Poems For Kids

Poetry for children: Our large assortment of poems for children include evergreen classics as well as new poems on a variety of themes. You will find original juvenile poetry about trees, animals, parties, school, friendship and many more subjects. We have short poems, long poems, funny poems, inspirational poems, poems about environment, poems you can recite

भारतीय सभ्यता के नाम

गाय हमारी Cow बन गई, शर्म हया अब Wow बन गई। काढ़ा हमारा चाय बन गया, छोरा बेचारा Guy बन गया। योग हमारा Yoga बन गया, घर का जोगी Joga बन गया। भोजन 100 रू. प्लेट बन गया, हमारा भारत Great बन गया। घर की दीवारें Wall बन गई, दुकानें Shopping Mall बन गई। गली-मोहल्ला Ward बन गया, ऊपरवाला Lord …

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भँवरा बड़ा नादान हाय – शकील बदायूंनी

भँवरा बड़ा नादान हाय, बगियन का मेहमान हाय फिर भी जाने ना, जाने ना, जाने ना कलियन की मुस्कान हाय… कभी उड़ जाए, कभी मंडलाए भेद जिया के खोले ना सामने आए, नैन मिलाए मुख देखे कुछ बोले ना भँवरा बड़ा नादान हाय, बगियन का मेहमान हाय फिर भी जाने ना, जाने ना, जाने ना कलियन की मुस्कान हाय… अँखियों …

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पति-पत्नि का सम्बन्ध

पति-पत्नि का सम्बन्ध

ये मेरे एक शादीसुदा मित्र ने भेजा है, मुझे दोष मत दीजियेगा तथ्य हैं कि सभी सम्बन्ध… भाई-बहन, मॉ-बाप, चाचा-चाची, ताऊ-ताई, दोस्त-दोस्ती सच्चे हैं! झूठा सम्बन्ध एक ही हैं वह पति-पत्नि का हैं? सारे सम्बन्ध प्राकृतिक हैं, बने-बनाये मिलते हैं! अप्राकृतिक सम्बन्ध एक ही हैं जिसे बहुत प्रयासों से बनना पड़ता हैं, वह पति-पत्नि का हैं? सारे सम्बन्ध बिना किसी …

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बम बम भोला हो शिवजी बिहाने चले – शैलेन्द्र

बम बम भोला बम बम भोला बम बम भोला बम बम भोला हो शिवजी बिहने चले पालकी सजायके भभूति लगाए के ला ओ शिवजी बिहाने चले पालकी सज़ायक़े भभूति लगाए के पालकी सज़यक़े ला ओ जब शिव बाबा करे तैयारी कैके सकल समान हो दाहिने अंग त्रिशूल विराजे नाचे भूत शैतान हो ब्रह्मा चले विष्णु चले लाई के वेद पुराण …

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कोशिश कर, हल निकलेगा

कोशिश कर, हल निकलेगा

कोशिश कर, हल निकलेगा। आज नही तो, कल निकलेगा। अर्जुन के तीर सा सध, मरूस्थल से भी जल निकलेगा।। मेहनत कर, पौधो को पानी दे, बंजर जमीन से भी फल निकलेगा। ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे, फौलाद का भी बल निकलेगा।। जिन्दा रख, दिल में उम्मीदों को, गरल के समन्दर से भी गंगाजल निकलेगा। कोशिशें जारी रख कुछ कर …

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अकड़ – दीनदयाल शर्मा

अकड़ - दीनदयाल शर्मा

अकड़-अकड़ कर क्यों चलते हो चूहे चिंटूराम, ग़र बिल्ली ने देख लिया तो करेगी काम तमाम, चूहा मुक्का तान कर बोला नहीं डरूंगा दादी मेरी भी अब हो गई है इक बिल्ली से शादी। ∼ दीनदयाल शर्मा

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अपुन बोला तू मेरी लैला – जोश

अपुन बोला तू मेरी लैला - जोश

अपुन बोला तू मेरी लैला वो बोली फेंकता है साला अपुन जब ही सच्ची बोलता ऐ उसको झूठ काई को लगता है॥ ये उसका स्टाइल होइंगा होठों पे ना दिल में हाँ होइंगा ये उसका स्टाइल होइंगा होठों पे ना दिल में हाँ होइंगा आज नहीं तो कल बोलेगी ऐ तू टेंशन काई को लेता रे॥ अपुन बोला तू मेरी …

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अपना गाँव – निवेदिता जोशी

अपना गाँव - निवेदिता जोशी

मैं अपने गाँव जाना चाहती हूँ… जाड़े की नरम धूप और वो छत का सजीला कोना नरम-नरम किस्से मूँगफली के दाने और गुदगुदा बिछौना मैं अपने गाँव जाना चाहती हूँ… धूप के साथ खिसकती खटिया किस्सों की चादर व सपनों की तकिया मैं अपने गाँव जाना चाहती हूँ… दोस्तों की खुसफुसाहट हँसी के ठहाके यदा कदा अम्मा व जिज्जी के …

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अनकहे गीत – मनोहर लाल ‘रत्नम’

प्रेम के गीत अब तक हैं गाये गये। दर्द के गीत तो, अनकहे रह गये॥ द्रोपदी पिफर सभा में, झुकाये नजर, पाण्डवों का कहां खो गया वो असर। फिर शिशुपाल भी दे रहा गालियां, कृष्ण भी देख कर देखते रह गये। दर्द के गीत तो, अनकहे रह गये॥ विष जो तुमने दिया, उसको मैंने पिया, पीर की डोर से, सारा …

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अँधेरे का दीपक – हरिवंश राय बच्चन

अँधेरे का दीपक - हरिवंश राय बच्चन

है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है? कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना था, भावना के हाथ से जिसमें वितानों को तना था, स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारा, स्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना था, ढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर कंकड़ों को एक अपनी शांति की …

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