हाशिया – मनोज कुमार ‘मैथिल’

Hasiyaमैं एक हाशिया हूँ
मुझे छोड़ा गया है
शायद कभी ना भरने के लिए
मेरे बाद बहुत कुछ लिखा जायेगा
मुझसे पहले कुछ नहीं
मैं उनके लिए अस्तित्वहीन हूँ
जिनका अस्तित्व मुझसे है

मैं एक हाशिया हूँ
मुझे छोड़ा गया है
सुन्दर दिखने के लिए
मुझे छोड़ लिखे जाते हैं
बड़े-बड़े विचार
मुझपर विचार करने की
फुर्सत कहाँ ?

मैं एक हाशिया हूँ
मुझे छोड़ा गया है
एक सीमा निर्धारण के लिए
मेरी भावनाओं को
जिसे शुन्य मान
करते हैं वो अपनी
तुच्छ……
भावनाओं की अभिव्यक्ति

मैं एक हाशिया हूँ
मुझे छोड़ा गया है
मुझ पर कुछ ना लिखना
कुछ न कहना ही उचित है
अगर मुझ पर कुछ लिखा गया

तो औरों पर क्या ?
कैसे लिखा जाएगा
हर बार मुझसे
बिना पूछे
मुझे यूँ ही छोड़ा जाएगा
क्योंकि मैं एक हाशिया हूँ

∼ मनोज कुमार ‘मैथिल’

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