Siyaramsharan Gupt

सियारामशरण गुप्त (४ सितंबर १८९५ - २९ मार्च १९६३) (भाद्र पूर्णिमा सम्वत १९५२ विक्रमी) हिन्दी के साहित्यकार थे। सियारामशरण गुप्त का सेठ रामचरण कनकने के परिवार में श्री मैथिलीशरण गुप्त के अनुज रूप में चिरगाँव, झांसी में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने घर में ही गुजराती, अंग्रेजी और उर्दू भाषा सीखी। सन् १९२९ ई. में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और कस्तूरबा गाँधी के सम्पर्क में आये। कुछ समय वर्धा आश्रम में भी रहे। सन् १९४० में चिरगांव में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का स्वागत किया। वे सन्त विनोबा भावे के सम्पर्क में भी आये। उनकी पत्नी तथा पुत्रों का निधन असमय ही हो गया था अतः वे दु:ख वेदना और करुणा के कवि बन गये। १९१४ में उन्होंने अपनी पहली रचना मौर्य विजय लिखी।

सियारामशरण गुप्त हिन्दी कविता: मैं तो वही खिलौना लूँगा

सियारामशरण गुप्त हिन्दी कविता: मैं तो वही खिलौना लूँगा

‘मैं तो वही खिलौना लूँगा’ मचल गया दीना का लाल खेल रहा था जिसको लेकर राजकुमार उछाल–उछाल। व्यथित हो उठी माँ बेचारी – था सुवर्ण – निर्मित वह तो! ‘खेल इसी से लाल, – नहीं है राजा के घर भी यह तो!’ ‘राजा के घर! नहीं नहीं माँ तू मुझको बहकाती है, इस मिट्टी से खेलेगा क्यों राजपुत्र, तू ही …

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