चेहरा College Love Story with a Twist

चेहरा College Love Story with a Twist

चाँद को क्या मालूम… कि उसे कुछ ही घंटों बाद चांदनी से जुदा होना पड़ेगा या फिर नादान काली बदली भला कहाँ जानती हैं कि बहती हवा के साथ कितनी बूँदें बरसाकर अपना आँचल खाली कर देने के बाद भी वो मुस्कुराते हुए अपनी तन्हाई किसी पर ज़ाहिर नहीं होने देगी… मासूम रातों में टिमटिमाता दिया अपने मद्धम प्रकाश के साथ कब तक डटा खड़ा रहेगा ये ना उसने जाना और ना ही कभी जानेगा… और शायद उसी तरह मैं भी… अपने हृदय की वेदना की वेग को अपनी आँखों के कोरो से बहने से नहीं रोक पाता… अंधियारी हो या उजियारी… तारों भरी या सूनी… काटनी तो है ही… कैसे बीतेगी… बीतेगी या फ़िर किसी पुरानी सुनी हुई कहानी की तरह केवल स्मृतियों में ही रह जाएगी, उन परी कथाओं की अद्भुत कहानियों की तरह, जिन के पात्र हमारे साथ हँसे, खेलें और फिर नानी की कहानी खत्म होते ही वापस उनकी संदूकची में बंद हो गए। कितना खोजा उन्हें, हर जगह, जहाँ तिल रखने की भी जगह ना थी, ऐसी मारामारी वाली भीड़ में, जहाँ हृदय के स्पंदन को भी सुना जा सके ऐसे हर वीराने में, लरजती गरजती नदियों की कल कल से पहाड़ों की ऊंचाइयों तक केवल कल्पना ही जीवंत हो हंसती बोलती रही जिन पात्रों के साथ सारा बचपन बिता दिया वे ना जाने कहाँ गुम हो गए थे जिन्हें मैं चाह कर भी वापस ना बुला सका। अफसोस होता रहा कि क्यों नहीं उस संदूकची में मैं भी चला गया, उन्हीं राजा, वज़ीर, विक्रम – वेताल और ढेर सारे बौनों के देश में, जहाँ पर हमेशा एक सुनहरे बालों वाली राजकुमारी किसी राजकुमार की प्रतीक्षा में खिड़की से बाहर देखती हुई उदास नीली आँखों से आँसूं गिरा रही होती जो ज़मीन पर गिर कर सफ़ेद चमचमाते मोती बन कर बिखर जाते थे या फ़िर चमकते सितारें रातरानी और मालती के गुच्छे बनकर लता के सहारे सारे जंगल में अपनी भीनी ख़ुश्बू का इंद्रजाल फैलाते हुए सभी को मदहोश सा कर देते।

अब ना-नानी रहीं, ना ही वो कहानियाँ और ना ही उनकी वो जादुई सुनहरी संदूकची, जिसको बस एक नज़र देखने के लिए हम नानी के सभी काम सर के बल करने के लिए तैयार खड़े रहते थे। फ़िर चाहे उनका चाँदी का नक्काशीदार पीकदान उठाकर लाना हो या फ़िर उनकी सफ़ेद मुलायम फ़र वाली चप्पलें जो वह बड़े गर्व से बताती थी कि किसी गोरी अंग्रेजन मेम ने उनकी सुंदरता पर फ़िदा हो कर दी थी।

सारी बातें सदियों पुरानी एक कहानी की तरह है। लगता है ये रात मुझे अपने आगोश में लेकर कुछ खुश हो जाएगी और अंधेरों से निकालेगी कुछ अनकही बातें, कुछ अनसुनी कहानियाँ जिन्हें सोचते हुए पता नहीं ये पल कब बीत जाएंगे जैसे कभी थे ही नहीं। कल फिर उस से सामना होगा… उसी से… और ये सोच कर मैं ज़ोरो से हँस पड़ा ऐसा लगा जैसे पूरे कमरे में जैसे सुगंधा के सुनहरे बाल है और मैं उनका झूला बनाकर उस पर झूलते हुए उससे बातें करने लगा। ना जाने कब खिड़की से आती ठंडी हवा के झोंकों ने मुझे सुला दिया, मैं जान ही नहीं सका। सुबह उठते ही हमेशा की तरह सबसे पहले मैंने भगवान से प्रार्थना करी कि मुझे आज सुगंधा का चेहरा जरूर दिखा देना, वरना इस तरह से तो दिन रात घुटते हुए मैं मर जाऊंगा। मैं हर पल की मौत नहीं मर सकता। पर मैं कर ही क्या सकता हूँ? क्या किसी को जबरदस्ती अपनी ओर खींच लूँ। इस बात की कल्पना ने ही मेरे रोंगटे खड़े कर दिए और मैंने पास पड़ी चादर से अपने माथे का पसीना पोछ लिया।

तभी माँ कमरे मे आई हमेशा की तरह एक हाथ में बेलन और एक हाथ में भिंडी लिए हुए।

मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोली – “क्या देख रहा है तेरी बीवी भी एक दिन इसी हाल में दिखेगी सुबह-सुबह”।

ये सुन कर मैं शरमा दिया।

माँ बोली – “चल अब जल्दी से नाश्ता कर ले तेरी पसंद की भिंडी की सब्जी बना रही हूँ।”

मैं झटपट तैयार होकर डाइनिंग टेबल पर पहुंचा तो मां बोली – “तेरा ही रास्ता देख रही थी अब गरम-गरम कुरकुरे पराठें बना कर तुझे खिलाती हूं।”

मैंने कहा “अरे माँ, क्यों परेशान हो रही हो – दो सेंक कर रख देती वैसे भी मैं कहाँ ज्यादा खाता हूँ मैं?”

Check Also

Ram Navami Poems: Kosalendraya Mahaniya Guna Badhaye

Ram Navami Poems: Kosalendraya Mahaniya Guna Badhaye

Ram Navami Poems: Rama Navami is one of the most popular festivals in India. It …