Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

चश्मा: ओम प्रकाश बजाज जी की बाल-कविता

Chasma by Om Prakash Bajaj

चश्मा (Glasses या eyeglasses या spectacles) आँखों के सुरक्षा या उनकी क्षमता को बढ़ाने वाले उपकरण हैं जो काँच या कठोर प्लास्टिक के लेंसों से बने होते हैं। ये लेंस धातु या प्लास्टिक के एक ढाँचे (फ्रेम) में मढ़े हुए होते हैं। चश्मा: ओम प्रकाश बजाज जी की बाल-कविता दादा जी जब चश्मा लगाते, तभी वह अखबार पढ़ पाते। मुन्ना …

Read More »

ऐ मेरे वतन के लोगों: कवि प्रदीप का लोकप्रिय देशभक्ति गीत

ऐ मेरे वतन के लोगों - कवि प्रदीप

यूं तो भारतीय सिनेमा जगत में वीरों को श्रद्धांजलि देने के लिये अब तक न जाने कितने गीतों की रचना हुयी है लेकिन ‘ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंखो मे भर लो पानी, जो शहीद हुये है उनकी जरा याद करो कुर्बानी।’ जैसे देश प्रेम की अछ्वुत भावना से ओत प्रोत रामचन्द्र द्विवेदी उर्फ कवि प्रदीप के इस गीत …

Read More »

हमारा देश: Agyeya Desh Prem Hindi Poem about Indian Culture

हमारा देश By Agyeya

हमारा देश: सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ इन्ही तृण – फूस – छप्पर से ढके ढुलमुल गँवारू झोंपड़ों में ही हमारा देश बस्ता है। इन्ही के ढोल – मादल – बांसुरी के उमगते सुर में हुनरी साधना का रस बस्ता है। इन्ही के मर्म को अनजान शहरों की ढकी लोलुप विषैली वासना का सांप डंसता है। इन्ही में लहराती अल्हड़ अपनी …

Read More »

मातृभूमि: Rashtrakavi Maithili Sharan Gupt Classic Desh Prem Poem

Rashtrakavi Maithili Sharan Gupt Classic Desh Prem Poem मातृभूमि

मातृभूमि: राष्ट्रकवि मैथिलि शरण गुप्त जी की देशप्रेम कविता नीलांबर परिधान हरित तट पर सुन्दर है। सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है॥ नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारे मंडन हैं। बंदीजन खग-वृन्द, शेषफन सिंहासन है॥ करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेष की। हे मातृभूमि! तू सत्य ही, सगुण मूर्ति सर्वेश की॥ जिसके रज में लोट-लोट कर बड़े हुये हैं। घुटनों …

Read More »

रे प्रवासी जाग: Ramdhari Singh Dinkar Desh Prem Nostalgia Poem

Ramdhari Singh Dinkar Desh Prem Nostalgia Poem रे प्रवासी जाग

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की कविता ‘रे प्रवासी जाग’ रे प्रवासी‚ जाग‚ तेरे देश का संवाद आया। भेदमय संदेश सुन पुलकित खगों ने चंचु खोली‚ प्रेम से झुक–झुक प्रणति में पादपों की पंक्ति डोली। दूर प्राची की तटी से विश्व के तृण–तृण जगाता‚ फिर उदय की वायु का वन में सुपरिचित नाद आया। रे प्रवासी‚ जाग‚ तेरे देश का संवाद …

Read More »

पुष्प की अभिलाषा Motivational Desh Prem Poem

Motivational Desh Prem Hindi Poem पुष्प की अभिलाषा - माखनलाल चतुर्वेदी

Here is an old classic, the desire of a flower by Makhanlal Chaturvedi Ji चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हे हरि, डाला जाऊँ चाह नहीं, देवों के सिर पर चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर देना तुम …

Read More »

जागे हैं अब सारे लोग: जावेद अख्तर देश भक्ति गीत

Acclaimed Indian director Shyam Benegal is best known for his intimate portraits of Indian women, so it comes as some surprise that his latest offering is a biopic of one of India’s most famous male icons, Netaji Subhas Chandra Bose. Sachin Khedekar plays Bose, a revolutionary whose mission is to rid India of the British Empire, even if it means …

Read More »

कोरोना: Chinese वायरस कोरोना पर हिंदी कवितायेँ

कोरोना: Chinese वायरस कोरोना पर हिंदी कवितायेँ

चीन के वुहान शहर से फैली कोरोना वायरस महामारी के बाद अमेरिका ने वायरस के वुहान की लैब में तैयार किए जाने के आरोप लगाए थे, लेकिन चीन ने उन्हें खारिज कर दिया था। अब एक चीनी वायरोलॉजिस्ट (विषाणु विशेषज्ञ) ने दावा किया है कि कोरोना वायरस वुहान की एक लैब में ही तैयार किया गया था और उनके पास …

Read More »

राह कौन सी जाऊं मैं: अटल जी की चिंतन पर कविता

राह कौन सी जाऊं मैं: अटल जी की चिंतन पर कविता

There are dilemmas in life at every step. What to do? Which alternative to choose? And there are no authentic and correct answers. We must nonetheless make a choice. राह कौन सी जाऊं मैं: अटल बिहारी वाजपेयी चौराहे पर लुटता चीर‚ प्यादे से पिट गया वजीर‚ चलूं आखिरी चाल कि बाजी छोड़ विरक्ति रचाऊं मैं‚ राह कौन सी जाऊं मैं? …

Read More »

एक बरस बीत गया: अटल जी की नए साल पर कविता

एक बरस बीत गया - अटल बिहारी वाजपेयी

Another lovely poem by Atal Ji. One more year has passed by and one can just observe and feel inside the emptiness of this uninterrupted yet repetitive stream of passage of time… एक बरस बीत गया: अटल बिहारी वाजपेयी झुलसाता जेठ मास शरद चांदनी उदास सिसकी भरते सावन का अन्तर्घट रीत गया एक बरस बीत गया। सींकचों में सिमटा जग …

Read More »