गाली अगर न मिलती: रामावतार त्यागी

गाली अगर न मिलती: रामावतार त्यागी

गाली अगर न मिलती तो फिर
मुझको इतना नाम न मिलता,
इस घायल महफिल में तुमको
सुबह न मिलता शाम न मिलता।

मैं तो अपने बचपन में ही
इन महलों से रूठ गया,
मैंने मन का हुक्म न टाला
चाहे जितना टूट गया,
रोटी से ज्यादा अपनी
आजादी को सम्मान दिया,
ऐसी बात नहीं है मुझको
कोई घटिया काम न मिलता।

मैंने खूब तराजू पर
चढ़ते देखा इंसानों को,
पशुओं के पैरों को छूते
देखा है इन्सानों को,
मैं तंगीनी में घुल जाता
या ढल जाता चाँदी में,
और सभी कुछ मिल जाता पर
मुझको मेरा गाम न मिलता।

मुझको रंगों रूपों का
जादू भरमाता चला गया,
मैं भी लेकिन इनको जी भर कर
ठुकराता चला गया,
मेरी तो केवल हसरत थी
दुनियाँ से टकराने की,
मैं मामूली रह जाता जो
मुझको यह संग्राम न मिलता।

रामावतार त्यागी

आपको रामावतार त्यागी जी की यह कविता “गाली अगर न मिलती” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

Hari Hara Veera Mallu: 2022 Telugu Action Drama

Hari Hara Veera Mallu: Part 1 – Telugu Period Action Adventure Film

Hari Hara Veera Mallu: Part 1 – Movie Name Directed by:  Krish Jagarlamudi Starring: Pawan …