Children's Poem on wild Thoughts सोच रहा हूँ

Hindi Bal Kavita on Wild Thoughts सोच रहा हूँ

सोच रहा हूँ, इस गर्मी में,
चन्दा मामा के घर जाऊं।
मामा मामी नाना नानी,
सबको कम्प्यूटर सिखलाऊँ।

सोच रहा हूँ पंख खरीदूं,
उन्हें लगाकर नभ् में जाऊं।
ज्यादा ताप नहीं फैलाना,
सूरज को समझाकर आऊँ।

सोच रहा हूँ मिलूं पवन से,
शीतल रहो उन्हें समझाऊं।
ज्यादा ऊधम ठीक नहीं है,
उसे नीति का पाठ पढ़ाऊँ।

सोच रहा हूँ रूप तितलियों,
का धरकर मैं वन में जाऊं।
फूल -फूल का मधु चूसकर,
ब्रेक फास्ट के मजे उड़ाऊँ।

सोच रहा हूँ कोयल बनकर,
बैठ डाल पर बीन बजाऊं।
कितने लोग दुखी बेचारे,
उनका मन हर्षित करवाऊँ।

सोच रहा हूँ चें-चें चूँ -चूँ,
वाली गौरैया बन जाऊं।
दादी ने डाले हैं दाने,
चुगकर उन्हें नमन कर आऊँ।

~ प्रभुदयाल श्रीवास्तव

आपको प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी की यह कविता “सोच रहा हूँ” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

Hari Hara Veera Mallu: 2022 Telugu Action Drama

Hari Hara Veera Mallu: Part 1 – Telugu Period Action Adventure Film

Hari Hara Veera Mallu: Part 1 – Movie Name Directed by:  Krish Jagarlamudi Starring: Pawan …