पूरी दुनिया मे 31 दिसंबर की रात …
Read More »नए वर्ष का हो अभिनंदन: गौरव ग्रोवर
नए वर्ष का हो अभिनंदन: गौरव ग्रोवर – प्राचीन रोमन कैलेंडर में 10 महीने और 304 दिन होते थे और वसंत ऋतू के प्रारंभ में नया साल मनाया जाता था। इस परंपरा को रोम के संस्थापक रोमुलस द्वारा आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व में बनाया गया था। 1713 ईसा पूर्व के दौरान, रोम के दूसरे राजा नुमा पोम्पिलियस ने रोमन कैलेंडर …
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