याद आये – किशन सरोज

याद आये फिर तुम्हारे केश
मन–भुवन में फिर अंधेरा हो गया

पर्वतों का तन
घटाओं ने छुआ,
घाटियों का ब्याह
फिर जल से हुआ;
याद आये फिर तुम्हारे नैन,
देह मछरी, मन मछेरा हो गया

प्राण–वन में
चन्दनी ज्वाला जली,
प्यास हिरनों की
पलाशों ने छली;
याद आये फिर तुम्हाते होंठ,
भाल सूरज का बसेरा हो गया

दूर मंदिर में
जगी फिर रागिनी,
गंध की बहने लगी
मंदाकिनी;
याद आये फिर तुम्हारे पांव,
प्रार्थना हर गीत मेरा हो गया

∼ किशन सरोज

About Kishan Saroj

आजादपुरम, छावनी, अशरफ खां रोड, बरेली-243122, फोन : 0581-541004 किशन सरोज गीत विधा के रागात्मक भाव के कवि हैं। इन्होंने अब तक लगभग ४०० गीत लिखे हैं। इनके प्रेमपरक गीत सहज अभिव्यंजना एवं नवीन उत्प्रेक्षाओं के कारण मर्मस्पर्शी हैं।

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