दफ्तर का बाबू: सुरेश उपाध्याय

दफ्तर का बाबू: सुरेश उपाध्याय

दफ्तर का एक बाबू मरा
सीधा नरक में जा कर गिरा
न तो उसे कोई दुख हुआ
ना ही वो घबराया
यों खुशी में झूम कर चिल्लाया –
‘वाह वाह क्या व्यवस्था है‚ क्या सुविधा है‚
क्या शान है! नरक के निर्माता तू कितना महान है!

आंखों में क्रोध लिये यमराज प्रगट हुए
बोले‚
‘नादान दुख और पीड़ा का
यह कष्टकारी दलदल भी
तुझे शानदार नज़र आ रहा है?’
बाबू ने कहा‚
‘माफ करें यमराज।
आप शायद नहीं जानते
कि बंदा सीधा हिंदुस्तान से आ रहा है।’

सुरेश उपाध्याय

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