Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा: साहिर लुधियानवी

तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा: साहिर लुधियानवी

तू हिन्दु बनेगा ना मुसलमान बनेगा इन्सान की औलाद है इन्सान बनेगा। अच्छा है अभी तक तेरा कुछ नाम नहीं है तुझको किसी मजहब से कोई काम नहीं है जिस इल्म ने इंसान को तकसीम किया है उस इल्म का तुझ पर कोई इलज़ाम नहीं है तू बदले हुए वक्त की पहचान बनेगा। मालिक ने हर इंसान को इंसान बनाया …

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विश्व–सुंदरी Gopal Singh Nepali Hindi Poem about Beauty Queen

विश्व–सुंदरी Gopal Singh Nepali Hindi Poem about Beauty Queen

जल रहा तुम्हारा रूप–दीप कुंतल में बांधे श्याम घटा नयनों में नभ की नील छटा अधरों पर बालारुण रंजन मृदु आनन में शशी–नीराजन जल रहा तुम्हारा रूप–दीप भौंहों में साधे क्षितिज–रेख तुम अपनी रचना रहीं देख हाथों में विश्व–कमल सुन्दर मधु–मधुर कंठ में कोकिल–स्वर जल रहा तुम्हारा रूप–दीप सुन्दरी तुम्हारे कुसुम बाण उड़ चले चूमने प्राण–प्राण दिशिदिशि से जयजयकार उठा …

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तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा: कुमार विश्वास

Kumar Vishwas

ओ कल्पवृक्ष की सोनजुही, ओ अमलताश की अमलकली, धरती के आतप से जलते, मन पर छाई निर्मल बदली, मैं तुमको मधुसदगन्ध युक्त संसार नहीं दे पाऊँगा, तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा। तुम कल्पव्रक्ष का फूल और, मैं धरती का अदना गायक, तुम जीवन के उपभोग योग्य, मैं नहीं स्वयं अपने लायक, तुम नहीं अधूरी गजल …

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संसार – महादेवी वर्मा

संसार - महादेवी वर्मा

निश्वासों सा नीड़ निशा का बन जाता जब शयनागार, लुट जाते अभिराम छिन्न मुक्तावलियों के वंदनवार तब बुझते तारों के नीरव नयनों का यह हाहाकार, आँसू से लिख जाता है ‘कितना अस्थिर है संसार’! हँस देता जब प्रात, सुनहरे अंचल में बिखरा रोली, लहरों की बिछलन पर जब मचली पड़तीं किरणें भोली तब कलियाँ चुपचाप उठा कर पल्लव के घूँघट …

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Ramvachan Singh Hasya Baal-Kavita पास हुए हम

Ramvachan Singh Hasya Baal-Kavita पास हुए हम

पास हुए हम, हुर्रे हुर्रे! दूर हुए गम, हुर्रे हुर्रे! रोज नियम से किया परीश्रम और खपाया भेजा, धीरे–धीरे, थोड़ा–थोड़ा हर दिन ज्ञान सहेजा, रुके नहीं हम, हुर्रे हुर्रे! हम कछुआ ही सही, चल रहे लगातार पर धीमें, हम खरगोश नहीं की दौड़ें, सोयें रस्ते ही में। रुका नहीं क्रम, हुर्रे हुर्रे! बात नकल की कोई हमने कभी न मन …

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Nostalgia Hindi Poem about Relations अब कहाँ

Nostalgia Hindi Poem about Relations अब कहाँ

बचपन की तरह, अब बेटे कहाँ झगड़ते है माँ मेरी, माँ मेरी, भाई से भाई कहाँ कहते है। कभी ख्वाइशें आकर, सीने से लिपटती थी, सुने शजर की तरह, अब घर में बुजुर्ग रहते है। न बरकत, न उस घर में खुशियाँ रहती है भाई-भाई जहाँ आँगन में दिवार रखते है। कोई अखबार बेचने, कोई कारखाने गया, गरीबो के बच्चे, …

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Sad Frustration Hindi Poem चुप सी लगी है – नीलकमल

चुप सी लगी है - नीलकमल

चुप सी लगी है। अन्दर ज़ोर एक आवाज़ दबी है। वह दबी चीख निकलेगी कब? ज़िन्दगी आखिर शुरू होगी कब? कब? खुले मन से हंसी कब आएगी? इस दिल में खुशी कब खिलखिलाएगी? बरसों इस जाल में बंधी, प्यास अभी भी है। अपने पथ पर चल पाऊँगी, आस अभी भी है। पर इन्त्ज़ार में दिल धीरे धीरे मरता है धीरे …

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Shail Chaturvedi Hasya Kavita देवानंद और प्रेमनाथ

Shail Chaturvedi Hasya Kavita देवानंद और प्रेमनाथ

एक बार हम रिक्शे में बैठ गए ठिकाने पर पहुँच कर पचास पैसे थमाए तो रिक्शा चालक ऐंठ गए “पचास पैसे थमाते शर्म नहीं आई लीजिए आप ही सँभालिए और जल्दी से रुपया निकालिए, वो तो मैंने अँधेरे में हाँ कह दी थी उजाले में होता तो ठेले की सवारी रिक्शे में नहीं ढोता” हमारे शारीरिक विकास और गंजेपन को …

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Kaka Hathrasi Hasya Kavita प्रसिद्धि प्रसंग

Kaka Hathrasi Hasya Kavita प्रसिद्धि प्रसंग

काशीपुर क्लब में मिले, कवि–कोविद अमचूर चर्चा चली कि कहाँ की कौन चीज़ मशहूर कौन चीज़ मशहूर, पश्न यह अच्छा छेड़ा नोट कीजिए है प्रसिद्ध मथुरा का पेड़ा। आत्मा–परमात्मा प्रसन्न हो जाएँ काका लड्डू संडीला के हों, खुरचन खुरजा का। अपना–अपना टेस्ट है, अपना–अपना ढंग रंग दिखाती अंग पर हरिद्वार की भंग। हरिद्वार की भंग, डिजाइन नए निराले जाते देश–विदेश, …

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Inspirational Hindi Poem on Demonetisation नोट बंदी

Inspirational Hindi Poem on Denomitisation नोट बंदी

जब से नोट बंदी हो गई है सियासत और भी गंदी हो गई है। सुना है कश्मीर भी सांसे ले रहा है पत्थरों की आवाजें मन्दी हो गई है। जो चिल्ला के हिसाब मांगते थे सरकार से वही लोग रो रहे है जब पाबंदी हो गई है। आपस में झगड़ते थे दुश्मनों की तरह उन नेताओं में आजकल रजामंदी हो …

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