सूरज डूब गया बल्ली भर – नरेंद्र शर्मा

सूरज डूब गया बल्ली भर–
सागर के अथाह जल में।
एक बाँस भर उग आया है–
चांद, ताड़ के जंगल में।

अगणित उंगली खोल, ताड़ के पत्र, चांदनी में डोले,
ऐसा लगा, ताड़ का जंगल सोया रजत–छत्र खोले
कौन कहे, मन कहाँ-कहाँ
हो आया, आज एक पल में।

बनता मन का मुकुर इंदु, जो मौन गगन में ही रहता,
बनता मन का मुकुर सिंधु, जो गरज–गरज कर कुछ कहता,
शशि बनकर मन चढ़ा गगन पर,
रवि बन छिपा सिंधु–तल में।

परिक्रमा कर रहा किसी की, मन बन चांद और सूरज,
सिंधु किसी का हृदय-दोल है, देह किसी की है भू–रज
मन को खेल खिलाता कोई,
निशि दिन के छाया–छल में।

∼ पंडित नरेंद्र शर्मा

About Narendra Sharma

पंडित नरेंद्र शर्मा (28 फरवरी 1913 – 11 फरवरी 1989) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि, लेखक, सम्पादक एवं गीतकार थे। उन्होने हिन्दी फिल्मों (जैसे सत्यम शिवम सुन्दरम) के लिये गीत भी लिखे। पंडित नरेन्द्र शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के खुर्जा जिले के जहांगीरपुर नामक गाँव में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षाशास्त्र और अंग्रेज़ी मे एम.ए. किया। 1934 में प्रयाग में ‘अभ्युदय’ पत्रिका का संपादन किया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी स्वराज्य भवन में हिंदी अधिकारी रहे और फिर बॉम्बे टाकीज़ बम्बई में गीत लिखे। उन्होंने फिल्मों में गीत लिखे, आकाशवाणी से भी संबंधित रहे और स्वतंत्र लेखन भी किया। उनके 17 कविता संग्रह, एक कहानी संग्रह, एक जीवनी और अनेक रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। उनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं– प्रवासी के गीत, मिट्टी और फूल, अग्निशस्य, प्यासा निर्झर, मुठ्ठी बंद रहस्य (कविता-संग्रह) मनोकामिनी, द्रौपदी, उत्तरजय सुवर्णा (प्रबंध काव्य) आधुनिक कवि, लाल निशान (काव्य-संयचन) ज्वाला-परचूनी (कहानी-संग्रह, 1942 में ‘कड़वी-मीठी बात’ नाम से प्रकाशित) मोहनदास कर्मचंद गांधी: एक प्रेरक जीवनी, सांस्कृतिक संक्राति और संभावना (भाषण)। लगभग 55 फ़िल्मों में 650 गीत एवं ‘महाभारत’ का पटकथा-लेखन और गीत-रचना।

Check Also

BINU DANCE OF BAHAG BIHU

Bohag Bihu Festival Information: Assam Festival Rongali Bihu

Bohag Bihu Festival Information: The Rongali Bihu is the most important among all the three …